कलीसिया (चर्च) परम्परांए एंव विधर्म - मैं क्या करूं? - भाग 30

 मैं क्या करूं?

4- पर मुझे तेरे विरुद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहला–सा प्रेम छोड़ दिया है। 5- इसलिये स्मरण कर कि तू कहाँ से गिरा है, और मन फिरा और पहले के समान काम कर। यदि तू मन न फिराएगा, तो मैं तेरे पास आकर तेरी दीवट को उसके स्थान से हटा दूँगा। 7- जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्‍वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूँगा। (प्रकाशितवाक्य 2:4-5,7) 

   पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं।

इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। (प्रकाशित वाक्य 1ः20)

  1. परम प्रधान को साधारण रीति से कहे जाने वाले - प्रभु या ईश्वर सम्बोधन बन्द करें और उन्हें उनके सही नाम अर्थात याहवेह हमारे इलोहिम, कहकर सम्बोंधित करें
  2. झूठे नाम ‘‘प्रभु यीशु ख्रीष्ट’’ (Lord Jesus Christ) में प्रार्थना करना बंद करें और उनके सही मूल नाम में अर्थात याहशुआ, मसैय्याह, मालिक और उद्धारकर्ता सम्बोधित करके प्रार्थना करें
  3. मूर्तिपूजक परम्परानुसार रविवार (सूर्य दिवस, ) पर झूठी आराधना बंद करें और अपने सृष्टिकर्ता से, सब्त को मानकर अपना सम्बन्ध पुनः स्थापित करें।
  4. मूर्तिपूजक परम्परानुसार क्रिसमस और ईस्टर मनाना बन्द करें और ठहराए गए पर्वो को मानना आरम्भ कर दें। वर्ष 2023 में (1) फसह (लांघन) का पर्व - 5 अप्रैल (2) पिन्तेकुस्त - 28 मई (3) तुरहियों का पर्व -16 सितम्बर (4) प्रायश्चित का पर्व - 25 सितम्बर (5) झोपड़ियों का पर्व - 30 सितम्बर से 6 अक्टूबर आप इन्टरनेट पर यहूदी केलेन्डर से तारीखें प्राप्त कर सकते हैं।
  5. याहवेह के लिखित वचन को बाइबिल कहना छोड़ दीजिये इसके बदले आप उसे धर्मशास्त्र या लिखित वचन कह सकते हैं।
  6. अपने प्रार्थनाओं को ‘‘आमीन’’ कहकर समाप्त न करें जो मिसर में सूर्य देवता का नाम है, परन्तु उसका उच्चारण ‘‘औमीन  "Awmeen’’करें। मसैय्याह ने अपने आपको यही कहकर बुलाया है, जिसका वास्तविक अर्थ ‘‘सत्य’’ या ‘‘ऐसा ही हो’’ है। (प्रकाशित वाक्य 3ः14)
  7. ग्लोरी (Glory) शब्द का कहना भी बन्द करें। जिसका अर्थ सूर्य के चारों ओर गोल आभामण्डल है। ग्लोयिा, अर्धनग्न रोमी देवी का नाम है, जो राशि चक्र के चिन्हों से घिरी हुई है। इब्रानी शब्द काबोद/ का अर्थ है आदर और सम्मान। 
  8. इन जैसे शब्दों का उपयोग भी बन्द कीजिये जैसे - पवित्र (Holy) पवित्र माना जाए (Hallowed) पवित्र (Sacred) और पवित्रीकृत (Sanctified), जिनका अर्थ हम पवित्र समझते है परन्तु वह हेलो के लिये, पूर्तिपूजा के लिये (यशायाह 66ः11), कब्रस्तान व मृतकों के लिये और यहां तक कि वेश्याओं के लिये भी उपयोग में लाया जाता है। इब्रानी का शब्द ‘‘कोदेश’’ का अर्थ है ‘‘अलग किया हुआ’’ जो कि अच्छे और बुरे दोनों के लिये हो सकता है। ‘‘रूआच हा कोदेश (Ruach ha qodesh) का अर्थ है ‘‘अलगाव की आत्मा’’ (Sprit of Apartnes) या ‘‘अलग की गई आत्मा’’ (Set-apart Sprit)।
  9. ‘‘चर्च’’ शब्द का उपयोग भी बन्द करें जिसका आमतौर पर अर्थ - एक भवन है। उसे आप एक असैम्बली, कांग्रीगेशन या केवल सभा कह सकते हैं।
  10. दिनों और महिनों को गिनती के अनुसार पुकारें बनिस्बत इसके कि उन्हें दुष्टात्मा देवी देवताओं के नामों से पुकारें।
  11. स्मरण रखिये आपके दसवांश गरीबों, अनाथों, विधवाओं और अन्यजातियों के छुटकारे के लिये है। धनी जन को अलग से प्रेरितीय सेवा में लगे लोगों के लिये दान देना चहिए। 
  12. अपनी कलीसिया चर्च को ब्राम्हण जैसी प्रवृत्ति वाले क्लर्जी व पुरोहितो से युक्त करलें और पांच तरह के वरदानों वाली सेवकाई से युक्त प्राचीनों को आदर दीजिये। यह पूरी इक्लीसिया को राजकीय याजक बनाने में योगदान देगा, केवल लेमेन या सामान्य पुरूष बने रहने के लिये नहीं।
  13. दि आपका चर्च आज्ञा मानने से नही करता है, तब याहशुआ की पुकार को सुनिये, ‘‘हे मेरे लोगो, उसमें से निकल आओ, कि तुम उसके पापों में भागी न हो और उसकी विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पडे़’’ (प्रकाशित वाक्य 18ः4)। और अपनी गृह कलीसिया आरम्भ कर दें। स्मरण रखिये आप किसी चर्च के सामान्य जन या लेमेन नहीं है, परन्तु मसैयानिक इक्लीसिया के राजकीय याजक हैं, और इसलिये अभिषिक्त किये गए हैं कि ऐसे फल लांए जो बने रहें।
  14. एक दूसरे को ‘‘शालोम अलैइखेम’’ कहकर अभिवादन करें, जिसका अर्थ है ‘‘आपको शान्ति मिले’’ जैसा हमारे नासरत के याहशुआ ने किया, बनिस्बत इसके कि जैसा हम आजकल कहते है ‘शुभ प्रभात‘ या शुभ संध्या’’ (Good Morning And Good Evening)।


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