कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - दिन (Day) - भाग 13
पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं।
इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही है। (प्रकाशित वाक्य 1ः20)
दिन (Day) : जब इलोहिम परमेश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी की सृष्टि की, तब उन्होंने दिनों के नाम नहीं दिये, परन्तु उन्हें सांख्यिकीय अंको द्वारा ही संबोधित किया गया। जैसे- पहिला दिन, दूसरा दिन और सातवां दिन जिसे उन्होंने सब्त कहा। परन्तु अब प्रत्येक दिन का नाम, किसी न किसी देवता या किसी और के नाम पर रखा गया है।
TUESDAY मंगलवार या ट्यूसडे, टियू देवी के लिये समर्पित दिन है?
WEDNESDAY बुधवार या वेडनेसडे, वोडन के लिये, जो कि काले जादू और भूत सिद्धि इत्यादि का देवता था, के लिये समर्पित है, जिसका प्रतीक चिन्ह सैल्टिक क्रक्स या प्रभामण्डल हेलो के साथ क्रूस था।
SATURDAY शनिवार, सेदर डे, सेटीर के सम्मान में मनाया जाता था, जो बकरा पुरूष के रूप में एक अतृप्त काम वासना की भूख के साथ है। सेटीरनेलिया या पेगानेलिया अब क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। ये सभी नामकरण और उत्सव पाप से भरे हैं क्योंकि वे उन देवी देवताओं को आदर देते हैं जिन्होंने पृथ्वी की सृष्टि नहीं की है, और इसलिये वे नाश किये जाएंगे। धर्मशास्त्र बड़ी कड़ाई के साथ हमें मना करता है कि हमें उनके नाम भी नहीं लेना चाहिये। (निर्गमन 23ः13; भजन संहिता 16ः4; यिर्मयाह 10ः11)
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