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Showing posts from March, 2023

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भाग 10

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    पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) पिन्तेकुस्त इस बटोरन या इकट्ठा करने के पर्व के लिये जो कि लांघन के पर्व से पचास दिन बाद में होता था, यहूदी लोग अपनी कटनी और पशुओं के पहिलौठों का दसवांश मन्दिर में बलिदान चढ़ाने लाते थे। यह इक्लीसिया का जन्म दिन है। 120 चेलों ने 10 दिन तक प्रार्थना किये और पवित्र आत्मा उन पर आ गया। हमें भी पिन्तेकुस्त का दिन उपवास और प्रार्थना के साथ मनाना चाहिये ताकि पवित्र आत्मा से भरे जांए और अपने ही संसाधनों के द्वारा आत्माओं की बड़ी कटनी काट सकें। बहुत से विश्वास करते हैं कि पुरानी वाचा, जो पत्थर की पटियाओं पर लिखी गई थी, इसी दिन दी गई थी, परन्तु अब प्रतिज्ञा के अनुसार याहवेह अपनी नई वाचा को हमारे हृदयों में लिख रहे हैं। ( प्रेरितों के काम 2ः1-18; लैव्यवस्था 23ः15,16; यहेचकेल 11ः19 यिर्मयाह 31ः33 ) पिन्तेकुस्त का दिन अब विश्व प्रार्थना दिवस के रूप में मनाया जाता है। ...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भाग 9

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    पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) सन्-डे, रवि-वारीय आराधना 270 सी. ई. मे औरेलियन (सूर्य सम्राट Sun Emperor) ने जुपिटर सूर्य देवता की आराधना की, जिसका जन्म दिन 25 दिसम्बर पर होता है। रोमी सम्राट कॉन्स्टेन्टाईन, सूर्य और याहशुआ दोनों की उपासना करता था, और यहूदियों से, याहशुआ को घात करने के कारण, घृणा करता था। 321 सी. ई. में कॉन्स्टेन्टाईन ने आज्ञा दिया कि सब्त बन्द कर दिया जाए और सूर्य की आराधना की जाए अन्यथा मृत्यु दण्ड दिया जाएगा।  इसके लिये उसने ऊंची ऊंची मीनारें, स्टीपल, गुम्बद और ऊंचे घण्टाघर बनवाए। जैसे ही मीनार पर सूर्य की पहिली किरण पड़ती थी, घण्टे बजाए जाते थे और तब सूर्य-दिवस (Sun-Day) के दिन, बडे़ जोश के साथ सूर्य की उपासना की जाती थी। बाद में चर्च भवन भी इन घण्टाघरों में जोड़ दिये गए। बहुत से अन्यजातीय मूर्तिपूजक याजकों ने, बिना किसी आत्मिक अनुभव के, अपने मन्दिरों को रातों र...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भाग 8

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   पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) सब्त  एल इलोहीम ने, जो सर्व शक्तिमान हैं, सौर जगत की सृष्टि की और सातवें दिन विश्राम किया और उसे एक चिरस्थाई वाचा बना दिया, जिसे ‘‘दस आज्ञाओं’’ में जगह दी गई और जिसे याहवेह ने स्वंय अपनी हाथ की उंगलियों द्वारा लिखा था, एक ऐसे दिन के रूप में जिसमें सारे वर्जनीय व्यावसायिक कार्यों को छोड़कर विश्राम करना चाहिये ( निर्गमन 20ः8-11 ) यह एक पिता को अपने कुटुम्ब के साथ अच्छा समय प्रदान करता था, जिसके परिणाम स्वरूप मजबूत और परिपक्व घरानों का निर्माण होता था। एक घराना शैतान का मुख्य निशान होता है। यदि वह इसे नाश करने में सफल हो जाता है, तो वह याहवेह की प्राथमिक इकाई को नष्ट कर देता है ( मलाकी 4ः6 )। सब्त, सृष्टिकर्त्ता इलोहीम के साथ सम्बन्ध को पुनः स्थापित करता हैं, विश्राम देता है, धार्मिक अगुवों ने सब्त के साथ बहुत सी धार्मिक परम्पराओं को जोड़ दिया, जिससे वह आशी...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भाग 7

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    पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) क्रिसमस  शीत ऋतु में उत्तरायण या अयनांत के बाद से दिन बड़े होने लगते हैं और इसलिये इसे मूर्तिपूजकों द्वारा सूर्य की उपासना के रूप में मनाया जाता था। इस पर्व के समय अन्य जातिय लोग आपस में एक दूसरे को भेंट भेजते थे, पशुओं की बलि चढ़ाते थे और फिर खाना पिना और कामुक धार्मिक विधानों को पूरा करते थे। एक निर्दोष ग्रामीन मठवासी जिसका नाम डायनीसुस एक्सीगुडस था, ने रोक की यात्रा की और वहां चर्च में किये जा रहे कार्यो को देखकर उसे बड़ा सदमा पहुंचा। उसने हिसाब लगाया कि याहशुआ ने लगभग 525 वर्ष पूर्व देहधारण किये थे (पैदा हुए थे) जो वास्तविक समय से पांच वर्ष पृथक है और उसने चर्च को प्रेरित किया कि सेटिरनेलिया (Satyrnalia) को क्रिसमस (क्रिस्तोस + मॉस) के रूप में पवित्र करके अलग करें। केथोलिक मॉस में ‘‘शब्द जिसका अर्थ ’’प्रस्थान’’ है, प्रीस्ट द्वारा सबसे बाद में कहा जात...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भाग 6

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   पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) झोपड़ियों (मण्डपों) का पर्व इस पर्व को मध्य सितम्बर में उपज की कटनी जमा कर लेने के बाद, मनाया जाता था ( लैव्यवस्था 23ः34 )। इसे वे अपने 40 वर्षों तक जंगल के बियाबान में रहने की स्मृति में बनाते थे। वे खजूर और जैतून वृक्षों की डालियों और पत्तियों के द्वारा अस्थाई झोपड़ियां बनाते थे और उनमें सात दिनों तक रहते थे। फैले हुए घराने एक दूसरे से मिलने आते थे, और बड़े आनन्द का अद्भुत समय व्यतीत करते थे और याद करते थे कि याहवेह ने कैसी अद्भुत रीति से उनके इतिहास में हस्तक्षेप किया था और उन्हें मिसर के दासत्व से स्वतंत्र किया था नहीं तो वे अब तक दास बने रहते। याहशुआ इन्हीं दिनों में पैदा (हुए होंगे, जबकि स्वर्गदूतों ने घोषणा किये थे कि, याहवेह का डेरा (इम्मानुएल) मनुष्यों की बीच में है। यह पर्व अनन्त काल तक मनाया जाना है, जो हमें याद दिलाता रहेगा कि हम इस पृथ्वी पर परदेश...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भाग 5

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   पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) शुभ शुक्रवार Good Friday, 6 वां दिन) वास्तव में यह शुभ नहीं है क्योंकि याहशुआ पांचवा दिन (बृहस्पतिवार) को मरे थे, नहीं तो योना के विषय में कही गई तीन दिन और रात वाली बात पूरी नहीं होती है ( मत्ती 12ः39,40 )। इसी दिन, इस्राएली अपने घरों में भुना हुआ (Roast) मेंम्ना, अखमीरी रोटी, और कडुआ साग पात खाते थे, किसी मन्दिर में, या यहूदी आराधनालय (सिनेगॉग) में नहीं, जिस प्रकार याहशुआ ने उनकी अन्तिम बियारी में किये थे। यह इस्राएलियों के मिस्त्रियों के दासत्व से स्वतंत्र होने के रूप में मनाया जाना था ( निर्गमन 12ः43-48; लूका 22ः11-13 )।  नये नियम की इक्लीसिया इसे बड़े आनन्द के साथ घर घर रोटी तोड़कर मनाती थी ( प्रेरितों के काम 2ः46,47; 1कुरिन्थियों 11ः20 )। दुःख की बात है कि यह मिलन स्थान बदलकर सब परम्परागत चर्च भवन में आ गया है, जहां यह अधिकृत रिवाज़ की तरह रविवार के...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भाग 4

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  पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) अनिवार्य पर्व हमें आज्ञा दी गई है कि हम केवल धर्मशास्त्र के ही नियमों का पालन करें और उनमें कोई और परम्परा या रीति रिवाज न जोड़ें ( 1कुरिन्थियों 11ः1,2 )। नई परम्पराओं को भिखारियों वाले तत्व कहा गया है ( गलतियों 4ः8-10 )। पौलूस आगे कहते जाते हैं, कि यदि कोई स्वर्गदूत भी आकर, किसी दूसरे प्रकार का सुसमाचार सुनाए तो वह भ्रमित हो (गलातियों 1ः8)। याहशुआ उनके शिष्य और प्रारम्भिक इक्लीसिया, केवल तोराह (व्यवस्था) में दिये गए पर्वों को ही मानते थे, जैसे फसह, पहली उपज का पर्व, पिन्तेकुस्त और झोपड़ियों का पर्व इत्यादि। वे लोग लैन्ट, ईस्टर, शुभ शुक्रवार वेलेन्टाईन का दिन, हैलोवीन, क्रिसमस, सर्व सन्तों का दिन और अन्य दूसरे मूर्ति पूजक परम्पराओं और विधर्मिता से भरे त्योहार नहीं मानते थे।  ईस्टर  इस दिन मूर्तिपूजक लोग, सूर्य की उपासना करते थे, क्योंकि सूर्य उस दिन व समय...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भाग 3

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पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) पुराना नियम और नया नियम वैवाहिक इकरारनामे हैंः  याहवेह तलाक से घृणा करते हैं ( मलाकी 2ः16 )। शैतान की यह रणनीति रही है कि वह विावाह की लिखित प्रतिज्ञाओं में से उन नियमों को, ‘‘जिनमें धोके की कोई गुंजाइश नहीं है’’ अर्थात दस आज्ञाओं को नष्ट करदे, ताकि याहवेह (यहोवा) और उनकी दुल्हिन इस्राएल के बीच तलाक को लाया जा सके। ‘‘क्योंकि तेरा कर्त्ता तेरा पति है, उसका नाम याहवेह है’’ ( यशायाह 54ः5, यर्मियाह 13ः23 )।  यह विवाह सीनै पर्वत पर हुआ, जब याहवेह ने कहे, ‘‘इसलिये अब यदि तुम निश्चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा को पालन करोगे, तो सब लोगों में से, तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे’’। और लोगों ने भी प्रत्युत्तर दिया, ‘‘जो कुछ याहवेह ने कहा है, वह हम नित करेंगे’’ ( निर्गमन 19ः5- 8)। उस समय से उसने अपना नाम, पति के नाम पर ले लिया और उसे याहुदीम पुकारा जाने लगा, जिसका अर्थ है, ‘‘जो य...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भाग 2

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पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) तौरात  ( इब्रानी : תּוֹרָה, "आदेश" या "क़ानून")  बहुत से जन सोचते हैं कि पुराना नियम याहशुआ (यीशु) में पूरा हो चुका है और इसलिये अब हमें उसका अनुसरण करने की आवश्यक्ता नहीं है। परन्तु याहशुआ, व्यवस्था को पूरा करने आए और उन्होंने कहे कि उसकी एक भी मात्रा बिना पूरा हुए नहीं बदली जा सकती है। केवल धार्मिक नियमानुसार की जाने वाली व्यवस्था जो प्रायश्चित के कार्य से सम्बन्धित है, जैसे मन्दिर में किये जाने वाले बलिदान, लेवीय याजकत्व और खतना इत्यादि, याहशुआ के प्रायश्चित के बलिदान के पूरा हो जाने के कारण, समाप्त कर दिये गए, जब वे छुटकारा देने वाले नहीं रहे।  तथापि नीति-संगत व्यवस्था को, जो उन पापों को दर्शाते है, जैसे- मूर्तिपूजा, मापा-पिता का अनादर झूठ बोलना, हत्या, लालच, गरीबों और पड़ौसियों के प्रति व्यवहार जिनके कारण एक विश्वासी, खोए हुए समुदाय के लिये, नमक और ज...

कलीसिया (चर्च) में मूर्तिपूजक परम्परांए एंव विधर्म - भाग 1

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पवित्र भवन, ऊंचे घण्टाघर, क्रूस, रवि-वार (सन-डे), यहां तक कि प्रभु यीशु (लॉर्ड जीसस) और बहुत सी बातें हमारी मूर्तिपूजक विधर्मिता की बपौती हैं। इक्लीसिया का प्रतिक चिन्ह दीवट (मेनोराह) ही  है। ( प्रकाशित वाक्य 1ः20 ) इक्लीसिया   (चर्च) में    विद्रोह   मूर्तिपूजक विधर्मिता का प्रारम्भ आदन की वाटिका से ही है। याहवेह को जलप्रलय के द्वारा उन सबों को नाश कर देना पड़ा था। मूर्तिपूजक परम्पराओं और विधर्म ने तुरन्त अपना सिर उठाना प्रारम्भ कर दिया और इलोहिम को इब्राहीम को उसके मूर्तिपूजक कुटुम्ब से छुड़ाकर निकालना पड़ा।  निम्रोद ने अपने सिरजनहार से बलवा किया और बाबुल का गुम्मट बनाया। वह पृथ्वी पर पहिला राजा बना। उसने अपनी ही मां सेमिरामिस से विवाह किया, जो एक जादूगरनी, डाईन, पृथ्वी माता/सर्य देवी थी, जिससे ताम्मूज का जन्म हुआ जिसका चिन्ह टाऊ या टी (T) था जो बाद में क्रूस के चिन्ह में बदला गया। निम्रोद मार डाला गया और सूर्य देवता बन गया जिसकी उपासना मिस्र, बाबुल, ईरान और पूर्व में बाल ( Lord ), ईश्वर दागोन, मोलेक, मियास, अहूरा, माज़दा, जियुस इत्यादि रूपों में की जात...