एक चेला या शिष्य कौन है ?
प्रभु यीशु ने कहे, ‘‘तुम जाकर... चेला बनाओं’’.....। मैं ... अपनी कलीसिया बनाऊंगा’’ (मत्ती 16ः18; 28ः19)। यह शब्द ‘‘चेला’’ (शिष्य) बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बाईबिल में 269 बार आया है।
एक चेले के गुण क्या है?
- एक चेला अपने गुरू की आज्ञा मानता हैः ‘‘यदि तुम मेरे वचनो में बने रहोगे तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे, और सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा’’ (यूहन्ना 8ः31,32)। स्वाभाविक है कि एक चेले को अपने गुरू का आज्ञाकारी होना चाहिये, नही तो वे सच्चे चेले नहीं है। जब प्रभु ने पतरस यूहन्ना और अन्य मछुवारों को बुलाया, उन्होंने तुरन्त अपनी मछलियों से भरी नावों को छोड़ दिया और प्रभु के पीछे हो लिये (लूका 5ः4-11)। जब प्रभु ने उन्हें आज्ञा दी कि उन्हें प्रभे के गवाह के रूप में यरूशलेम यहूदिया, सामरिया और जगत के छोर तक जाना है तो उन्होंने मृत्यु पर्यन्त उनकी आज्ञाओं को माने। एक सच्चे चेले की हैसियत से सफल होने के लिये हमें अपने प्रभु की आज्ञा को मानना चाहिये कि हम जांए और दूसरे विश्वास के लोगों को चेला बनाए। यह सच्ची शिष्यता होगी।
- एक चेला वह है जो चेले बनाते जाता हैः ‘‘मेरे पिता की महिमा इसी से होती है कि तुम बहुत से फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे’’(यूहन्ना 15ः8)। इससे कोई फर्क नही पढ़ता कि आप कितने धर्मी हैं, आपकी आराधना संगति कितनी अच्छी है, या आपके चर्च के कार्यक्रम कितने अद्भूत हैं, यदि वहां फल नहीं है। क्योंकि आप वास्तव में परमेश्वर की महिमा नहीं कर रहे हैं। क्योंकि आप वास्तव में परमेश्वर की महिमा नही कर रहे हैं और इसलिये आप यथार्थ में प्रभु के चेले नहीं है। चर्च सदस्यता हमें प्रभु के शिष्य होने की निश्चयता नहीं प्रदान करती। साधारण विश्वासी चेले नहीं हैं। केवल वे जो चेले बनाते हैं, चेले कहलाए जा सकते हैं।
- एक चेला जो शिष्य बनाता है, मसीही हैः अन्ताकिया में वे चेले ही थे जो सर्वप्रथम ‘‘मसीही‘‘ कहलाए थे। वे ही लोग सच्चे मसीही होते हैं जो यीशु को अपने जीवन का प्रभु बना लेते हैं, उनसे प्यार करते हैं और उनकी आज्ञाओं को मानते हैं। वे अपने प्रभु के लिये सब कुछ त्यागने और प्रतिदिन क्रूस उठाने के लिये तैयार रहते हैं। वे लोग बचाई गई आत्माओं के फलों से लदे रहते हैं। उपरोक्त बातें, सच्चे मसीहियों के चिन्ह हैं। बिना उपरोक्त, योग्यता के किसी को ‘‘मसीहियों के चिन्ह हैं। बिना उपरोक्त योग्यता के किसी को ‘‘मसीही’’ कहना धोखा है, क्योंकि शैतान भी विश्वासी है जो परमेश्वर के आगे कांपता है (प्रेरितों के काम 11ः26; याकूब 2ः19)
- एक चेला सब तरह का बलिदान (त्याग) करने को तैयार रहता हैः ‘‘यदि कोई मेरे पास आए और अपने पिता और माता और पत्नि और लड़के बालों और भाईयों और बहिनों बरन अपने प्राण को भी अप्रिय न जानें तो वह मेरा नहीं हो सकता। और जो कोई अपना क्रूस न उठाए और मेरे पीछे न आए वह भी मेरा चेला नहीं हो सकता। कोई दो स्वामियों की सेवा अर्थात संसार के साथ प्रभु की भी सेवा नही कर सकता। आप सच्चे चेले नहीं हो सकते यदि आप किसी और चीज को प्रभु से अधिक महत्व देते हैं आपका कुटुम्ब, मित्र, धन्धा, पैसा, टी.वी., अखबार, पत्रिकाएं, और आपके शौक (लूका 14ः26,27; 16ः13; मत्ती 6ः24)।
- प्रेम भरे सम्बन्ध इस बात के सबूत हैं कि आप चेले हैंः ‘‘यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो‘‘। यदि वहां पर झगड़े हैं, और कलीसिया में आपसी प्रेम की कमी है, तो वह कलीसिया सच्चे चेलों की कलीसिया नहीं हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण हैं कि सब एक मन और एक चित के हों। आपस के प्रेम में कमी, दूसरे की चिन्ता करने वाली सहभागिता उसी जगह सम्भव है जहां हम संख्या में विश्वासी एक कुटुम्ब की तरह आराधना करने जमां होते हैं (यूहन्ना 13ः34,35; 1यूहन्ना 4ः20,21; मत्ती 5ः21-24)।
- चेलों (नई बचाई गई आत्माओं) का बलिदान लाओ, और उसके फाटकों में धन्यवाद करते हुए प्रवेश करोः न्याय के दिन बहुत से जन प्रभु के साम्हने आकर कहेंगे ‘‘क्या हमने तेरे नाम दुष्ट आत्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुंत अचम्भे के काम नहीं किये?’’ तब प्रभु उनसे कह देगा, ‘‘मैंने तुूमको कभी नहीं जाना’’। केवल वे जो प्रभु की ईच्छा पूरी करते हैं उद्धार पाएंगे। प्रभु की इच्छा यह है कि कोई भी नाश न हो और यह तब ही सम्भव हो सकेगा जब हम सारी जातियों के लोगों को चेला बनाएंगे। (मत्ती 7ः21-24; भजन संहिता 96ः7,8; 2पतरस 3ः9)
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