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Showing posts from April, 2023

प्रभु की बियारी (प्रभु भोज)

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  प्रभु की बियारी (प्रभु भोज) फसलः यहूदी लोग, मिस्त्रियों के दासत्व से आजादी की यादगार में प्रतिवर्ष अपने घरों में फसह का पर्व मानते हैं। यह वह रात थी जिस दिन इस्त्राएलियों ने मूसा के साथ प्रतिज्ञा किये हुए देश की ओर लम्बी यात्रा प्रारम्भ की थी। उस रात्रि, प्रत्येक घराने ने एक मेम्ना बलिदान किया था, उसके रक्त को उन्होंने अपने-अपने घरों की चौखटों पर लगाया था और उन्होंने उस मेम्ने का मांस बिना उसकी किसी हड्डी को तोडे़ खाया था। मृत्यु का दूत यहूदियों के घरों को लांघकर आगे निकल गया था, जिनके घरों की चौखटों पर लोहू का निशान लगा हुआ था, जबकि मिस्त्रियों के घरों के सभी पहिलौठे क्या मनुष्य क्या पशुओं के सभी पहिलौठे पर गए (निर्गमन 12 अध्याय)। यहूदियों के वंशज आज भी इस फसह के पर्व को मानते है। हिन्दु भी अपने घरों की चौखटो पर यूनानी क्रूस के चिन्ह लाल स्वास्तिक को लगाते हैं। संस्कृत मे श्वास्त का अर्थ होता है ‘‘अच्छा स्वास्थय’’।  फसह का भोजन अब प्रभु की बियारी (प्रभु भोज) में बदल गयाः फसह के भोज के लिये प्रभु ने अपने चेलों को भुंजा हुआ मेम्ना, कडुवा सागपात और रोटी (अखमीरी समतल रोटी) खान...

संत पौलुस की यात्रायें और स्थापित कलीसिया

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पौलुस   जब वह दमिश्क के मार्ग पर और अधिक मसीही विश्‍वासियों को पकड़ने और बन्दीगृह में डालने के लिए जा रहा था, तब पौलुस की मुलाकात प्रभु से हुई। उसने पश्चात् किया, यीशु मसीह में विश्‍वास करते हुए उसकी ओर मुड़ गया। इस अनुभव के पश्चात्, उसने यहूदियों और मसीही विश्‍वासियों को जीवन-परिवर्तन होने वाले रूपान्तरण के बारे में निश्चय दिलाने का प्रयत्न किया। बहुतों ने उसके ऊपर सन्देह किया और अपने पास से भगा दिया। तथापि, बरनाबास जैसे मसीही विश्‍वासियों ने उसे स्वीकार किया और उसके लिए अन्यों से बातें की। ये दोनों एक साथ प्रचार यात्रा करने वाले साथी बन गए। नया नियम लिपिबद्ध करता है, कि पौलुस ने तीन मिश्नरी अर्थात् प्रचार यात्राओं को ऐशिया माइनर और यूरोप में मसीह के सन्देश को फैलाने के लिए किया था। प्रेरित पौलुस एक सुशिक्षित, शाऊल नाम का अग्रीण यहूदी था। मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान के पश्चात् यरूशलेम में रहते हुए, उसने मसीही कलीसिया को नष्ट करने के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास को किया। उसने यहाँ तक कि प्रथम शहीद स्तिफनुस की हत्या में भी भाग लिया था ( प्रेरितों के काम 7:55–8:4 )। तीन अलग-अलग यात्राओ...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - सिनेगॉग - भाग 22

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     पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) सिनेगॉग: सिनेगॉग का अर्थ कोई भवन नहीं है। यह कम से कम दस यहूदियों की मण्डली या असैम्बली है। वे इससे कम संख्या में भी इकट्ठे हो सकते हैं किन्तु ऐसी स्थिती में वे कुछ निर्णय नहीं ले सकते थे, जैस किसी रब्बी को तनख्वाह पर रखना। वे सब्त के दिन केवल आराधना नहीं करते थे, परन्तु प्रतिदिन प्रार्थना के लिये जमा होते थे, तोराह (आदेशों और हिदायतों) और भविष्यद्धक्ताओं की पुस्तकों में से सिखाने के लिये, संवाद करने, उत्सवी भोजन करने, प्राणों को दुखित करने, भजन करने और नाचने इत्यादि के लिये जमा होते थे। यह पूरी जाति के लिये, यहूदियों के जीवन को प्रतिबिम्बत करता था। वे सुबह की प्रार्थना के लिये जमा होते थे जिसे शाहारित कहते थे। और शाम की प्रार्थना को माखि और दोपहर की प्रार्थना को मिन्हाह कहते थे। वे उन लोगों के लिये लगातार प्रार्थना करते थे जो अब तक याहवेह के नहीं ह...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - तुरहियों का पर्व - भाग 21

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     पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) तुरहियों का पर्वः यह सातवें महीने के पहिले दिन मनाया जाता था। वास्तव में यह सातवां महीना बड़ा व्यस्त महीना होता था, जिसमें तुरहियों के पर्व के तुरन्त बाद में दसवें दिन को प्रायश्चित का दिन (योम किप्पूर) होता था, जब सारे इस्राएली अपने प्राणों को दुख देते थे और पन्द्ररहवे दिन से झोपड़ियों का पर्व, एक सप्ताह तक मनाया जाता था। प्रत्येक जन को इनमें भाग लेना पड़ता था और यथोचित बलिदान और चढ़ावा चढ़ाना पड़ता था।  पूरे इस्राएल में तुरहियां फूंकी जाती थी, ताकि कृषि वर्ष के अन्त का और नये कृषि वर्ष के आरम्भ का स्मरण दिलाया जा सके। मेढ़े के सींग जिसे शोफार कहा जाता था, को सम्भवतः इसहाक के बदले में मेढ़े के बलिदान की याद में उपयोग में लाया जाता था। यही बाद में यरीहो की दीवार को डहाने के लिये उपयोग में लाया गया था। शोफार बंधुआई से आजादी का उद्दघोषक है। यह प्रत्येक 5...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भोजन के नियम - भाग 20

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     पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 )  भोजन के नियम पतरस ने स्वप्न में एक दर्शन देखा जिसमें सब प्रकार के अशुद्ध पशु और पक्षी भी उपस्थित थे। उससे कहा गया कि, ‘‘उठ मार और खा’’ । परन्तु पतरस के अन्दर का यहूदी विद्रोह कर उठा। यद्यपि इस दर्शन का भोजन से कोई सम्बन्ध नहीं था। उसे एक अन्यजातीय कुरनेलियुस के घर से निमंत्रण आने वाला था। उसने इस बात को सबके साम्हने स्वीकारा, कि वह इस निमंत्रण को अस्वीकार कर देता, परन्तु दर्शन के कारण वह ऐसा नहीं कर सका। ।  "उन से कहा, तुम जानते हो, कि अन्यजाति की संगति करना या उसके यहां जाना यहूदी के लिये अधर्म है, परन्तु परमेश्वर ने मुझे बताया है, कि किसी मनुष्य को अपवित्र था अशुद्ध न कहूं" ।  ( प्रेरितों के काम 10ः28 ) शाऊल ने एक कदम और आगे बढ़कर कहा, कि आप बाजार में जो कुछ मिलता है, उसे मोल लेकर खा सकते हैं। बहुत सा मांस जो बाजार में बिकता था वह पह...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - यौन क्रिया के नियम (Sex Laws), शौच व प्रसाधन के नियम - भाग 19

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     पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 )  यौन क्रिया के नियम (Sex Laws),  शौच व प्रसाधन के नियम यौन क्रिया के नियम (Sex Laws): अन्य जातीय विधर्मी संसार में, समलिंग कामुकता, स्वच्छन्द सम्भोग, विवाह पूर्व संभोग, कौटुम्बिक व्याभिचार, पशुगमन और तलाक अधिकाई के साथ होते थे ( उत्पत्ती 19ः4,5 ), और यूनान के महान तर्कशास्त्री जैसे एरिस्टॉटल और प्लेटो और यहां तक कि पाप समर्थक लोगों पर भी पुरूषा गामी होने और मृदा की बीमारी के दोष लगाए गए। अब ये पाप या तो चर्च मण्डलियों में क्रियाशीलता के साथ फैल रहे हैं और या उन्हें चुपचाप बर्दाश्त किया जा रहा है। यह दूषित गंदे दिमागों द्वारा उत्पादित है जो देश को भृष्ट करते और उस पर श्राप ले आते हैं। धर्मशास्त्र में दी गई धर्म विधियों का कड़ाई के साथ पालन करने से अवैध यौन क्रियाओं द्वारा फैलने वाली बीमारियों, जैसे एड्स को और पीड़ित परिवारों के अकश्य दुःखों क...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - बपतिस्मा, ख़तना - भाग 18

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     पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) बपतिस्मा: यह एक वैवाहिक उत्सव है जिसमें दुल्हिन अन्य सभी विवाहार्थियों को छोड़ देती है, संसार के लिये मर जाती है, शुद्धिकरण का स्नान करती है, अपने लिये अपने पति का नाम रख लेती है, उससे लगी लिपटी रहती है और वायदा करती है कि वह उसके प्रति सदा वफादार बनी रहेगी, उसके आधीन रहेगी, और उसके लिये सन्तान उत्पन्न करेगी ( व्यवस्थाविवरण 10ः16,20 )। पति उसे वैसा ही प्रेम करने का वचन देता है, जैसा वह अपनी देह से करता है और उसकी और उनके बच्चों की हर एक आवश्यक्ता की पूर्ती करने और उनका पालन पोषण करने का भी वचन देता है ( इफिसियों 5ः21-33 )।  विवाह एक वाचा (beryth) है, जिसका अर्थ होता है काटना (Cut)। याहशुआ काट डाले गए और उनकी दुल्हिन पर उनके रक्त की मुहर लगा दी गई। पुराने नियम की वाचा को पुरूषों की खलड़ी को काटकर बांधा गया था, परन्तु नये नियम का खतना, पुरूषों और म...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - दोहरा क्रूस (डबल क्रास Double Cross), हैवन (Heaven स्वर्ग) भाग 17

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   पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 )   दोहरा क्रूस (डबल क्रास Double Cross): यूनानी शब्द ‘‘स्टाऊरोस’’ Stauros) और ‘‘ग्जूलोन’’ (Xulon) और इब्रानी शब्द आट्स (ats), का अर्थ दो बीम वाला क्रूस नहीं है, परन्तु उनका अर्थ पेड़ या स्तंभ है ( व्यस्था विवरण 21ः22,23; प्रेरितों के काम 5ः30, गलातियों 3ः13 )। सूर्य के उपासक कॉन्स्टेन्टाईन ने सूर्य या सौर क्रूस को बहुत प्रसिद्ध बना दिया, जहां सन्तों के सिरों के चारों ओर प्रभामण्डल के रूप में हेलो का गोल निशान होता था। जलता हुआ क्रक्स (Crux या क्रूस) भी एक अन्यजातीय मूर्तिपूजक चिन्ह था जिसे गुप्त आराधना के लिये उपयोग में लाते थे, जैसे एन्टी ब्लैक, एन्टी केथोलिक और सेमिटिक - कू क्लक्स क्लान (Ku, Klux, Klan) इत्यादि में भी वही होता है। सम्भवतः याहशुआ को एक स्तंभ पर लटकाया गया था, जहां उनके हाथों को उनके सिर के ऊपर ठोंका गया था, डाकुओं के बिलकुल नजदीक, जहां ...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - क्रिश्चियन (Christians), चर्च (The Church) भाग 16

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   पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) क्रिश्चियन (Christian): यह अपमानजनक शब्द, धर्मशास्त्र में तीन बार आया है। इसका स्रोत लेटिन भाषा का शब्द ‘‘क्रटिन’’ (Kretin), या स्विस-फ्रेंच का शब्द ‘‘क्रेस्तिन’’ (Krestin) है, जिसका अर्थ है ‘‘मूर्ख’’ या ‘‘जड़ बुद्धि’’ (Idiot)। चिकित्सकीय भाषाओं में, क्रेटिन उस बच्चे को कहा जाता है जो थाईराईड हारमोन की कभी के साथ पैदा होता है और जो मानसिक तौर से मध्यमार्गी और शारीरिक दृष्टि से अवरूद्ध विकास वाला होता है। अन्य जातीय लोग अपने विकास को बचाने के लिये दूसरे विश्वास को नीचे गिराते और नष्ट कर देते हैं, परन्तु याहशुआ के विश्वासीगण मूर्ख हैं जो अपने विश्वास के लिये मर जाना स्वीकार करते हैं। यहूदीम (यहूदी Jews, जा माशियाख अर्थात मसैयाह (Messiah) अभिषिक्त, (Anointed) पर विश्वास करने वाले हैं, को मसैयानिक यहूदीम कहा जाता है, या नाजरीन्स या ‘‘मार्ग के लोग’’ कहा जाता है,...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - जीसस, Jesus, याहशुआ - भाग 15

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    पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) जीसस , Jesus (हेल जीउस Hail Zeus):  हमारे उद्धारकर्त्ता का मूल नाम या, याहशुआ या याहोशु है जिसे बदलकर जीसस (Jesus) कर दिया गया। यह अक्षर ‘‘जे’’ (J) बहुत सी भाषाओं में सदियों से नहीं पाया जाता। जीसस या इसौउस (IESOUS) यूनानी खोज है। ‘यी’ (YE) का अर्थ है - हेल (Hail यह बुलाने का अभिवादन शब्द है) और सस् ( Sus) अन्तसर्ग है, जिसे उन्होंने उनके नाम के अन्त में जोड़ा, ताकि उनके देवता जीयुस को आदर मिले। जिस प्रकार अपोल्लुस, तरसुस इत्यादि में किया गया है। याहशुआ का अर्थ है - याह = याहवेह (यहोवा), और शुआ का अर्थ है बचाना। बाल और बहुत से देवताओं की पदवी ‘‘लॉर्ड’’ (The Lord), पहिले से बनी हुई है। यहां तक कि यूनानी शब्द ‘‘थियोस’’ (Theos) भी उनके देवता जीयुस के लिये उपयोग में लाया जाता था, जिससे थियोलॉजी शब्द निकला है।  अभिव्यक्ति ‘ ‘राजाओं का राजा और प्रभुओं का...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - दिन (Day) - भाग 13

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    पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) दिन  (Day) :   जब इलोहिम परमेश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी की सृष्टि की, तब उन्होंने दिनों के नाम नहीं दिये, परन्तु उन्हें सांख्यिकीय अंको द्वारा ही संबोधित किया गया। जैसे- पहिला दिन, दूसरा  दिन  और सातवां दिन जिसे उन्होंने सब्त कहा। परन्तु अब प्रत्येक दिन का नाम, किसी न किसी देवता या किसी और के नाम पर रखा गया है।  SUNDAY   रवि (सूर्य) वार : का दिन सूर्य की उपासना हेतु समर्पित किया गया। MONDAY   सोमवार (मन डे): मून या चन्द्रमा को,  TUESDAY   मंगलवार या    ट्यूसडे, टियू देवी के लिये समर्पित दिन है?  WEDNESDAY   बुधवार या वेडनेसडे , वोडन के लिये, जो कि काले जादू और भूत सिद्धि इत्यादि का देवता था, के लिये समर्पित है, जिसका प्रतीक चिन्ह सैल्टिक क्रक्स या प्रभामण्डल हेलो के साथ क्रूस था।  THURSDA...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - BIBLE बाइबिल AND गॉड (GOD) - भाग 14

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    पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) BIBLE बाइबिलः यह रूचिकर है कि यह शब्द बाइबिल, धर्मशास्त्र में कहीं भी नहीं पाया जाता। फोईनेशिया में समुद्र के किनारे सीदोन के पास बाईब्लोस नाम का एक नगर था। जहां चर्म पत्र बनाए जाते थे, ये चर्म पत्र लिखने के लिये उपयोग में लाए जाते थे। इस नगर का नाम, वहां की बहुत ही अप्रसिद्ध गर्भउर्वरता की देवी बाईब्लिया के मन्दिर के नाम पर, रखा गया था। इस लिखित वचन को धर्मशास्त्र कहने के बदले, जैसा कि याहशुआ ने कहे ( मत्ती 22ः29; मरकुस 14ः49 ), दुःख की बात है, कि यह दोधारी तलवार, जो याहवेह का जीवित वचन है, को बाइब्लिया या बाइबिल कहा गया, जिससे एक जादूगरनी डाईन को आदर मिलता है।  गॉड ( GOD ): यह शब्द गॉड  GOD  ¼ GAD ½  जिसे हम परमेश्वर के लिये उपयोग करते हैं, इब्रानी धर्मशास्त्र में नहीं है परन्तु यह केवल बाल ( Ball ) से संदर्भित पदों में ही मिलता है (...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - CALANDER कैलेन्डर - भाग 12

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 धर्मशास्त्र के अनुसार  कैलेन्डर  और  महिनों के नाम     पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 )                कैलेन्डर: प्रारम्भ में महीनों की गिनती नये चांद के हिसाब से होती थी क्योंकि याहवेह ने आदेश दिये थे कि सूर्य और चन्द्रमा इसलिये बनाए गए हैं, कि वे नियम समयों, दिनों और वर्षों के कारण हों (उत्पत्ति 1ः14)। एस्तर की पुस्तक की पुस्तक में, बाबुल और फारस के प्रभाव के कारण, नक्षत्रीय ग्रहों के नाम सम्मिलित किये गए हैं। प्रारम्भ में केवल दस माह थे, जो साधारणतः केवल संख्या के अंक ही थे, जैसे सितम्बर (7वां), अक्टूबर (8वां), नवम्बर (9वां), दिसम्बर (10वां)। जूरियस कैसर ने सिकन्दरिया वासी एक ज्योतिषी को जिसका नाम सोसिजेनिस था, नियुक्त किया, जिसने वो महीने, जनवरी तथा फरवरी और जोड़ दिये। जूलियन कैलेन्डर, को बाद में और परिवर्तित किया गया और उसे...