कलीसिया (चर्च) परम्परांए एंव विधर्म - इतिहास के पन्नों से - भाग 29

 इतिहास के पन्नों से

4- पर मुझे तेरे विरुद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहला–सा प्रेम छोड़ दिया है। 5- इसलिये स्मरण कर कि तू कहाँ से गिरा है, और मन फिरा और पहले के समान काम कर। यदि तू मन न फिराएगा, तो मैं तेरे पास आकर तेरी दीवट को उसके स्थान से हटा दूँगा। 7- जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्‍वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूँगा। (प्रकाशितवाक्य 2:4-5,7)

   पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं।

इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। (प्रकाशित वाक्य 1ः20)

  1. सी. ई. 300 में - (क्रिश्चियन एरा, ईश्वी, सन्) डूब के बपतिस्मा को छिड़काव के बपतिस्मा में बदल दिया गया। 
  2. सी. ई. 310 - क्रूस के चिन्ह को सैनिकों की ढालों और टोपों पर चिन्ह के रूप में अंकित किया गया और पहली बार याहशुआ युद्ध के ईश्वर बन गए।
  3. सी. ई. 321 - रोमी राजाज्ञा निकाली गई कि सूर्य - दिवस या सन डे के दिन सूर्य की आराधना की जाए, अन्यथा मृत्यु दण्ड झेलें।
  4. सी. ई. 322 - प्रथम चर्च केथेड्रल भवन का उदघाटन हुआ।
  5. सी. ई. 370 - लौदीकिया की परिषद ने एपोक्राईफा (अप्रमाणणिक ग्रन्थ) को अस्वीकार कर दिया और सब्त के मानने वालों को यहूदी धारणा वाले कहा, जो मृत्यु दण्ड के योग्य थे।
  6. सी. ई. 521 - क्रिसमस उत्सव का प्रारम्भ। 
  7. सी. ई. 600 - 1 कुरिन्थियों 14ः9 के विरूद्ध, केवल लेटिन भाषा को प्रार्थना के लिये स्वीकृति दी गई। 
  8. सी. ई. 788 - कान्स्टेन्टाईनपोल की परिषद द्वारा मूर्तिपूजा को पुनः स्थापित कर दिया गया जिसके लिये उन्होंने मूसा की दूसरी आज्ञा, विलोपित कर दिया (हटा दिया) मरियम को सह उद्धारक (छुटकारा देने वाली) और यीशु के समतुल्य ठहराकर, मरियम की आराधना करना आरम्भ की, जो रोमियों 1ः25 और यशायाह 42ः8 के विरूद्ध है।
  9. सी. ई. 965 - घंटियों का बपतिस्मा, दुष्टात्माओं को बाहर भगाने और विश्वास करने वालों को बुलाने के लिये।
  10. सी. ई. 995 - मृतक सन्तों को सन्त घोषित करना, रोमियों 1ः7, 1कुरिन्थियों 1ः2 के विरूद्ध है। हाल ही में मदर टेरेसा फहश्तिे में सबसे ऊपर है, यद्यपि भारत में लोग पहिले ही उन्हें सन्त समझते हैं।
  11. सी. ई. 998 - शुक्रवार और दूसरे लैन्ट के दिनों में उपवास करना, जोकि मत्ती 15ः11; 1कुरिन्थियों 10ः25; 1तीमुथियुस 4ः1-8 के विरूद्ध है। 
  12. सी. ई. 1229 - सामान्य जनों (Lay man) के लिये धर्मशास्त्र पढ़ना वर्जित
  13. सी. ई. 1414 - चेलीस (प्याला, कप या कटोरा), सामान्य जन ( Laity) के लिये वर्जित। 
  14. सी. ई. 1545 - चर्च की परम्पराओं को धर्मशास्त्र के बराबर घोषित किया गया, यह मत्ती 15ः6, मरकुस 7ः7-13; कुलुस्सियों 2ः8 के विरूद्ध है। 
  15. सी. ई. 1580 - पोप के पद को -प्रभु परमेश्वर’’ (Lord God) घोषित किया गया।
इस लेख को पढ़ने वाले सभी प्रार्थना योद्धा साथियों आपसे मेरा नम्र निवेदन है कि यदि आपको यह लेख सही लगे तो रूके नही सबसे इसे शेयर करें ताकि यह अति कटू सत्य विश्वास करने वाले सभी साथियों तक पहुच जाये ताकि यह वचन पूरा हो सके। 

"तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।” (यूहन्ना 8:32) 



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