कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - दिन (Day) - भाग 13

   पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं।

इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। (प्रकाशित वाक्य 1ः20)

दिन (Day) : जब इलोहिम परमेश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी की सृष्टि की, तब उन्होंने दिनों के नाम नहीं दिये, परन्तु उन्हें सांख्यिकीय अंको द्वारा ही संबोधित किया गया। जैसे- पहिला दिन, दूसरा दिन और सातवां दिन जिसे उन्होंने सब्त कहा। परन्तु अब प्रत्येक दिन का नाम, किसी न किसी देवता या किसी और के नाम पर रखा गया है। 

SUNDAY रवि (सूर्य) वार : का दिन सूर्य की उपासना हेतु समर्पित किया गया।

MONDAY सोमवार (मन डे): मून या चन्द्रमा को, 

TUESDAY मंगलवार या  ट्यूसडे, टियू देवी के लिये समर्पित दिन है? 

WEDNESDAY बुधवार या वेडनेसडे, वोडन के लिये, जो कि काले जादू और भूत सिद्धि इत्यादि का देवता था, के लिये समर्पित है, जिसका प्रतीक चिन्ह सैल्टिक क्रक्स या प्रभामण्डल हेलो के साथ क्रूस था। 

THURSDAY बृहस्पतिवार या थर्स डे, जो गर्जन का देवता था, रोम में जुपिटर (जियुस का पिता) कहते है, के लिये समर्पित है।रोम में जुपिटर की बड़ी मूर्ति का पुनः नामकरण संत पतरस के नाम से किया गया है और उसकी पादांगुलियों  (Toes) को लाखों श्रद्धालुओं द्वारा चूमा जाता है, जिसमें पोप भी शामिल हैं। यह रूचिकर है, पतरस कभी भी रोम नहीं गए क्योंकि वह खतना वालों के लिये प्रेरित था जबकि पौलूस अन्यजातियों के लिये था (गलातियो 2ः7,8ं)। क्लौदियुस ने सभी यहूदियों को रोम से निर्वासित कर दिया था और इसीलिये प्रिस्किल्ला और अक्विल्ला को कुरिन्थि भागना पड़ा था (प्रेरितों के काम 18ः2), परन्तु कुछ भी हो पतरस जो कि विवाहित पुरूष था, को आनन्द पूर्वक यरूशलेम में दफनाया गया था। आज भी ओलम्पिक खेलों के समय, जियुस की वेदी पर आग चढ़ाई जाती है। 

FRIDAY शुक्रवार, फ्राई डे, फ्रिगा के लिये है, जो वोर्डन की पत्नी थी और जिसका चिन्ह मछली था। जब पलिश्तयों ने वाचा के सन्दूक को दागोन के मन्दिर में रख दिया, तो दागोन (अर्थ मछली), उसके साम्हने गिर पड़ा था और टुकडे़ टुकड़े हो गया था। बहुत से जन उसके स्मरण में शुक्रवार के दिन मछली खाते हैं। मछली (ICHTHYS), प्रारम्भिक इक्लीसियाओं का भी चिन्ह था। परन्तु याहशुआ जो सातों दीवटों (कलीसियाओं) के मध्य में खडे़ रहते हैं, कहते हैं कि दीवट (मेनोराह) ही इक्लीसिया का चिन्ह है और वे उसे नकली चर्च से अलग कर लेंगे जो अन्यजातियों के लिये ज्योंति नहीं रह गई है (प्रकाशित वक्य 1ः20, 2ः1-5; प्रेरितों के काम 13ः47)। 

SATURDAY शनिवार, सेदर डे, सेटीर के सम्मान में मनाया जाता था, जो बकरा पुरूष के रूप में एक अतृप्त काम वासना की भूख के साथ है। सेटीरनेलिया या पेगानेलिया अब क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। ये सभी नामकरण और उत्सव पाप से भरे हैं क्योंकि वे उन देवी देवताओं को आदर देते हैं जिन्होंने पृथ्वी की सृष्टि नहीं की है, और इसलिये वे नाश किये जाएंगे। धर्मशास्त्र बड़ी कड़ाई के साथ हमें मना करता है कि हमें उनके नाम भी नहीं लेना चाहिये। (निर्गमन 23ः13; भजन संहिता 16ः4; यिर्मयाह 10ः11)

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