कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - BIBLE बाइबिल AND गॉड (GOD) - भाग 14
पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं।
इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही है। (प्रकाशित वाक्य 1ः20)

गॉड (GOD): यह शब्द गॉड GOD ¼GAD½ जिसे हम परमेश्वर के लिये उपयोग करते हैं, इब्रानी धर्मशास्त्र में नहीं है परन्तु यह केवल बाल (Ball) से संदर्भित पदों में ही मिलता है (यशायाह 65ः11; यहोशू 11ः17)। इसे लगभग 600 वर्षों बाद जोड़ा गया जब सुसमाचार गौट लैंड पहुंचा, जहां सूर्य की ईश्वर के रूप में उपासना होती थी। हम किसी भी उपासना की वस्तु को गॉड (ईश्वर) कह सकते हैं, चाहे वह मूर्मि हो या पत्थर, लकड़ी, धातु या मनुष्य ही क्यों न हो।
शैतान के बहुत से नाम हैं और उसके स्त्री रूप भी हैं। गॉड (ईश्वर) एक व्यापक शब्द है। एलशद्दई और इलोहिम जिसका अर्थ सर्वशक्तिमान है, वे उनकी उपाधि, पदवी व विशेष गुण हैं, परन्तु उन्होंने कहे कि मेरा नाम यहवह (YHWH) है, जिसका उच्चारण याहवेह (YAHUAH) याहुएह (YAHUEH, याहोवाह (YAHOVAH, या याहुआह (YAHUVAH) है जिसका अर्थ है स्वविद्यमान (Self Existent) और अनन्त (निर्गमन 6ः3; भजन संहिता 83ः18)। यहां तक कि जिहोवाह (JEHOVAH) भी ठीक नहीं है, क्योंकि इब्रानी भाषा में जे (J) अक्षर नहीं है। जीसस और जिहोवाह (Jesus and Jehovah), आजकल के आविष्कार हैं। कोई भी नहीं चाहता कि उनके नाम के गलत हिज्जे (Mis Spelt) किये जाएं या उसका गलत उच्चारण किया जाए। धर्म के ठेकेदार धार्मिक लोग, धर्मशास्त्र में आए व्यक्तिगत इब्रानी नाम ‘‘याहवेह’’ के साथ कोई छेड़खानी व शरारत नहीं कर सके (यशायाह 42ः8) तथापि जब धर्मशास्त्र का अनुवाद, मूल इब्रानी भाषा से लेटिन, जर्मनी, और अंग्रेजी भाषाओं में हुआ, तो सैकड़ों नामों और बहुत से शब्दों की शल्यचिकित्सा कर दी गई। गॉड, गॉट, गेटन (God, Gott, Gatten) का अर्थ है सहायक होना या साथी। इस भाषा में इसका अर्थ होता है, पति, पत्नी (Consort) या सपाउज और अंग्रेजी में इसका उपयोग, पैदा करना, पैदा किया या पैदा किया हुआ इत्यादि के लिये होता है। याहवेह के लिये गॉड (GOD) शब्द का उपयोग करना बहुत बड़ा मूर्तिपूजक कार्य है (यिर्मयाह 23ः27)। अभाग्यवश धर्मशास्त्र में याहवेह का नाम लॉर्ड (Lord) शब्द से 6823 बार बदल दिया गया है।
याहूस (Yahoos): अन्य विश्वास के विधर्मी लोगों द्वारा यहवह (YHWH) के अनुयाईयों को अनादरपूर्वक याहूस कहकर बुलाया जाता था, इसलिये याहवेह के नाम को लेना वर्जित कर दिया गया, जिसका दण्ड पत्थरवाह करके मार डालना था। उन्होंने ऐसा ही स्तिफनुस के साथ किया जब उसने याहवेह का नाम लिया था (प्रेरितों के काम 7ः54-58)। याहवेह ने अपना नाम लेने के लिये, हमें कभी भी मना नहीं किये हैं। केवल उन्होंने अपने नाम को व्यर्थ लेने के लिये मना किये हैं- ‘‘तू अपने परमेश्वर (याहवेह इलोहीम) का नाम व्यर्थ न लेना, क्योंकि जो याहवेह का नाम व्यर्थ ले, वह उसको निर्दोष न ठहराएगा।’’ (निर्गमन 20ः7), यहां तक कि इस स्थान पर भी अनुवादकों ने उनके नाम को बदल दिया है। यथार्थ में उन्होंने हमें उनका नाम लेने के लिये कहे हैं, जब हम आशीष देते हैं। यह ऐसा नहीं है - ‘‘प्रभु (लॉर्ड = बाल) तुम्हें आशीष दे और तेरी रक्षा करे’’, परन्तु ‘‘याहवेह तुम्हें आशीष दे और तुम्हारी रक्षा करे’’ (गिनती 6ः22,27)। नामों को बदलने का विशेष कारण यह था, कि मूर्तिपूजकों के देवी देवताओं के नाम और उपाधियों का समावेश किया जा सके, जैसे लॉर्ड (Lord) गॉड (GOD) जियुस (Jeus), और इस्तर (Ishtar) बाइब्लिओस, हदिस इत्यादि।
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