कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - दोहरा क्रूस (डबल क्रास Double Cross), हैवन (Heaven स्वर्ग) भाग 17

  पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं।

इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। (प्रकाशित वाक्य 1ः20)

 दोहरा क्रूस (डबल क्रास Double Cross): यूनानी शब्द ‘‘स्टाऊरोस’’ Stauros) और ‘‘ग्जूलोन’’ (Xulon) और इब्रानी शब्द आट्स (ats), का अर्थ दो बीम वाला क्रूस नहीं है, परन्तु उनका अर्थ पेड़ या स्तंभ है (व्यस्था विवरण 21ः22,23; प्रेरितों के काम 5ः30, गलातियों 3ः13)। सूर्य के उपासक कॉन्स्टेन्टाईन ने सूर्य या सौर क्रूस को बहुत प्रसिद्ध बना दिया, जहां सन्तों के सिरों के चारों ओर प्रभामण्डल के रूप में हेलो का गोल निशान होता था। जलता हुआ क्रक्स (Crux या क्रूस) भी एक अन्यजातीय मूर्तिपूजक चिन्ह था जिसे गुप्त आराधना के लिये उपयोग में लाते थे, जैसे एन्टी ब्लैक, एन्टी केथोलिक और सेमिटिक - कू क्लक्स क्लान (Ku, Klux, Klan) इत्यादि में भी वही होता है। सम्भवतः याहशुआ को एक स्तंभ पर लटकाया गया था, जहां उनके हाथों को उनके सिर के ऊपर ठोंका गया था, डाकुओं के बिलकुल नजदीक, जहां उन्हें बड़ी सरलता से आपस में वार्तालाप का अवसर मिल सका। याहशुआ ने इसका इशारा पहिले ही कर दिये थे जब उन्होंने कहे थे कि वे उसी तरह ऊंचे पर चढ़ाया था, जिससे इस्राएली लोग चंगे हो सके (गिनती 21ः8,9)। यह महत्वपूर्ण है कि याहशुआ हमारे लिये मर गए, चाहे वे दोहरे बीम पर तथापि क्रूस नहीं, परन्तु दीवट दीवट (मेनोराह) चिन्ह है जो अन्यजातियों के जीवन को जो अंधकारमय संसार में रहते हैं, प्रकाशित करता है, यही इक्लीसिया का भी प्रतीक चिन्ह है। (प्रकाशित वाक्य 1ः20; प्रेरितों के काम 13ः47)। तथापि यह हमारे लिये धर्मशास्त्र के अनुसार होगा कि हम स्टाऊरोस, इम्पेंल, या स्टाउरू के स्थान पर खम्भा या स्तंभ शब्द का उपयोग करें, बनिस्बत इन शब्दों का जैसे -  क्रूस या क्रूस घातित।  

हैवन (Heaven स्वर्ग): बहुत से मसीही आशान्वित हैं कि जैसे ही, उनकी मृत्यु होगी, वे स्वर्ग जाएंगे। परन्तु जितने याहशुआ पर विश्वास करते हैं वे नहीं मरते वरन सो जाते हैं (यूहन्ना 11ः25,26) गरीब लाजर पेरेडाइज में गया था (स्वर्ग नहीं), जबकि धनवान मनुष्य अधोलोक (हादेस) में गया। जिसका अर्थ कबर भी होता है। याहशुआ हमारे लिये जगह तैयार करने गए हैं, वे किसी आधुनिक सहूलियतों से युक्त, भवन तैयार करने गए हैं, परन्तु हमारे लिये एक नई देह, वैसी ही जैसी उनकी पुनरूत्थान के बाद में थी। पौलूस ने भी कहा है कि वह मसीह के साथ जा रहे या विश्वासियों के साथ रहे, इन दोनों के बीच अधर में लटका है (फिलिप्पियों 1ः23)। तथापि जब याहशुआ ने लाजर और उस बारह वर्ष की लड़की को जिलाए, उन्होंने केवल यह कहा, कि वे सो रही हैं और उनसे जाग उठने (Wake) के लिये कहा (यूहन्ना 11ः11,43; मरकुस 5ः39-41)। उसने उन्हें स्वर्ग या नरक से वापस नहीं बुलाया। याहवेह ने दानिय्येल से कहा, ‘‘और जो भूमि केनीचे सोए रहेंगे, उनमें से बहुत से लोग जाग उठेंगे, कितने तो सदा के जीवन के लिये और कितने अपनी नाम धराई और सदा तक अत्यन्त घृणित ठहरने के लिये’’। दानिय्येल को यह भी कहा गया, ‘‘अब तू जाकर अन्त तक ठहरा रह, और तू विश्राम करता रहेगा, और उन दिनों के अन्त में तू अपने निज भाग पर खड़ा होगा’’ (दानिय्येल 12ः2,12)। आखिरी तुरही फंूकी जाने के समय, हम सब कबरों में से बाहर आ जाएंगे और हवा में (स्वर्ग में नहीं) चले जाएंगे जहां याहशुआ से मिलेंगे। कोई बात नहीं यदि आपका शरीर मिट्टी बन चुका है, या राख के रूप में बिखरा दिया गया है, वे आपको खोज लेंगे और नई अविनाशी देह के साथ जिला उठाऐंगे (1कुरिन्थियों 15ः52)। मरने के बाद हम कहीं नहीं जाते, हम केवल सो जाते हैं।


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