आत्मा और सच्चाई में आराधना

 आराधना

आराधना शब्द का कलीसिया में पूरी तरह से दुरुपयोग किया जाता है। कानफोडू वाद यंत्र के साथ ऊची आवाज में गाना, नाचना, बड़बडाना और चिल्लाना और नीचे गिर जाना इत्यादि आज आत्मिक आराधना समझी जाती है। क्योंकि हम प्रभु यीशु या पतरस या पौलूस को इस प्रकार की हरकत करते नही पाते, इसलिए हम दाऊद राजा की नक़ल करने की कोशिश करते हैं। दाउद राजा जब औबेद अदोम के घर से वाचा के सन्दूक को सात मील दूर यरूशलेम ला रहा था तब वो सारी ताकत से नाच रहा था। लेकिन चर्च में नाचने वालों को मालूम होना चाहिए कि दाउद ने पहिले हर छै कदम पर एक बैल और बछड़ा का बलिदान किया था और फिर नाचा था । दूसरी बात ये है कि वो चर्च में नहीं बल्कि सड़क पर नाचा था । तीसरी बात उसने इसके पहिले अमिनादाब के घर से गाजे बाजे और बड़ी भीड़ के साथ एक बैल गाड़ी पर वाचा के संदूक को लाने की कोशिश की थी जबकी उसको लेविओं के कन्धों पर बलिदान चढ़ाते हुए ले जाना था । नतीज़ा ये हुआ कि उज्जा की मौत हो गयी थी। (2शमुएल 6:1-15

 पुराने नियम में आराधना बहुदा खूनी बलिदान से जुड़ी हुई होती थी। कोई परमेश्वर के सामने खाली हाँथ नहीं आ सकता था (व्यवस्था 16:16)। पहली बार ‘‘आराधना’’ शब्द पवित्र शस्त्र में उस वक्त उपयोग किया गया जब इब्राहिम अपने बेटे इसहाक को बलिदान चढ़ाने ले जा रहा था, (उत्पत्ति 22:5-13)| कैन और हाबिल से नूह और मूसा के तम्बू तथा सुलेमान के मन्दिर में, परमेश्वर की आराधना हमेशा बलिदान के साथ होती थी। (लैयव्यवस्था 17:11)

चार प्रकार के बलिदान पवित्रशास्त्र में वर्णित हैः-

1. पुराने नियम में उद्धार के लिए जानवरों का बलिदान । (2इतिहास 7:12)

2. प्रभु येशुवा का सारे मानव जाति के लिए एक मेम्ने के समान पूर्ण और अन्तिम बलिदान क्रूस पर चढ़ाया जाना । (इब्रानी 10:10)

3. अपने स्वंय के शरीरों को जीवित बलिदान चढ़ाकर आत्मिक आराधना करना । (रोमियों  12:1)

4. खोई हुई आत्माओं का शुद्धिकरण करके जीवित बलिदान चढ़ाना, यह नये नियम में सही आराधना है। (रोमियों 15:16, याकूब 5:20, दानियल 12:3)

नये नियम में सिर्फ आत्मा और सच्चाई से आराधना करने का प्रावधान हैं । मात्र गीत गाने से नहीं, लेकिन जब हम परमेश्वर पिता की इच्छा को पूरा करते हैं तो आत्मा और सच्चाई से आराधना करते हैं। और पिता कि इच्छा यह है कि कोई भी नाश न हो परन्तु सब सच्चाई को जाने और उद्धार पायें (यूहन्ना 3:16; 4:20-23; 1तिमोथी 2:4; 2पतरस 3:9)। क्योंकि आत्मा सबसे बहुमूल्य है इसलिए आत्माओं को बचाना ही सच्ची आराधना है (मत्ती 16:24-27)। प्रभु यीशु ने स्पष्ट रीति से कहा कि ‘‘जब एक आत्मा पश्चाताप करती है तो स्वर्ग में बड़ा आनन्द होता है,  जितना की चर्च में उपस्थित 99 धर्मियों के विषय नही होता”। लुका 15:7, 10 ‘‘आत्मा और सच्चाई’’ से आराधना यानि आत्माओं को बचाने के लिए किसी आराधनालय या याजक या गीत संगीत की जरूरत नही होती। सही में ये सारे संसाधन अंत में आत्मा बचाने के प्रक्रिया में अवरोधक बन जाते हैं क्योंकि यह आराधना कहीं भी, कभी भी और कोई भी विश्वासी कर सकता है। (मलाकी 1:11;  उत्पत्ति 28:17; मत्ती 28:18-20)

1. पुराने नियम में खूनी बलिदान जरूरी था, क्योंकि बिना लहू बहाए उद्धार संभव नही था। (इब्रानियों 9:22)

2. नये नियम में बिना लहू के अर्थात अपने शरीरो को जीवित और पवित्र और परमेश्वर को भावता हुवा चढाना ही आत्मिक आराधना है । (रोमियों 12:1)

3. इब्राहीम ने अपने नौकरों से कहा ‘‘बालक और मैं आराधना करने जा रहे हैं। उसने इसहाक के कान्धे पर लकड़ी रखी, और स्वंय के हाँथ में छुरी और आग को लिया। तब इसहाक ने पिता से पूछा कि ‘आग और छुरी’ तो है पर होमबलि के लिए मेम्ना कहां है? अब्राहम ने उत्तर दिया कि परमेश्वर स्वंय हमें उपलब्ध करायेगा। (उत्पत्ति 22:5-8)

4. मूसा ने फिरोन को दस बार से ज्यादा कहा कि इस्रायल को परमेश्वर की बलिदान चढ़ाकर आराधना करने की अनुमती मांगी । अंत में फिरोन ने तंग होकर मूसा से कहा ‘‘जाओ और अपने परमेश्वर की आराधना करो, पर अपने जानवर छोड़कर जाओ’’।  मूसा ने कहा कि हम एक खुर भी छोड़कर नही जायेंगे क्योंकि हम को परमेश्वर की आराधना करने के लिए पशुओं की भी जरूरत पड़ेगी। (निर्गमन 10:24-26)

5. यहोशू ने इजराइल के सब गोत्रों के अगुवों को हिदायत दी कि ‘‘हमारें और तुम्हारे वंश के बीच साक्षी हो, कि हम होमबलि, मेलबलि और बलिदान चढ़ाकर यहोवा की आराधना करें, ताकि भविष्य में तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान से यह न कहने पाये कि यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नही। (यहोशू 22:26, 27

6. यहोवा के नाम की ऐसी महिमा करों जो उसके योग्य है, भेंट लेकर उसके आंगनो में प्रवेश करो। पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत करो, और पृथ्वी के लोगों, उसके सामने कांपते रहो। (भजन 96:8-9)

7. वाचा का सन्दूक को औबेद अदोम के घर से दाउद ने यरूशलेम नगर को बड़े हर्ष के साथ हर छै कदम पर बलिदान चढाते और फिर सड़क पर नाचते हुए लाया। (2शमुएल 6:12-15)

8. परमेश्वर ने सुलेमान को रात्रि में दर्शन दिया और कहा मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुनी है और यरूशलेम के मन्दिर को अपने लिये चुन लिया है कि "मेरा घर बलिदान का घर" कहलायेगा। तब राजा सुलेमान ने 22 हजार बैल, 120 हजार भेंड एवं बकरियां चढ़ायी। इस तरह से राजा सुलेमान और प्रजा ने बलिदान चढ़ाकर परमेष्वर के घर का अभिषेक किया। (2 इतिहास 7:5, 12)  

9. पौलुस कहता हैं कि “मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है और मैं शरीर में जीवित हूँ तो केवल इस विश्वास से ही जीवित हूँ जो परमेश्वर ने पुत्र पर जिस ने प्रभु से प्रेम किया और मेरे लिये अपने आप को दे दिया.” (गलातियों 2:20)

10. परन्तु वह समय आता है बरन अब भी है जिस में सच्चे भक्त पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही आराध्यकों को ढूढ़ता है। (यूहन्ना 4:25)

11. परमेश्वर द्वारा पुराने से नये नियम में आराधना की भविष्यवाणी। “क्योंकि उदयाचल से अस्ताचल तक जाति जाति में मेरा नाम महान होगा, और प्रत्येक स्थान में मेरे नाम पर धूप जलाई जाएगी और शुद्ध अन्नबलि चढ़ाई चाएगी; क्योंकि जाति जाति में मेरा नाम महान होगा, ’’सेनाओं का यहोवा का यही वचन है। (मलाकी 1:11)

  1. केवल सब्त के बदले अब सुबह से शाम प्रति दिन आराधना। (प्रे. के काम 2:47; इब्रानी 3:13
  2. मंदिर के बदले अब अन्यजातियों के घरों में आराधना । (प्रे. के काम 10:44-48)
  3. मन्दिर के अन्दर धूप जलाने के बदले घर घर सब जातियों के लिए मध्यस्थता की प्रार्थना। (1तिम. 2:1-4
  4. पशु भेंट चढ़ाने के बदले अब जीवित बलिदान । (1पतरस 2:5)

12. पौलुस कहता है, कि अन्य जातियों के लिए मसीह यीशु का सेवक होकर परमेश्वर के सुसमाचार की सेवा याजक के समान करूं ताकि अन्य जातियों को पवित्र आत्मा से सिद्ध करके ग्रहण योग्य भेंट चढ़ाऊँ । (रोमियों 15:16)

13. तो यह जान ले कि जो कोई भटके हुए पापी को फेर लाएगा, वह उस के प्राण को मृत्यु से बचाएगा और अनेक पापों पर पर्दा डालेगा। (याकूब 5:20)।

प्रशंसा और महिमा और आराधना में अन्तर : 

  • हम अपने होंठो से परमेश्वर की प्रशंसा करते है, (भजन 51:15; इब्रानियों 13:15,16)।
  • हम बहुतायत से  फल (आत्माओं) को लाकर परमेश्वर की महिमा करते है। (यूहन्ना 15:8, 16; 4:24; मत्ती 7:20)।
  • हम टूटे और पश्चातापी हृदयों को जीवित बलिदान स्वरूप चढाकर परमेश्वर की आराधना आत्मा और सच्चाई से करते है, । (भजन 51:17; याकूब 5:20; 1कुरिन्थियों 9:19-22)।

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