मसीह का पुनरुत्थान (1 कुरिन्थियों 15 अध्याय)
मसीह का पुनरुत्थान
1हे भाइयो, अब मैं तुम्हें वही सुसमाचार बताता हूँ जो पहले सुना चुका हूँ, जिसे तुम ने अंगीकार भी किया था और जिसमें तुम स्थिर भी हो। 2उसी के द्वारा तुम्हारा उद्धार भी होता है, यदि उस सुसमाचार को जो मैं ने तुम्हें सुनाया था स्मरण रखते हो; नहीं तो तुम्हारा विश्वास करना व्यर्थ हुआ।
3 इसी कारण मैं ने सबसे पहले तुम्हें वही बात पहुँचा दी, जो मुझे पहुँची थी कि पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया,
यशा 53:5-12 4और गाड़ा गया, और पवित्रशास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा,
भजन 16:8-10; मत्ती 12:40; प्रेरि 2:24-32 5और कैफा को तब बारहों को दिखाई दिया।
मत्ती 28:16,17; मर 16:14; लूका 24:34,36; यूह 20:19 6फिर वह पाँच सौ से अधिक भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, जिनमें से बहुत से अब तक जीवित हैं पर कुछ सो गए। 7फिर वह याकूब को दिखाई दिया तब सब प्रेरितों को दिखाई दिया। 8सब के बाद मुझ को भी दिखाई दिया, जो मानो अधूरे दिनों का जन्मा हूँ।
प्रेरि 9:3-6 9क्योंकि मैं प्रेरितों में सबसे छोटा हूँ, वरन् प्रेरित कहलाने के योग्य भी नहीं, क्योंकि मैं ने परमेश्वर की कलीसिया को सताया था।
प्रेरि 8:3 10परन्तु मैं जो कुछ भी हूँ, परमेश्वर के अनुग्रह से हूँ। उसका अनुग्रह जो मुझ पर हुआ, वह व्यर्थ नहीं हुआ; परन्तु मैं ने उन सबसे बढ़कर परिश्रम भी किया: तौभी यह मेरी ओर से नहीं हुआ परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह से जो मुझ पर था। 11इसलिये चाहे मैं हूँ, चाहे वे हों, हम यही प्रचार करते हैं, और इसी पर तुम ने विश्वास भी किया।
हमारा पुनरुत्थान
12इसलिये जब कि मसीह का यह प्रचार किया जाता है कि वह मरे हुओं में से जी उठा, तो तुम में से कितने कैसे कहते हैं कि मरे हुओं का पुनरुत्थान
15:12 या मृतकोत्थान है ही नहीं? 13यदि मरे हुओं का पुनरुत्थान है ही नहीं, तो मसीह भी नहीं जी उठा; 14और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है, और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है। 15वरन् हम परमेश्वर के झूठे गवाह ठहरे; क्योंकि हम ने परमेश्वर के विषय में यह गवाही दी कि उसने मसीह को जिला दिया, यद्यपि नहीं जिलाया यदि मरे हुए नहीं जी उठते। 16और यदि मुर्दे नहीं जी उठते, तो मसीह भी नहीं जी उठा; 17और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है, और तुम अब तक अपने पापों में फँसे हो। 18वरन् जो मसीह में सो गए हैं, वे भी नष्ट हुए। 19यदि हम केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं।
20परन्तु सचमुच मसीह मुर्दो में से जी उठा है, और जो सो गए हैं उनमें वह पहला फल हुआ। 21क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई, तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरुत्थान भी आया। 22और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसे ही मसीह में सब जिलाए जाएँगे, 23परन्तु हर एक अपनी अपनी बारी से : पहला फल मसीह, फिर मसीह के आने पर उसके लोग। 24इसके बाद अन्त होगा। उस समय वह सारी प्रधानता, और सारा अधिकार, और सामर्थ्य का अन्त करके राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देगा। 25क्योंकि जब तक वह अपने बैरियों को अपने पाँवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है।
भजन 110:1 26सबसे अन्तिम बैरी जो नष्ट किया जाएगा, वह मृत्यु है। 27क्योंकि “परमेश्वर ने सब कुछ उसके पाँवों तले कर दिया है,”
भजन 8:6 परन्तु जब वह कहता है कि सब कुछ उसके अधीन कर दिया गया है तो प्रत्यक्ष है कि जिसने सब कुछ उसके अधीन कर दिया, वह आप अलग रहा। 28और जब सब कुछ उसके अधीन हो जाएगा, तो पुत्र आप भी उसके अधीन हो जाएगा, जिसने सब कुछ उसके अधीन कर दिया, ताकि सब में परमेश्वर ही सब कुछ हो।
29नहीं तो जो लोग मरे हुओं के लिये बपतिस्मा लेते हैं वे क्या करेंगे? यदि मुर्दे जी उठते ही नहीं तो फिर क्यों उनके लिये बपतिस्मा लेते हैं? 30और हम भी क्यों हर घड़ी जोखिम में पड़े रहते हैं? 31हे भाइयो, मुझे उस घमण्ड की शपथ जो हमारे मसीह यीशु में मैं तुम्हारे विषय में करता हूँ कि मैं प्रतिदिन मरता हूँ। 32यदि मैं मनुष्य की रीति पर इफिसुस में वन-पशुओं से लड़ा तो मुझे क्या लाभ हुआ? यदि मुर्दे जिलाए नहीं जाएँगे, “तो आओ, खाएँ-पीएँ, क्योंकि कल तो मर ही जाएँगे।”
यशा 22:13 33धोखा न खाना, “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” 34धर्म के लिये जाग उठो और पाप न करो; क्योंकि कुछ ऐसे हैं जो परमेश्वर को नहीं जानते। मैं तुम्हें लज्जित करने के लिये यह कहता हूँ।
पुनरुत्थान की देह
35अब कोई यह कहेगा, “मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और कैसी देह के साथ आते हैं?” 36हे निर्बुद्धि! जो कुछ तू बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता। 37और जो तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्पन्न होनेवाली है, परन्तु निरा दाना है, चाहे गेहूँ का चाहे किसी और अनाज का। 38परन्तु परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उसको देह देता है, और हर एक बीज को उसकी विशेष देह। 39सब शरीर एक समान नहीं : मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछलियों का शरीर और है। 40स्वर्गीय देह हैं और पार्थिव देह भी हैं। परन्तु स्वर्गीय देहों का तेज और है, और पार्थिव का और। 41सूर्य का तेज और है, चाँद का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, (क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है)।
42मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशवान् दशा में बोया जाता है और अविनाशी रूप में जी उठता है। 43वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है, और सामर्थ्य के साथ जी उठता है। 44स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है : जबकि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है। 45ऐसा ही लिखा भी है, कि “प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम जीवित प्राणी बना”
उत्प 2:7 और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना। 46परन्तु पहले आत्मिक न था पर स्वाभाविक था, इसके बाद आत्मिक हुआ। 47प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात् मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है। 48जैसा वह मिट्टी का था, वैसे ही वे भी हैं जो मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही वे भी हैं जो स्वर्गीय हैं। 49और जैसे हम ने उसका रूप धारण किया जो मिट्टी का था वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे।
50हे भाइयो, मैं यह कहता हूँ कि मांस और लहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न नाशवान् अविनाशी का अधिकारी हो सकता है। 51देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूँ : हम सब नहीं सोएँगे, परन्तु सब बदल जाएँगे, 52और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा। क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएँगे, और हम बदल जाएँगे।
1 थिस्स 4:15-17 53क्योंकि अवश्य है कि यह नाशवान् देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले। 54और जब यह नाशवान् अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा,
यशा 25:8 तब वह वचन जो लिखा है पूरा हो जाएगा :
“जय ने मृत्यु को निगल लिया।
55हे मृत्यु, तेरी जय कहाँ रही?
हे मृत्यु, तेरा डंक कहाँ रहा?”
होशे 13:1456मृत्यु का डंक पाप है, और पाप का बल व्यवस्था है। 57परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है। 58इसलिये हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।
Comments
Post a Comment