विश्वास योग्य दास का दृष्टान्त
विश्वास योग्य दास का दृष्टान्त
सन्दर्भ: मत्ती 24ः45-51 - ‘‘सो वह विश्वायोग्य और बुद्धिमान दास कौन है, जिसे स्वामी ने अपने नौकर चाकरों पर सरदार ठहराया, कि समय पर उन्हें भोजन दे? धन्य है, वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए। मैं तुम से सच कहता हूं; वह उसे अपनी सारी संपत्ति पर सरदार ठहराएगा।
परन्तु यदि वह दुष्ट दास सोचने लगे, कि मेरे स्वामी के आने में देर है। और अपने साथी दासों को पीटने लगे, और पियक्कड़ों के साथ खए पीए। तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन आएगा, जब वह उस की बाट न जोहता हो। और ऐसी घड़ी कि वह न जानता हो, और उसे भार ताड़ना देकर, भाग कपटियों के साथ ठहराएगा, वहां रोना और दांत पीसना होगा।’’
लूका 12ः41-46 - ‘‘तब पतरस ने कहा, हे प्रभु क्या यह दृष्टान्त तू हम ही से या सब से कहता है। प्रभु ने कहा, वह विश्वास योग्य और बुद्धिमान भण्डारी कौन है, जिसका स्वामी उसे नौकर चाकरों पर सरदार ठहराए कि उन्हें समय पर सीधा दे। धन्य है वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए। मैं तुम से सच कहता हूं; वह उसे अपनी सब संपत्ति पर सरदार ठहराएगा।
परन्तु यदि वह दास सोचने लगे, कि मेरा स्वामी अपने में देर कर रहा है, और दासों और दासियों को मारने-पीटने और खाने-पीने और पियक्कड़ होने लगे। तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन कि वह उस की बाट जोहता न रहे, और ऐसी घड़ी जिसे वह जानता न हो आएगा, और उसे भारी ताड़ना देकर उसका भाग अविश्विासियों के साथ ठहराएगा।’’
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