कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भाग 3

पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं।

इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। (प्रकाशित वाक्य 1ः20)

पुराना नियम और नया नियम वैवाहिक इकरारनामे हैंः 

याहवेह तलाक से घृणा करते हैं (मलाकी 2ः16)। शैतान की यह रणनीति रही है कि वह विावाह की लिखित प्रतिज्ञाओं में से उन नियमों को, ‘‘जिनमें धोके की कोई गुंजाइश नहीं है’’ अर्थात दस आज्ञाओं को नष्ट करदे, ताकि याहवेह (यहोवा) और उनकी दुल्हिन इस्राएल के बीच तलाक को लाया जा सके। ‘‘क्योंकि तेरा कर्त्ता तेरा पति है, उसका नाम याहवेह है’’ (यशायाह 54ः5, यर्मियाह 13ः23)। 
यह विवाह सीनै पर्वत पर हुआ, जब याहवेह ने कहे, ‘‘इसलिये अब यदि तुम निश्चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा को पालन करोगे, तो सब लोगों में से, तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे’’। और लोगों ने भी प्रत्युत्तर दिया, ‘‘जो कुछ याहवेह ने कहा है, वह हम नित करेंगे’’ (निर्गमन 19ः5-8)। उस समय से उसने अपना नाम, पति के नाम पर ले लिया और उसे याहुदीम पुकारा जाने लगा, जिसका अर्थ है, ‘‘जो याहवेह की है’’ यिर्मियाह 3ः8)। 
इस दृढ़ निश्चित कार्य के बाद वहां विवाह-भोज भी हुआ (निर्गमन 24ः11)। परन्तु बहुत जल्द याहवेह को अपनी विश्वासघातिनी पत्नि को त्यागपत्र देना पड़ा। याहवेह, सम्बन्ध बनाए रखने वाले हैं, और उनके दिल की आवाज थी कि, ‘‘मुझे ईशी (मेरा पति Ishi) कह और बाली (प्रभु) मत कह’’ (होशै 2ः6, 19-23)। 

वैवाहिक इकरारनामा जो याहशुआ और उनकी पत्नि इक्लीसिया के बीच हुआ था, और जिस पर उनके लहू की मुहर लगी थी, असम्बद्ध हो गया, क्योंकि डायब्लेस (Diblos) अर्थात धोका देने वाले शैतान ने, वही काम याहशुआ और उनकी दुल्हिन, इक्लीसिया के साथ किया। हम स्टॅक मार्केट के सांड के जरिये अभी तक धन और सोने के बछड़े की पूजा कर रहे हैं, आप जैसे जैसे अगे पढ़ते जाएंगे, आपको यह मालूम होता जाएगा कि किस प्रकार शैतान इस पवित्र विवाह में विध्न डालने में सफल हुआ। (प्रकाशित वाक्य 17ः1-6; 18)

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