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Showing posts from February, 2020

प्रार्थना यात्रा और आत्मिक मल्ल-युद्ध / Prayer Walking And Spiritual Warfare

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प्रतिदिन, प्रति रविवार, प्रति अवकाश दिवस Every day - Every Sunday - Every Holiday आदेश: इसलिए तुम जाकर सम्पूर्ण सृष्टी को सुसमाचार सुनाओ ( मरकुस 16ः 15 )। ...ताकि अब कलीसिया के द्वारा परमेश्वर का नाना प्रकार का ज्ञान, उन प्रधानो और अधिकारियों पर, जो स्वर्गीय स्थानों में है, प्रगट किया जाएं ( इफिसियों 3ः 10 )।... क्योंकि सारी सृष्टी बड़ी उत्सुकतापूर्वक ‘‘शांति के संतानों’’ के प्रगट होने की प्रतीक्षा कर रही है। (रोमियों 8ः 19) कारण: जब लूसिफर ने घमण्ड में आकर विद्रोह किया और अनुग्रह से गिर गया, तब एक तिहाई स्वर्गदूत जो उसके आधीन थे, वे भी उसके साथ गिराए गये। ये दुष्ट स्वर्गदूत अब लोगों को नाश करने में व्यस्त हैं। सारी दुष्टात्माएं जानती हैं कि उन्हें नरक में जाना है इसलिये वे अधिक से अधिक लोगों को अपने साथ ले जाना चाहती हैं। शैतान के पास लोगों को नाश करने की बहुत सी योजनाएं और छः हज़ार साल का अनुभव भी है, इस कारण बड़ी सतर्कता की जरूरत है। चाहे आप जाने या न जाने और आप इसे पसंद करें या नहीं करें पर युद्ध जारी है। इस युद्ध में या तो शैतान आपको नाश करेगा या फिर आप उसे नाश करे...

महीने का तीसरा शुक्रवार / Third Friday of the Month

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महीने का तीसरा शुक्रवार प्रार्थना विषय: क्षेत्रीय आत्माओं के विरूद्ध युद्ध प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा मेरे दाहिने बैठ जब तक कि मैं तेरे शत्रुओं को तेरे पैरों की चैकी न बना दूं। (प्रेरितों के काम 2ः 34-35) शैतान ने क्षेत्रीय प्रतिनिधी नियुक्त किये हैं जो प्रधानताएं, शक्तियां और अंधकार के शासक कहलाते हैं। वे अपने क्षेत्र की शैतानी कार्यवाही का नियंत्रण करते हैं। उनका क्षेत्र एक देश या एक राज्य या एक शहर हो सकता है। उनके नीचे हजारों दुष्टात्माएं उनकी आज्ञा का पालन करते हैं। (इफिसियों 6ः 12) जब दानिय्येल ने, बाबुल में यहूदी लोगों की गुलामी से रिहाई हेतु उपवास और प्रार्थना किया तो अदृश्य दूतों का युद्ध आकाश में आरम्भ हो गया। क्षेत्रीय प्रधान जो फारस का राजकुमार कहलाता था, उसने परमेश्वर द्वारा दानिय्येल के पास भेजे गए स्वर्गदूत को रोका। तब प्रधान स्वर्गदूत मीकाएल ने दुष्टता के प्रधान से संदेश वाहक को छुडाया। पौलुस ने शैतान को आकाश के अधिकार का शासक बताया और हमें आदेश दिया कि उनके प्रधानों तथा अधिकारियों को परमेश्वर के नाना प्रकार के ज्ञान प्रगट करो। (दानिय्येल 10ः 12-13, ...

प्रार्थना करने के कुछ सुझाव / Some Suggestions On How To Pray

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प्रार्थना करने के कुछ सुझाव  Some Suggestions On How To Pray अब सब से पहिले मेरा अनुरोध यह है कि विनती और प्रार्थनाएं , निवेदन तथा धन्यवाद सब मनुष्यों के लिए अर्पित किए जाएं। (1 तीमुथियुस 2ः 1) 1. आराधना: सच्ची आराधना गृहण योग्य भेट चढ़ाने के साथ की जाती है। हमें आदेश दिया गया है कि ‘‘यहोवा के नाम के योग्य उसकी महिमा करो, भेंट लेकर उसके सम्मुख आओ। पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा की आराधना करो (1 इतिहास 16ः 29)।’’  जब यहूदी आराधना करने के लिये मंदिर आते थे तो पहिले बलिदान चढ़ाते थे तत्पश्चात वे मंदिर परिसर में प्रवेश करके प्रार्थना याचना करते थे। मंदिर मे बिना बलिदान चढ़ाये प्रवेश वर्जित था (व्यवस्थाविवरण 16ः 16)। अब हम याजक हैं इसलिये हम भी अन्य जातियों को भेट के रूप में पहिले प्रभु के पास लायें उसके बाद ही हमारी प्रार्थना याचना सफल हो सकती है (रोमियों 15ः 16)। परमेश्वर की आराधना न इस आराधनालय में और न उस भवन में परन्तु जब भी और जहाँ भी दो या तीन अराधक आत्मा और सच्चाई से उसके नाम पर एकत्रित होते है तो प्रभु वहाँ उपस्थित हो जाते हैं और उसे बान्धने और खोलन...

गृह कलीसिया / THE HOUSE CHURCH

गृह कलीसिया पारिवारिक कलीसिया: गृह कलीसिया नये नियम की कलीसिया का वासतविक नमूना है। प्रभु के स्वर्गरोहण के तीन सौ वर्षो तक कलीसिया विश्वासियों के घरों में मिला करती थी। 322 ईस्वी में राजा कान्सटेन्टाइन ने रोम में एक विशाल आराधनालय बनवाया और वेतनधारी प्रचारक नियुक्त किया और रविवारीय आराधना शुरू किया जिससे विश्वासियों का प्रतिदिन घरों में एकत्र होना समाप्त हो गया। स्वयं सेवक प्राचीनों का वर्चस्व भी खतम हो गया। (प्रेरितों के काम 2ः 41-47) गृह कलीसिया प्रतीदिन की कलीसिया: गृह कलीसिया में विश्वासी केवल रविवार को ही नहीं परन्तु निरंतर मिला करते थे। वे आराधना, वचन का अध्ययन, प्रार्थना और साथ में भोजन करते थे। वे एक दूसरे को जल संस्कार देते थे तथा चिन्ह और चमत्कार प्रगट होते थे जिससे लगातार नये विश्वासी जोड़े जाते थे। गृह कलीसिया प्रत्येक जन की कलीसिया: जब वे एकत्रित होते थे तो सब लोग सक्रियता से भाग लेते थे। कोई भजन लाता था तो कोई प्रकाशन या भविष्यवाणी या स्वप्न या दर्शण की बातें इत्यादि। वचन का अध्ययन भाषण के रूप में पास्टर के द्वारा नहीं परन्तु वार्तालाप के द्वारा होता था। सभी उप...

गृह कलीसिया क्या है ? / What is a House CHURCH?

1. यीशु मसीह ने कहा ‘‘जब दो या तीन मेरे नाम से एकत्र हों मैं उनके बीच में उपस्थित  हूँ। छोटा या बड़ा, जब विश्वासी किसी भी समय और किसी भी स्थान पर एकत्रित होते हैं तो वह चर्च है। (मत्ती 18ः 20) 2. एक परिवार के समान, गृह कलीसिया में निर्धारित कार्यक्रम नहीं होता जब कलीसिया मिलती है तो वे वचन का अध्ययन, भोजन की सहभागिता और प्रार्थना करते तथा सब कुछ एक साथ मिल कर करते हैं। (प्रेरितों के काम 2ः 42-47) 3. एक गृह कलीसिया केवल एक बाइबल कक्षा या एक प्रार्थना ईकाई नहीं होती, परन्तु एक सम्पूर्ण चर्च, जहाँ पर, शिष्य बनाना, जल संस्कार देना, रोटी तोड़ना, सासांरिक आशीषों को बांटना, विवाह, मुर्दे गड़ाना या जिन्दा करना आश्चर्यकर्म प्रगट होते हैं। यहाँ आत्मा के वरदान पूरी तरह कार्यरत होते हैं। 4. चर्च मसीह की दुल्हन है इस कारण वह फलदायक और गुणित ;डनसजपचसलद्ध होते है। यथार्थ में गृह कलीसिया एक प्रसूतिकक्ष है जहाँ पर नये शिशु कलीसियाएं निरंतर जन्म लेते हैं। (प्रेरितों के काम 9ः 35) 5. एक गृह कलीसिया परमेश्वर की गृहस्थी है, इसमें हर एक सदस्य भाग ले सकता है। कोई भजन लाता, कोई शिक्ष...

प्रार्थना आसन / Prayer Postures

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‘‘एलिजाबेथ एल्वीस के पराक्रमी योद्धा से उद्धरित’’ आप किसी भी आसन में प्रार्थना करें आपका हृदय परमेश्वर के साथ सिद्ध होना चाहिये। किसी आसन को आदत न बनाए। हर एक परिस्थिति में आत्मा में प्रार्थना करें। Adopted from Becoming a Prayer Warrior by Elizabeth Alves In whatever posture you pray, your heart should be right with God. Do not make any posture as a ritual. In every situation pray in spirit.

विश्वव्यापी प्रार्थना विस्फोट / GLOBAL PRAYER EXPLOSION

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मिशनों के कब्रिस्तान से दाख की बारी में परिवर्तन हाल ही में विश्व्यापी प्रार्थना आन्दोलन में आशचर्यजनक विकास हुआ है जिसके कारण से कलीसियाओं की संख्या में विस्फोटक वृद्धि हुई है। जब भी कलीसिया रोपण आन्दोलन होता हैं वहाँ पहिले प्रार्थना आंदोलन होता है। 1990 में 100 से भी कम प्रार्थना चेन विश्व स्तर पर थे, परन्तु आज कम से कम 4,000 चैबीस घन्टों निरंतर प्रार्थना करने वाले केन्द्र हैं। 1. 1960 में 70 प्रतिशत मसीही अमेरिका और यूरोप में रहते थे, जबकि 30 प्रतिशत  मसीही गरीब देशों में रहते थे। यह स्थिति 1995 में उलटी हो गई और अब केवल 30 प्रतिशत मसीही पश्चिमी देशों में रहते हैं जबकि 70 प्रतिशत विकासशील देशों में रहते हैं। कलीसिया दिन प्रतिदिन वेग से बढती जा रही है। 2. दिसम्बर 1989 में, बर्लिन की दीवार टूट कर गिर कर चूर चूर हो गई साथ ही बहुत से देशों में साम्यवाद कम्यूनिस्म भी गिर गया। उदाहरण के लिये चीन में केवल एक लाख नामधारी मसीही 1947 में रहते थे। अब वहाँ पर गरीब नौ करोड़ प्रार्थना करने वाले मसीही हैं। उनके पास चर्च भवन नहीं, न ही मिशनरी या विदेशी पैसा, परन्तु उनके पास बहुत स...