भाग 2 सुसमाचार प्रचार की आवश्यक्ता

 भाग 2 सुसमाचार प्रचार की आवश्यक्ता


(1) आवश्यक्ताः सामान्यतः यह देखा गया है कि यदि कोई कार्य मनुष्य करता है तो उसकी आवश्यक्ता होना जरूरी है। यदि कोई कार्य हम करते है और उसकी आवश्यक्ता न हो तो वह कार्य व्यर्थ ठहरता है। हम इसको इस बात से समझ सकते है। कि किसी छोटे से गांव में बड़े-बड़े दुकान, बड़े-बड़े मकान बनवा दिये जाएं परन्तु उनको खरीदने वाला उसमें कोई न हो तो वह सारी बातें व्यर्थ ठहरती हैं। इसी प्रकार प्रचार की आवश्यक्ता नहीं होता तो प्रचार करना भी व्यर्थ ठहरता। परंतु प्रचार की भी आवश्यक्ता है। लूका 10ः2-3 ‘और उसने कहा पके खेत तो बहुत हैं परंतु मजदूर थोड़े है। आज भी बहुत से लोग जिनको पहले से परमेश्वर ने चुना है उनको सिर्फ परमेश्वर का वचन सुनाना है। वे परमेश्वर के वचन को ग्रहण कर सकते हैं। परमेश्वर के वचन को सुनाने की आवश्यक्ता है।

(अ) नीनवे की आवश्यक्ताः नीनवे शहर को सिर्फ परमेश्वर के वचन सुनाने वालो की आवश्यक्ता थी परमेश्वर ने नीनवे शहर में जब योना नबी को भेजा तो योना नहीं जाना चाहता था परन्तु जब दूसरी बार परमेश्वर का वचन उसके पास पहुंचा तब योना वहां गया। योना 3ः1 ‘‘तब यहोवा का वचन योना नबी के पास दूसरी बार पहुंचा उठकर उस बड़े नगर नीनवे को जा और जो बात मैं तुमसे कहूं उकसा प्रचार कर।’’ और जब उसने प्रचार किया तो नीनवे जो बड़ा शहर था बच गया। सिर्फ नीनवे को एक प्रचार की आवश्यक्ता थी। प्रचार के द्वारा शहर के लोगों को बचाने की आवश्यक्ता थी।

(ब) खोजा की आवश्यक्ताः प्रेरितो के काम 8ः26 ‘‘परन्तु प्रभु का एक स्वर्गदूत फिलिप्पुस और दक्षिण की ओर उस मार्ग पर जा जो कि यरूशलेम से गाजा की ओर जाता है।’’ प्रेरितों के काम 8ः27-28 इथोपिया देश का खोजा था उस देश की रानी का मंत्री व कोषाध्यक्ष था वह आराधना करने यरूशलेम आया था और यशायाह नबी की पुस्तक पढ़ रहा था। तब फिलिप्पुस ने उसे पढ़ते देखकर पूछा - जो तू पढ़ रहा है उसे समझता भी है। तब खोजे ने कहा जब तक कोई मुझे न समझाए तब तक मैं कैसे समझ सकता हूँ।

तब फिलिप्पुस ने उसे प्रभु यीशु का सुसमाचार सुनाया। और खोजा ने प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास किया प्रेरितों के काम 8ः35। इस प्रकार हम देखते हैं कि मनुष्य को परमेश्वर की बातें समझाने के लिए एक शिक्षा की आवश्यक्ता है। खोजा जो पढ़ रहा था वह नहीं समझ रहा था। खोजा यशायाह भविष्यवक्ता की पुस्तक से पढ़ रहा था ’’वह वध होने वाली भेड़ के समान ले जाया गया। जैसे मेमना ऊन कतरने वालों के सामने चुपचाप रहता है, वैसे उसने भी अपना मुंह न खोला। दीनता की दशा में उसका न्याय नहीं होने पाया। उसके पीढ़ी के लोगों का वर्णन कौन करेगा? क्योंकि पृथ्वी पर से उसका जीवन उठा लिया गया’’। इस पद को खोजा नहीं समझ रहा था परंतु खोजा पद को पढ़ रहा था जो कि प्रभु यीशु मसीह के विषय में लिखा था। और फिलिप्पुस ने समझाया खोजा समझ गया और प्रभु यीशु से सुसमाचार को ग्रहण किया।

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