कोरोना - देवताओं को ध्वस्त करने का शस्त्र

कोरोना - देवताओं को ध्वस्त करने का शस्त्र


3500 साल पहिले मूसा के परमेश्वर ने दस महामारियों से मिस्र देश के सभी प्रमुख देवी देवताओं को ध्वस्त करके अपनी महानता को पुन: स्थापित किया था।

सर्प देवता: फिरौन के सिर का सोने का मुकुट एक नाग सांप के आकार में बना था जो शैतान का प्रतीक होकर राजा पर प्रभुता करता था। मूसा के सांप ने फिरौन के जादूगरों के सभी सांपों को निगलकर मूसा के परमेश्वर की श्रेष्ठता साबित की।

नदी देवता: नील नदी जो आज हमारी गंगा की तरह पूजनीय थी। मिस्रियों का बिश्वास था कि उसमे पवित्र स्नान से आपको सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है। हारून ने एक डंडा मारा तो सारे जल जंतु और मछलियाँ जिसे वे देवता मानते थे, मरकर उस नील नदी को बदबूदार खून के समान लाल नदी में बदल दिया। इससे ये साबित हो गया कि मुक्ति नदी में स्नान करने से नहीं लेकिन सच्चे परमेश्वर पर बिश्वास करने से प्राप्त होती है।


सूर्य देवता: तुतनखामुन नाम के प्रसिद्ध फिरौन बादशाह सूर्य देवता का निष्ठावान पुजारी था। तीन दिनों के घोर अंधकार ने सूर्य देवता को पूरी तरह ध्वस्त कर साबित कर दिया कि मूसा का परमेंश्वर सृष्टिकर्ता है और सूर्य मात्र सृष्टी है। (उत्पत्ति 1:14-19; निर्गमन 10:21-29)

देवता के रूप में शासक : अधिकांश शासकों की तरह, फिरौन भी अपने को देवता मानता और व्यवहार करता था। फिरौन ने घमंडपूर्वक मूसा और हारून को जवाब दिया था, “यह कौन सा परमेश्वर है, जिसकी बात मैं मानूँ और इस्राएल को जाने दूं? किन्तु प्रत्येक मुठभेड़  के बाद, उसकी दिव्यता और महानता कम हो होती गई और अंततः वह जान गया कि मूसा का परमेश्वर परमप्रधान है जो मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है। तब फिरौन ने मूसा से मिस्र से निकल जाने के लिए बाध्य किया। (निर्गमन 5: 1,2; 12:31,32)

वर्षा एवं बैल देवता : जो मनुष्यों और मवेशियों के लिए चारा उपलब्ध कराते थे। असामान्य बारिश और विशाल ओलों ने सभी जानवरों को मार डाला और उनकी खड़ी फसलों को नष्ट कर दिया था। इस प्रकोप ने यह साबित कर दिया कि ये देवता मूसा के परमेश्वर के सामने शक्तिहीन और असमर्थ हैं। उस समय गोशेन नगर में जहाँ इज़राइली नील नदी के किनारे रहते थे, वहाँ कोई छती या हानि नहीं हुई। 

छोटे देवता: मिश्री भिन्न भिन्न लघु देवतावों को, जैसे मेंढक, जूं, मक्खियाँ, टिड्डियाँ आदि की भी पूजा करते थे। ये पूजा वे अपनी फसलों को नुकसान से बचाने के लिए करते थे। ये सब देवता भी ध्वस्त हो गए।

पहलौठा बेटा: प्रायः हर संस्कृति में पहलौठा वारिस तथा मुखिया होता है। अंततः, क्या मनुष्य, क्या पशु, सब पहिलौठे मारे गए। यूसुफ के नेतृत्व के दौरान मिश्र सबसे धनि, शक्तिशाली और संस्कृतिक रूप से अपने चरम पर था। किन्तु जो गौरव उन्होंने उस समय इस्रालियों के जाने से खोया उसे आज तक नहीं पाया। हाल ही में इजरायल से दो युद्धों में शर्मनाक हार से रही सही इज्जत भी गवां दी।

पहली 9 विपत्तियां: केवल मिस्रियों के लिए थीं पर किन्तु दसवीं विपत्ति मिस्र और इज़राइल दोनों पर लागू थी। यदि इसराएली अपनी चौखट पर बलि के लहू को नही लगाया होता तो मिस्रियों कि तरह उनके भी पहलौठे मर जाते। केवल एक मसीही होना और चर्च कि सदस्यता पर्याप्त नहीं है। हमें परमेश्वर के अनुग्रह और उस विश्वास से कि प्रभु येशु के लहू से ही उद्धार प्राप्त होता है और फिर उसकी आज्ञाओं के अनुसार उसके राज्य की उन्नति के लिए काम करना जरूरी है। (इफ. 2: 8-10; प्रका. 5: 9,10)



कोरोना परिपेक्ष: सामान्य द्रष्टि से, कोरोना वायरस किसी कि सामाजिक, जाति, रंग, लिंग या नस्ल को देखकर हमला नहीं करता है। परन्तु क्या यह सच है?  आधुनिक देवता धार्मिक मंदिरों में नहीं रहते। प्रभु परमेश्वर बड़ी ​​सटीकता से उन पर कोरोना जैसे शक्तिशाली घातक मिसाइल से हमला कर रहा है।

मैमन (धन का देवता): लगभग सभी इस देवता कि पूजा करते है, लेकिन पवित्र शस्त्र कहता है कि आप परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते। क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा| क्योंकि धन का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है” (मत्ती 6: 21,24; 1तिमोथी 6:10)। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं, कि कोरोना ने सबसे पहले करीबन सभी पैसा कमानेवाले व्यवसायों को बंद कर दिया और बैंकों को दिवालिया कर दिया। परमेश्वर यह चेतावनी दे रहा है कि, “और कहीं ऐसा न हो कि तू सोचने लगे, कि यह सम्पत्ति मेरे ही सामर्थ्य और मेरे ही भुजबल से मुझे प्राप्त हुई। परन्तु परमेश्वर तुझे सम्पति प्राप्त करने का सामर्थ्य इसलिये देता है, कि जो वाचा उस ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर बान्धी थी उसको पूरा करे, (इब्राहीम से वाचा बाँधी कि तू दुनिया के सब परिवारों के लिए आशीष का कारण बनेगा - उत्पत्ति 12:3)। यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर दूसरे देवताओं के पीछे हो लेगा, और उसकी उपासना और उनको दण्डवत् करेगा, तो मैं आज तुम को चिता देता हूं कि तुम नि:सन्देह नष्ट हो जाओगे (व्यवस्था विवरण 8:17-19)। तय है कि हम अपने बल बूते या योग्यता द्वारा अपने परिवार को नही पालते हैं बल्कि परम प्रधान परमेश्वर हमारी और आकाश के पक्षियों, समुद्र कि मछलियों, जमीन के जानवरों, और अन्य प्राणियों की ज़रूरतों को भी प्रतिदिन पूरा करता है। (मत्ती 6:26)

धर्म देवता: यह भी एक प्रमुख देवता है जिसके नाम से बहुत बड़ा व्यापार चलता है। चाहे वह मुस्लिमानो का मक्का या मदीना की मस्जिद हो, या हिन्दुवों का सबसे धनि तिरुपति का मंदिर हो या केथोलिक ईसाइयों का वेटिकन हो, और या 40 हजार सामुदायिक (डिनोमिनेशन) चर्च हो, सभी बंद पड़े है। अनेक संस्थाएं डिजिटल होकर खाली आरधनालयों से भाषण दे रहें हैं, पर अपना बैंक अकाउंट देना नहीं भूलते। फिर भी, 63% अमरीकी पादरियों ने कबूल किया कि दान में भारी कमी आई है। शायद परमेश्वर नहीं चाहता कि उसकी कलीसिया दान दस्वांश और धन पर निर्भर हो, लेकिन पहिली शताब्दी की तरह बिश्वास पर आधारित गृह कलीसिया हो जाये। 70 साल पहिले कुछ ऐसा ही चीन देश में हुआ और अब वहां दस करोड़ बिश्वासी हो गए हैं। रेवरेंड और पासबान जान लें कि सिर्फ वे ही परमेश्वर के स्वरूप और समानता में नहीं, लेकिन आम बिश्वासी भी राजपदधारी याजक हैं। (उत्पत्ति 1:26; युहन्ना 15:16; 1पतरस 2:9)

खेल (sports) का देवता: यह देवता भी, ओलंपिक से लेकर स्लम किड्स क्रिकेट और फुटबोल क्लब के रूप में अमीर और गरीब द्वारा पूजे जाते है। आज सभी स्टेडियम जहाँ इस देवता की पूजा होती थी वे खाली पड़े हैं, और उनके चैंपियन जो लाखों करोड़ों रुपियों से खेलते थे, वे घर बैठे एक दूसरे की पीठ खुजला रहे हैं।

मनोरंजन के देवी-देवता: हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड के अभिनेता और अभिनेत्रियाँ, जो खुद को स्टार और सेलेब्रिटी कहते हैं वह भी आज खाली सिनेमा हालों को देख रहें हैं जहाँ उनकी पूजा होती थी।

भोजन का देवता: भारत में पहले लोग घर में खाना खाते थे, और शौच के लिए बाहर जाते थे। लेकिन आजकल वे बाहर खाते हैं और शौच घर में करते हैं। आज जबकी सारी खाने कि दुकाने और मौल बंद हो गए है और बहुत से लोग जो मांस के बिना खाना नहीं खाते थे, वे आज आदम और हव्वा कि तरह, सब्जी भाजी खाने के लिए बाध्य हो गए हैं। समस्या ये है कि आज न तो मांस और न ही सब्जियां आसानी से मिल रही है, ऐसे में मजदूरी और पलायन करने वाले प्रवासी भूकमरी की स्तिथी में आ गए हैं क्योंकि उनके पास भोजन खरीदने के लिए पैसे नहीं है। ऐसी स्तिथी में अमीर और भी अमीर होते जा रहे है और लाखों टन अनाज सरकारी गोदामों में सड़ रहा है, यदि कुछ नहीं किया गया तो महामारी से कम, और भूकमरी से जयादा लोग मरेंगे। कलीसियाओं के सामने ये सुनहरा मौका है कि वे जरूरतमंदों की सहायता करें।

शिक्षा का देवता: आज हर प्रकार की शिक्षा, चाहे वह वैज्ञानिक या व्यवसाई या धार्मिक हो, एक बहुत बड़ा व्यापार का केंद्र बन गया है। हमें यह बताया जाता है कि उच्च शिक्षा के बिना हम जीवन में कुछ भी सफलता प्राप्त नही कर सकतें यद्यपि 2000 साल पहले प्रभु येशु ने साधारण शिष्यों को बिना औपचारिक शिक्षा के, संसार को बदलने की योग्यता प्रदान की थी।

तकनीकि देवता: आज तकनीकि देवता हमारे जीवन के हर पहलु को प्रभावित करतें है चाहे वह व्यापार हो या धर्म हो। कुछ के लिये तो मोबाइल फोन उनके शरीर का अभिन्न अंग बन गया है। परन्तु परमेश्वर की योजना के अनुसार पूरी पृथ्वी उसकी महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र पानी भरा होता है हबकूक 2:14)। यह तभी संभव होगा जबकि एक मसीही इस शक्तिशाली हथियार का सही उपयोग करके सुसमाचार को उन लोगों तक पहुंचाएं जो अंधेरे में बैठे है और मौत के साए में चल रहे है। (मत्ती 4:16) मूल्यांकन कीजिये कि क्या आप इस साधन का सही उपयोग परमेश्वर की महिमा के लिए कर रहें या नहीं लेकिन ख्रिष्ट विरोधी ताकतें इन्हें तेजी से हथिया रहीं हैं। वह अपनी एक वैश्विक सरकार और सर्वभौमिक धर्म के द्वारा संसार के सभी लोगों को नियंत्रित करना चाहतें हैं। लेकिन धोखा न खाना, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ठटठों में नही उड़ाया जा सकता। (गलातिया 6:7)

अन्त में: क्या ये दुनियां का अन्त है ? नही! अभी नही। यह सब बातें पीड़ाओं का आरंभ हैं। (मत्ती 24:8) अभी तो बच्चा पैदा होना बाकि है। उस वक्त जब कहर आयेगी तब एक घण्टे में वह शहर जिसने उन्हें अमीर बनाया, ध्वस्त हो जायेगा, और एक उल्का पिंण्ड से घडी भर मे एक तिहाई समुद्र और पृथ्वी और जीव जन्तु नष्ट हो जायेंगे और दूर खड़े हुए लोग उसके जलने का धुंआ देखेंगे। और तब मनुष्य के पुत्र का चिन्ह आकाश में दिखाई देगा, तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ और एश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे (मत्ती 24:30) और वह अपने संतों (आत्मा बचानेवालों) को चारों दिशाओं से इकट्ठा करेगा और वे उसके साथ हमेशा राज्य करेंगे (मत्ती 24:29-31)


पुराना नियम:-

1इतिहास 21ः9-14 ‘‘(9) तब यहोवा ने दाऊद के दर्शी गाद से कहा, (10) जाकर दाऊद से कह, ‘यहोवा यह कहता है; मैं तेरे सामने तीन बातें रखता हुं; अपने लिए उनमें से एक को चुन ले कि मैं उसे तेरे लिए करूं।‘‘ (11) तब गाद ने दाऊद के पास जाकर उस से कहा, ‘‘यहोवा यह कहता है, ‘जिसे तू चाहे चुन लेः (12) या तो अकाल के तीन वर्ष, या अपने शत्रुओं के आगे तीन महीने तक नाश होते रहना जबकि तेरे शत्रुओं की तलवार तुझ पर चलती रहे, या तीन दिन तक यहोवा की तलवार चले अर्थात देश में महामारी फैले और यहोवा का दूत इस्राएली क्षेत्र में चारो ओर विनाश ढाता रहें। अब सोच ले कि मैं अपने भेजनेवाले को क्या उत्तर दूं।‘‘ (13) दाऊद ने गाद से कहा, ‘‘मैं बडे़ संकट में पड़ गया हूं; कृपा कर होने दे कि मैं यहोवा के हाथ में ही पडूं, क्योंकि उसकी करूणा महान है। परन्तु मुझे मनुष्य के हाथ में न पड़ने दे।’’

2शमूएल 24ः12-14 (12) ‘‘जा दाऊद से कह, ‘यहोवा यों कहता है; मैं तेरे सामने तीन विकल्प रखता हूं। तू उनमें से एक को चुन ले कि उसके अनुसार मैं तेरे साथ करूं’’ (13) अतः गाद ने दाऊद के पास जाकर उसे बताते हुए यह पूछा, ‘क्या तेरे देश में सात वर्ष तक अकाल पडे़ या तीन महीने तक शत्रु तेरा पीछा करते रहें और तू भागता रहे, या तेरे देश में तीन दिन तक मरी फैली रहे? अब सोच-विचार कर कि मैं अपने भेजने वाले को क्या उत्तर दूं। (14) तब दाऊद ने गाद से कहा, ‘‘मैं बड़े संकट में हूं। हम यहोवा ही के हाथ में पडे़ क्योंकि उसकी करूणा बड़ी है, पर मैं मनुष्य के हाथों में न पडूं।’’

निर्गमन 12ः7, 12-14 (7) 'इतना ही नहीं, जिन घरों में वे उसे खाएं, उनके दरवाज़ों की दोनों अलंगों तथा चैखट के ऊपरी भाग पर वे उसके लहू में से कुछ लेकर लगा दें। (12) ‘‘क्योंकि उस रात्रि को मैं मिस्र देश में से होकर निकलूंगा और मिस्र देश के क्या मनुष्य और क्या पशु दोनों के पहिलौठों को मारूंगा तथा मिस्र के सब देवताओं को भी मैं दण्ड दूंगा - मैं यहोवा हूँ। (13) और जिन घरों में तुम रहते हो उन पर वह लहू तुम्हारे निमित्त चिन्ह ठहरेगा, और मैं उस लहू को देखकर तुम्हें छोड़ता जाऊंगा, और जब मैं मिस्र देश को मारूंगा तो वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और न ही तुम नाश होगे। (14) वह दिन तुम्हारे लिए एक स्मृति-दिवस ठहरेगा और तुम उसे यहोवा के लिए पर्व करके मानना। वह दिन तुम्हारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी में सदा की विधि ठहरकर पर्व माना जाए।

यहोशू 2ः1,18,21 (1) तब नून के पुत्र यहोशु ने दो पुरूषों को जासूसी के लिए शित्तीम से गुप्त रूप से यह कहकर भेजा, ‘‘जाओ, और उस देश को विशेषकर यरीहो को ध्यान से देखो।’’ इसलिए वे गए और राहाब नामक वेश्या के घर पहुँच कर वहीं ठहरे। (18) हमारे इस देश में प्रवेश करने पर यदि तू इस खिड़की पर जिस से तू ने हमें बाहर उतारा है लाल धागों में की यह रस्सी लटका कर न रखे, तथा इस घर के भीतर अपने पास अपने पिता, अपनी माता, अपने भाईयों और अपने पिता के सारे घराने को एकत्रित करके न रखे। (21) तब उसने कहा, तुम्हारे वचनो के अनुसार हो।’’तब उसने उन्हें विदा किया और वे चले गये, और उसने लाल रस्सी को खिड़की पर बांध दिया।

यशायाह 26ः20-21 (20) आओ मेरे लोगों, अपने अपने कमरों में प्रवेश करके किवाड़ों को बन्द कर लो। जब तक कोप शान्त न हो जाए थोड़ी देर अपने को छिपा रखो, (21) क्योंकि देखो, यहोवा अपने स्थान से पृथ्वी के निवासियों को उनके अधर्म का दण्ड देने के लिए चला आ रहा है; तब पृथ्वी अपने ऊपर बहाए गए लहू को प्रकट करेगी, और घात किए हुओं को छिपा न रखेगी।

यिर्मयाह 16ः4, 9-13 (4)‘‘वे घातक बीमारियों से मरेंगे। उनके लिए न विलाप किया जाएगा न वे गाड़े जाएंगे। वे भूमि पर खाद के समान पड़े रहेंगे। तलवार और अकाल से उनका अन्त होगा। उनके शव आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के पशुओ का भोजन होंगे।’’ (9) क्योंकि सेनाओं का यहोवा इस्राएल का परमेश्वर यों कहता है, ‘‘देखो मैं तुम्हारे देखते देखते, तुम्हारे ही समय में इस स्थान से आनन्द की वाणी और हर्षोल्लास की वाणी, दूल्हे की वाणी और दुल्हिन की वाणी को मिटा देने पर हूँ। (10) ‘‘तब ऐसा होगा कि जब तू ये सब बातें इन लोगों से कहेगा तो वे तुझ से कहेंगे, यहोवा ने किस कारण ऐसी भारी विपत्तीयां हम पर डालने को कहा है? हमारा अधर्म क्या है अथवा हमने अपने यहोवा परमेश्वर के विरोध में क्या पाप किया है? (11) तब तू उन से कहना, यहोवा की वाणी है कि तुम्हारे पूर्वजों ने मुझे त्याग दिया है और अन्य देवताओं के पीछे चलकर उनकी उपासना की है और उनको दण्डवत किया है, परन्तु मुझे उन्होंने त्याग दिया है और मेरी व्यवस्था का पालन नहीं किया, (12) तुमने अपने पुरखाओं से भी अधिक बुराई की है; क्योंकि देखो, प्रत्येक अपने बुरे हृदय की ढिठाई के अनुसार चाल चल रहा है और कोई मेरी नहीं सुनता। (13) अतः मैं तुम्हें इस देश से ऐसे देश में फेंक दूंगा जिसे तुम जानते ही नही - त तुम, न तुम्हारे पूर्वज वहां तुम रात-दिन अन्य देवताओं की उपासना किया करोगे, क्योंकि मैं तुम पर कोई कृपादृष्टि नहीं करूंगा।’’ 

यिर्मयाह 34ः17,20 (17) ‘‘इस कारण यहोवा यों कहता है; तुम में से प्रत्येक ने अपने अपने भाई और अपने अपने पड़ोसी को स्वतंत्र किए जाने का प्रचार करने के सम्बन्ध में मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया है, सुनो, यहोवा की वाणी है, मैं तुम्हारे लिए ऐसी स्वतंत्रता का प्रचार करता हूं कि तुम तलवार, मरी और अकाल के हाथ में पड़ो और मैं तुम्हें पृथ्वी भर के राज्यों के लिए आतंक कारण बनाऊंगा। (20) उनके शत्रुओं के हाथों में, अर्थात जो उनके प्राण के खोजी है उन सबको उनके हाथों में कर दूंगा, और उनके शव आकाश के पक्षियों और मैदान के पशुओं का आहार हो जाएंगे।

आमोस 8ः3; 10-12 उस दिन राजभवन के गीत विलाप में बदल जाएंगे और अनेक शवों के ढेर होंगे और हर एक स्थान  में वे उन्हें चुपचाप फेंक देंगे।’’ यहोवा परमेश्वर की यही वाणी है। (10) मैं तुम्हारे पर्वो को शोक में और तुम्हारे सब गीतों को विलापगीत में बदल दूंगा, और तुम में से प्रत्येक की कटि पर टाट बन्धवाऊंगा और प्रत्येक सिर पर गंजापन लाऊंगा और तुमसे ऐसा शोक करवाऊंगा जैसा एकलौते के लिए किया जाता है, और उसका अन्त दुखद दिन सा होगा।’’ (11) प्रभु यहोवा की यह वाणी है, देखो, ऐसे दिन आनेवाले है जबकि मैं इस देश में अकाल भेजूंगा। यह अकाल रोटी या पानी का नहीं वरन यहोवा के वचन सुनने का होगा। (12) ब, और लोग समुद्र से समुद्र तक और उत्तर से पूर्व तक मारे मारे फिरेंगे। वे इधर उधर यहोवा का वचन खोजेंगे, परन्तु उसे न पाएंगे।

यशायाह 55ः11, 2ः1 (11) उसी प्रकार मेरे मुंह से निकलनेवाला वचन होगा। वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, वरन मेरी इच्छा पूरी करेगा और जिस काम के लिए मैंने उसको भेजा है उसे पूरा करके ही लौटेगा। (1) यह वचन जो आमोस के पुत्र यशायाह ने यहूदा और यरूशलेम के विषय दर्शन में पाया।

नया नियम
मत्ती 24ः21 क्येंकि ऐसा भारी क्लेश होगा जैसा न जो जगत के आरम्भ से अब तक हुआ और न कभी होगा।
प्रकाशितवाक्य 6ः8 ‘‘मैंने दृष्टि की, और देखो एक हल्के पीले रंग का घोड़ा था; उसके सवार का नाम था ‘मृत्यु’; और अधोलोक उसका अनुसरण कर रहा था। उन्हें पृथ्वी के एक चैथाई भाग पर यह अधिकार दिया गया था कि तलवार, दुर्भिक्ष, महामारी, और पृथ्वी के हिंसक पशुओं द्वारा संहार करें। 
लूका 21ः36 ‘‘परन्तु तुम हर समय सावधान होकर प्रार्थना में लगे रहो जिस से कि इन सब बातों से बच निकलने और मनुष्य के पुत्र के सामने खडे़ होने के लिए तुम में सामर्थ हो।’’

Comments

  1. शानदार, उत्साहवर्धक, ज्ञानवर्धक,

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    1. Gyanwardhak jankariyan. God bless you. Very good study

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  2. Iska koi jabab nahi God bless you

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  3. Hume purvtayari karne ka mouka hai. Thank you for this massage.

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  4. Good study and people should read and have faith in Almighty God and Savior Jesus Christ.

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