खुजूर का रविवार
फसह के
पर्ब के चार दिन पहिले, प्रभु येसु मसीह निसान महीने के 10वें दिन परमेश्वर का
मेम्ना होकर येरूशलेम आये। इस
दिन यहूदी लोग एक मेम्ना बलिदान के लिए चुन कर लाते थे। वे उसे चार दिन घर में रखते थे ताकि देख सकें कि
उसमे कोई दोष तो नहीं है।
रास्ते में प्रभुजी लाजरस, मेरी और मार्था के घर बेथनी में रूक गये जो येरूशलेम से
मात्र 2 मील दूर था। लाजरस
को प्रभुजी ने चार दिन के कब्र में मरे हुओं में से जिन्दा किया था। चार प्रकार के लोग वहाँ उन्हें देखने आये। उसके शिष्य, विश्वासी, दर्शक और धार्मिक अगुवे। इतने बड़ी भीड़ को देखकर धार्मिक अगुवों में ईर्षा
की भावना पैदा हो गयी और उन्होंने प्रभुजी और लाजरस दोनों की हत्या करने का निर्णय
ले लिया। (युहन्ना 12:9-11) इसकी भविष्यवाणी दानिएल नबी की
पुस्तक में विस्तृत रूप से की गई थी कि अभिषिक्त की हत्या कर दी जाएगी और येरुशालेम
उजाड़ हो जायेगा। (दानिएल
9:22-27)
दूसरे
दिन प्रभुजी अपने शिष्यों के साथ जैसे येरूशलेम पहुंचे तो उनहोंने दो शिष्यों को
एक गधे के बच्चे को लाने के लिए भेज दिया। ये जकरिया नबी
की पुस्तक (9:9) में दी गयी
भविष्य वाणी को पूरा करने के लिए किया कि, “ हे सियोन बहुत ही मगन हो। हे यरूशलेम जयजयकार कर! क्योंकि तेरा राजा तेरे पास आएगा; वह न्याय संगत और उसके पास उद्धार है, वह दीन है, और गदहे पर वरन गदही के बच्चे पर चढ़ा हुआ आएगा। गधा
शांति का निशान होता था और घोड़ा युद्ध का। अगली बार
प्रभुजी सफ़ेद घोड़े पर सवार होकर दुष्टों से युद्ध करने और सबका न्याय करने आएंगे। प्रभुजी अपने नगर
के लिए रोया और कहा, “क्या ही भला होता, कि तू, हां, तू ही, इसी दिन में तेरे कुशल की बातें जानता, परन्तु अब वे तेरी आंखों से छिप गई हैं। क्योंकि वे दिन तुझ पर आएंगे कि तेरे बैरी मोर्चा बान्धकर तुझे चारों ओर से घेर लेंगें। और तुझे और तेरे बालकों को, मिट्टी में मिला देंगे, और तुझ में पत्थर पर पत्थर भी न छोड़ेंगे; क्योंकि तू ने वह अवसर, जब तुझ पर कृपा दृष्टि की गई न पहिचाना (लूका
19:41-43)। आम लोगों की
भीड़ अपने राजा के स्वागत के लिए अपने कपड़े सड़क पर डालते और खुजूर की डालियाँ लेकर
बड़ी जोर से “होज़न्ना” याने “हमे बचा ले” चिल्ला रहे थे, और गा रहे थे कि, “आज का दिन यहोवा ने बनाया है; हम इस में मगन और आनन्दित हों। हे यहोवा, बिनती सुन, उद्धार कर! हे यहोवा, बिनती सुन, सफलता दे! धन्य है वह जो यहोवा के नाम से आता है! (भजन 118:24-26)
प्रभुजी
ने कहा था कि यदि कोई पूछे तो कह देना के प्रभु को इस गधे की जरूरत है। क्योंकि प्रभुजी को उस गधे की जरूरत थी इस लिए
वह गधा अति योग्य बन गया।
प्रभुजी को आज भी गधों के जरूरत है जो दूसरों का उद्धार करने के बोझ को उठा कर प्रभु
के साथ चलने को तैयार हैं।
इसके लिए उसने क्रूस पर चढ़े डाकू को
चुना, एक चरित्रहीन
सामरी स्त्री को चुना, गडारा में बदरूहों
की सेना भरे एक मनुष्य को दिकापोलिस (दस नगरों) का प्रचारक चुना, वो वेश्याओं और पेटू और पिय्यकड़ और महसूल लेने
वाले जैसे अति भ्रष्ट लोगों के साथ संगती करने में कोई संकोच नहीं करते थे लेकिन अपने को धर्मी समझने वालों से दूर रह्ते थे और धर्मगुरुओं
से बहुत चिड़ते थे और उन्हें खरी खोटी सुनाते रहते
थे क्योंकि वे वचन को तोड़ मरोड़ कर आम लोगों का शोषण करते थे। (मरकुस 2:16,17)
फसह के
पर्ब में यहूदी लोग अपने घर से खमीर को पूरी तरह निकाल शुद्ध करते थे क्योंकि खमीर
भ्रटाचार का प्रतीक है।
आज तमाम कलीसियाओं के लिए मंथन का
समय है कि वे विचार विमर्श और अंतरावलोकन करें कि वे अपने निर्धारित लक्ष्य
याने गुमी हुई आत्माओं को बचाकर उन्ही शिष्य बनाकर भेजने का कर्तव्य ठीक से निभा रहें
या नहीं। इस कार्य के लिए प्रभूजी अति दीन हीन और नम्र लोगों को चुन रहें हैं, “हे भाइयो, अपने बुलाए
जाने को तो
सोचो, कि न
शरीर के अनुसार
बहुत ज्ञानवान, और न बहुत
सामर्थी, और न
बहुत कुलीन बुलाए
गए, परन्तु परमेश्वर
ने जगत के
मूर्खों को चुन
लिया है, कि ज्ञानवालों को
लज्जित करे; और परमेश्वर ने
जगत के निर्बलों
को चुन लिया
है, कि बलवानों
को लज्जित करे।
और परमेश्वर ने
जगत के नीचों
और तुच्छों को, बरन जो
हैं भी नहीं
उन को भी
चुन लिया, कि उन्हें जो
हैं, व्यर्थ
ठहराए। ताकि कोई
प्राणी परमेश्वर के
साम्हने घमण्ड न
करने पाए। (1कुरिन्थ्यों
1:26-29) ऐसे
लोग जो आत्मा बचाने को अपने जीवन में प्राथमिकता देते हैं वे ही परमेश्वर के राज्य
में प्रवेश करेंगे और पृथ्वी के अधिकारी होंगे। (मत्ती 5:3,5)
अंत
में प्रभूजी ने उस दिन मंदिर परिसर में जाकर डंडा लगा कर उस स्थान को साफ़ किया जो
अन्य जातियों के लिए निर्धारित था लेकिन यहूदियों धर्मगुरुओं से सांठगाँठ करके उसे
एक अवैध व्यापार का केंद्र बना दिया था जहाँ बाहर से आये भक्तों का शोषण होता था। प्रभजी ने कहा, “मेरा घर सब जातियों के लिए
प्रार्थना का घर होगा लेकिन तुमने उसे डाकुओं की खोह बना दिया है (मरकुस 11:17)। इस उद्देश्य का पालन नहीं करने की वजह से याने
अन्य जातियों का हमारी कलीसिया में कोई स्थान नहीं होने से प्रभु ने एक छोटे से
कोरोना वायरस को डंडे के रूप में भेज कर हमारे आराधनालयों में ताला लगा दिया है। ये ताला कब खुलेगा या नहीं खुलेगा ये तो प्रभुजी
ही जानते हैं लेकिन निह्संदेश जितने जल्दी हम सुधरेंगें उतने जल्दी प्रभु का राज्य
इस संसार में आ जायेगा।
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