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Showing posts from March, 2022

चतुर प्रबन्धक

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चतुर प्रबन्धक सन्दर्भ :- लूका 16ः1-13 - ‘‘फिर उसने चेलों से भी कहा; किसी धनवान का एक भण्डारी था, और लोगों ने उसके साम्हने उस पर यह दोष लगाया कि यह तेरी सब संपत्ति उड़ाए देता है। सो उस ने उसे बुलाकर कहा, यह क्या है जो मैं तेरे विषय में सुन रहा हूं ? अपने भण्डारीपन का लेखा दे; क्योंकि तू आगे को भण्डारी नहीं रह सकता। तब भण्डारी सोचने लगा, कि अब मैं क्या करूं ? क्योंकि मेरा स्वामी अब भण्डारी का काम मुझ से छीन ले रहा है; मिट्टी तो मुझ से खोदी नहीं जाती : और भीख मांगने से मुझे लज्जा आती है। मैं समझ गया, कि क्या करूंगा : ताकि जब मैं भण्डारी के काम से छुड़ाया जाऊं तो लोग मुझे अपने घरों में ले लें। और उस ने अपने स्वामी के देनदारों में से एक एक को बुलाकर पहिले से पूछा, कि तुझ पर मेरे स्वामी का क्या आता है ? उसने कहा, सौ मन तेल; तब उस ने उस से कहा, कि अपनी खाती-बही ले और बैठकर तुरन्त पचास लिख दे। फिर दूसरे से पूछा, तुझ पर क्या आता है ? उस ने कहा, सौ मन गेहूं; तब उस ने उस से कहा; अपनी खाता बही लेकर अस्सी लिख दे। स्वामी ने उस अधर्मी भण्डारी को सराहा, कि उस ने चतुराई से काम किया है; क्योंकि इस संसार ...

स्वामी एवं दास का दृष्टान्त

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स्वामी एवं दास का दृष्टान्त सन्दर्भ :- लूका 17ः7-10 - ‘‘ पर तुम में से ऐसा कौन है, जिस का दास हल जोतता, या भेड़ें चराता हो, और जब वह खेत से आए, तो उस से कहे तुरन्त आकर भोजन करने बैठ ? और यह न कहे, कि मेरा खाना तैयार कर : और जब तक मैं खाऊं-पीऊं तब तक कमर बान्धकर मेरी से वा कर; इस के बाद तू भी खा पी लेना। क्या वह उस दास का निहोरा मानेगा, कि उस ने वे ही काम किए जिस की आज्ञा दी गई थी ? इसी रीति से तूम भी, जब उन सब कामों को कर चुको जिस की आज्ञा तुम्हें दी गई थी, तो कहो, हम निकम्मे दास हैं; कि जो हमें करना चाहिए था वही किया है।’’ प्रस्तावना एवं पृष्ठभूमि :- जब चेलों में प्रश्न उठा कि हम में से बड़ा कौन है ? तब प्रभु यीशु मसीह ने कहा कि यदि कोई प्रथम स्थान चाहे तो वह सबसे अन्तिम हो और सबका सेवक बने। ( मरकुस 9ः34-35, मत्ती 20ः27-28 ) यीशु मसीह जो स्वयं ईश्वर था सबका दास बन गया और दास की नम्रता और दीनता प्रगट करने के लिए उसने स्वयं अपने शिष्यों के पैर धोए। ( यूहन्ना 13ः4-5, 12-17 ) वचन के अनुसार ‘‘जिसने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वर...

हठी विधवा एवं अधर्मी न्यायाधीश का दृष्टान्त

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हठी विधवा एवं अधर्मी न्यायाधीश का दृष्टान्त सन्दर्भ :- लूका 18ः1-8 - ‘‘फिर उस ने इसके विषय में कि नित्य प्रार्थना करना और हियाव न छोड़ना चाहिए उन से यह दृष्टान्त कहा। कि किसी नगर में एक न्यायी रहता था; जो न परमेश्वर से डरता था और न किसी मनुष्य की परवाह करता था। और उसी नगर में एक विधवा रहती थी : जो उसके पास आ आकर कहा करती थी, कि मेरा न्याय चुकाकर मुझे मुद्दई से बचा। उस ने कितने समय तक तो न माना परन्तु अन्त में मन मे विचार कर कहा, यद्यपि मैं न परमेश्वर से डरता, और न मनुष्यों की कुछ परवाह करता हूं। तौभी यह विधवा मुझे सताती रहती है, इसलिए मैं उसका न्याय चुकाऊंगा कहीं ऐसा न हो कि घड़ी घड़ी आकर अन्त को मेरा नाक में दम करे। प्रभु ने कहा, सुना, कि यह अधर्मी न्यायी क्या कहता है ? सो क्या परमेश्वर अपने चुने हुओं का न्याय न चुकाएगा, जो रात-दिन उसकी दोहाई देते रहते; और क्या वह उन के विषय में देर करेगा ? मै तुमसे कहता हूं; वह तुरन्त उन का न्याय चुकाएगा; तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा ?’’ प्रस्तावना एवं पृष्ठभूमि :- एक दिन प्रभु यीशु मसीह ने लोगों को प्रार्थना के संब...

फरीसी और कर वसूल करने वाले का दृष्टांत

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फरीसी और कर वसूल करने वाले का दृष्टांत सन्दर्भ :- लूका 18ः9-14 - ‘‘और उस ने कितनों को जो अपने ऊपर भरोसा रखते थे, कि हम धर्मी हैं, और औरों को तुच्छ जानते थे, यह दृष्टांत कहा कि दो मनुष्य मन्दिर में प्रार्थना करने के लिए गये, एक फरीसी था और दूसरा चुंगी लेने वाला। फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा, कि हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि मैं और मनुष्य की नाई अन्धेर करने वाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेने वाले के समान हूं। मैं सप्ताह में दो बार उपवास करता हूं; मैं अपनी सब कमाई का दसवां अंश भी देता हूं। परन्तु चुंगी लेने वाले ने दूर खड़े होकर स्वर्ग की ओर आंखें उठाना भी न चाहा, वरन अपनी छाती पीट-पीट कर कहा; हे परमेश्वर मुझ पापी पर दया कर। मैं तुझ से कहता हूं, कि वह दूसरा नहीं; परन्तु यही मनुष्य धर्मी ठहराया जाकर अपने घर गया; क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो अपने आप को छोटा बनाएगा वह बड़ा किया जाएगा।’’ प्रस्तावना एवं पृष्ठभूमि :- प्रभु यीशु मसीह एक दिन प्रार्थना के संबंध में लोगों को शिक्षा दे रहा था। उसी दिन उसने कितनों को...

प्रभु येशु क्यों आए?

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  प्रभु  यीशु  क्यों आए ? प्रभु यीशु खोई हुई लोगों को ढूँढ़ने और बचाने आया ( लूका 19:10 ) प्रभु यीशु दुष्ट के कामों को नष्ट करने आया था ( 1 यूहन्ना 3:8) प्रभु यीशु हमें परमेश्वर के पुत्र बनाने के लिए आया था (यूहन्ना १:१२) प्रभु यीशु हमें उद्धार देने के लिए आया था (प्रेरितों के काम 4:12) प्रभु यीशु बहुतायत का जीवन देने आया था (यूहन्ना 10:10) प्रभु यीशु हमें राजकीय याजक बनाने आया था (प्रका०वा० 5:9,10; 1 पतरस 2:9) प्रभु यीशु हमें मनुष्यों का मछुआरा बनाने आया था (मत्ती 4:19) प्रभु यीशु हमें पृथ्वी की छोर तक गवाह बनाने के लिए आया ( प्रेरितों के काम  1:8 ; ; मत्ती 28:19) प्रभु यीशु दाऊद के गिरे हुए तम्बू को पुनह उठाने आया (प्रेरितों के काम 15:16)   प्रभु यीशु के समय में मूसा या दाऊद के तम्बू या सुलैमान के मंदिर नहीं थे। केवल हेरोदेस द्वारा पुनर्निर्माण किया गया मंदिर था जिसे जल्द ही (एडी 70) रोम के जनरल टाइटस द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था जैसा कि प्रभु येशुआ ने भविष्यवाणी की थी। (मत्ती 24:1-2)   यरूशलेम के अधिवेशन में याकूब ने आमोस 9...

धनवान व्यक्ति और लाजर का दृष्टान्त

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धनवान व्यक्ति और लाजर का दृष्टान्त संन्दर्भ :- लूका 16ः19-31 - ‘‘एक धनवान मनुष्य था जो बैंजनी कपड़े और मलमल पहिनता और प्रति दिन सुख-विलास और धूमधाम के साथ रहता था। और लाजर नाम का एक कंगाल घावों से भरा हुआ उस की डेवढ़ी पर छोड़ दिया जाता था। और वह चाहता था, कि धनवान की मेज पर की जूठन से अपना पेट भरे; बरन् कुत्ते भी आकर उसके घावों को चाटते थे। और ऐसा हुआ कि वह कंगाल मर गया, और स्वर्गदूतों ने उसे लेकर इब्राहीम की गोद में पहुंचाया; और वह धनवान भी मरा; और गाड़ा गया। और अधोलोक में उस ने पीड़ा में पड़े हुए अपनी आंखे उठाई और दूर से इब्राहीम की गोद में लाजर को देखा। और उस ने पुकार कर कहा, हे पिता इब्राहीम, मुझ पर दया करके लाजर को भेज दे, ताकि वह अपनी अंगुली का सिरा पानी में भिगोकर मेरी जीभ को ठण्डी करे। क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूं। परन्तु इब्राहीम ने कहा; हे पुत्र स्मरण कर, कि तू अपने जीवन में अच्छी वस्तुएं ले चुका है, और वैसे ही लाजर बुरी वस्तुएं : परन्तु अब वह यहां शान्ति पा रहा है, और तू तड़प रहा है। और इन सब बातों को छोड़ हमारे और तुम्हारे बीच एक भारी गड़हा ठहराया गया है कि जो यहां से उस पा...

सतर्क सेवक का दृष्टान्त

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सतर्क सेवक का दृष्टान्त सन्दर्भ :- मरकुस 13ः32-37 - ‘‘उस दिन या उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र; परन्तु केवल पिता। देखो, जागते और प्रार्थना करते रहो; क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आएगा। यह उस मनुष्य की सी दशा है, जो परदेश जाते समय अपना घर छोड़ जाए, और अपने दासों को अधिकार दे : और हर एक को उसका काम जता दे, और द्वारपाल को जागते रहने की आज्ञा दे। इसलिए जागते रहो; क्योंकि तुम नही जानते कि घर का स्वामी कब आएगा, सांझ को या आधी रात को, या मुर्ग  के बांग देने के समय या भोर को। ऐसा न हो कि वह अचानक आकर तुम्हें सोते पाए। और जो मैं तुम से कहता हूं, वही सब से कहता हूं, जागते रहो।’’ लूका 12ः35-40 - ‘‘ तुम्हारी कमरें बन्धी रहें, और तुम्हारे दीये जलते रहें। और तुम उन मनुष्यों के समान बनो, जो अपने स्वामी की बाट देख रहे हां, कि वह ब्याह से कब लौटेगा; कि जब वह आकर द्वार खटखटाए, तो तुरन्त उसके लिये खोल दें। धन्य हैं वे दास, जिन्हें स्वामी आकर जागते पाए; मैं तुमसे सच कहता हूं, कि वह कमर बान्ध कर उन्हें भोजन करने को बैठाएगा, और पास आकर उन की सेवा करेगा। यदि वह रात के...