भ्रांति - इस्टर संबंधित

महारानी इश्टर

जी हाँ, मेरा मतलब महारानी इश्टर से ही है, इस्तेर से नहीं। बेबिलॅन की देवी इश्टर के नाम पर मसीहियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व इस्टर है। पूरी बाइबिल में सिर्फ एक जगह इस्टर शब्द आया है, यानी प्रेरितों 12:4 में - वह भी सिर्फ kjvमें | वह मूल यूनानी शब्द (यास्का) का गलत अनुवाद है। इसका सहीं अनुवाद Passover (फसह का पर्व) होना चाहिए था, जो ASV समेत भारतीय भाषाओँ में अनुवादित बाइबिल में पाया जाता हैं। प्रभु यीशु के जी उठने का पर्व मनाने का नये नियम में कहीं कोई जिक्र नहीं है। यहूदी मसीहियों ने इसे फसह के पर्व से जोड़ दिया और यहूदी महीने निसान के 14 वें दिन मनाना शुरु कर दिया। चाहे वह जिस किसी दिन पडता । मगर गैर-यहूदी मसीही इसे प्रभु यीशु के दिन रविवार को मनाने लगे नाइसिया की महासभा (325ई.) के बाद यह पर्व 21 मार्च के बाद की पूर्णिमा के बाद आने वाले पहले रविवार को मनाया जाने लगा यह हमेशा 22 मार्च और 25 अप्रैल के बीच पड़ता हैं। पूर्वी ऑर्थोडॉक्स कलीसियाय इस पर्व को तेरह दिन बाद मनाती है। 'इस्टर' का मसीहियत में समावेश कहाँ तक बाइबिल सम्मत है, यह आगे चलकर स्पष्ट हो जाएगा। इस्टर (बल्कि इस्टर जो एक बेबलोनियाई शब्द है) बेबलॅन (बाबुल) की महारानी थी, जिसने बाद में अपने को पहले देवी' और फिर 'स्वर्ग की महारानी 'घोषित कर दिया गया । इस देवी का फिनिसियन उपनाम एसटार्टी Astarte था, बाइबिल में इस देवी 'अशतोरेत' के उपासकों को परमेश्वर का कोप भाजन कहा है । (न्यायियों 2:13-14,10:6-7,1- शमूएल 7:3-4, 12:10, 1- राजा 11:33 ) यूनानियों ने इसी देवी को एफ्रोडाइट कहा और रोमियों ने वीनस । (देखिये विलिंग्टन का 'गाइड टू द बाइबिल' पृष्ठ 214)

यीशु मसीह से सम्बंधित भ्रांतियों का खंडन

इश्टर बाल (यानी सूर्य देवता) की तथाकथित पत्नी और बाबुल (बेबिलॉन) की अधिष्ठात्री थी। सूर्य की पूजा-आराधना बाइबिल में पूरी तरह वर्जित है । वैसे भी किसी देवी-देवता का नाम मुंह पर लाना, उसकी चर्चा करना, मसीहियों के लिए मूर्तिपूजा करने जैसा है- “ दूसरे देवताओं के नाम की चर्चा न करना, वरन् वे तुम्हारे मुँह से सुनाई भी न दें ।”

इश्टर का एक नाम सेमीरमिस भी था और यह बाबुल (बेबिलॅन) के राजा निम्रोद की पत्नी थी। ऊपर हम कह आये हैं कि वह सूर्यदेवता की तथाकथित पत्नी थी। हुआ यों कि निम्रोद के मरने के बाद महारानी इश्टर ने उसे भगवान सूर्य घोषित कर दिया। पति के मरने के काफी समय बाद इश्टर को एक बेटा हुआ, जिसने भगवान सूर्य का पुत्र घोषित कर दिया। उस बच्चे का नाम तम्मूज (जीवते का पुत्र) रखा ओर बाद में उसकी पत्नी बन गइ महारानी इष्टर। इससे ज्यादा घिनौना और क्या हो सकता हैं । इन दोनों ने मिलकर एक नई पूजा-पध्दती चलाई जो अत्यंत घृणित थी। उसकी मूर्तियों में उसे हमेशा नंगा दिखाया जाता है, जिसके माथे पर भेड़ के सींग होते हैं ...

इश्टर को मालूम था कि परमेश्वर ने एक मुक्तिदाता भेजने का वादा किया (उत्पति3:15) इसलिए उसने दावा किया कि तम्मूज ही वह मुक्तिदाता है और स्वयं वह मुक्तिदाता की हैं। इश्टर परमेश्वर तक पहुंचने का मार्ग बनी, यानी बिचवई, और स्वर्ग की रानी' कहलाने लगी। जब उसके बेटा सह पति को शिकार करते समय एक बनैले सूअर ने मार डाला तो इश्टर ने झूठा प्रचार कराया कि चालीस दिन बाद वह अदभुत रीति से जी उठा । तम्मूज के जी उठने की याद में हर साल देवदासियाँ चालीस दिन का उपवास रखने लगी। वे उपवास रखने के साथ मातम भी मनाती थीं। आज की कलीसियों में ऐसा ही कुछ नहीं हो रहा? मातम क खत्म होने पर भोज का आयोजन किया जाता। उस भोज का नाम भी इस्टर रखा गया ।

क्या प्रभु यीशु सचमुच शुक्रवार को सूली पर लटकाये गये और रविवार को जी उठें ? बाइबिल ऐसा कुछ नहीं कहती। जब शास्त्रियों और फरीसियों ने प्रभु यीशु से अपनी मसीहियत को प्रमाणित करने के लिए एक आश्चर्यकर्म के लिये कहा तो उन्होने जवाब दिया- " योना तीन रात - दिन जल - जन्तु के पेट में रहा, वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात-दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा।” (मती 12:40)। मूल यूनानी भाषा में दोनों जगहों पर तीन दिन और तीन रात लिखा है। योना 1:17 में लिखा है, 'योना उस मगरमच्छ के पेट में तीन दिन और तीन रात पड़ा रहा । '

यहूदियों का दिन हमेशा 6 बजे शाम से शुरू होता था और अगले 6 बजे शाम को खत्म होता था। लैव्य व्यवस्था 23:32) अगर प्रभु यीशु को सचमुच गुड़ फ्रायड़े को सूली पर चढ़ाया गया और रविवार को सबेरे वे जी उठे तो तीन दिन और तीन रात कहाँ पूरा होता हैं। उन्हें बुधवार को शाम में दफनाया गया, वार्षिक सब्त के पहले का दिन था। यहूदियों के एक नहीं बल्कि दो सब्त के दिन हुआ करते थे। साप्ताहिक सब्त हमेशा शनिवार (सप्ताह के आखिरी दिन ) को मनाया जाता था, जबकि वार्षिक सब्त तिथि के हिसाब से मनाया जाता था और किसी भी दिन पड़ सकता था। उस साल वह सब्त बृहस्पतिवार को पड़ा था। नीचे के दो पदों को लिजिए...... तो सुगंधित वस्तुएं मोल लीं कि आकर उस पर मलें ।

लूका 23:56 सुगंधित वस्तुएं और इत्र तैयार किया। और सब्त के दिन विश्राम किया ।' सब्त के पहले या बाद मोल ली ? ऐसा विरोधाभाष क्यों? वह इसलिए कि उस सप्ताह में दो सब्त पड़े थे, एक वार्षिक (फसहवाला) सब्त और दूसरा साप्ताहिक। यहाँ यह कहना गलत होगा कि यहूदी लोग दिन के अंश को भी पूरा दिन मानते थे। शाफ (Schaff) ने अपने 'हिस्ट्री ऑव द चर्च' में लिखा है कि अंग्रेज़ी शब्द इस्टर पूरब और सूर्योदय से संबंधित है (EAST-RT) ,क्योंकि इस्टर को पूरब में उगत प्रकाश की देवी माना जाता था। जो भी हो, परमेश्वर ने उन रीति-रिवाजों को अपनी पूजा में सम्मिलित करने से साफ मना किया है-" उनके देवताओं के संबंध में पूछताछ न करना, कि उन जातियों के लोग अपने देवताओं की उपासना किस रीति से करते थे ? मैं भी वैसा ही करूँगा ।" (व्यवस्थाविवरण 12:30-32)

प्रभु यीशु रविवार की सुबह में नहीं बल्कि वे तीसरे दिन, शनिवार को शाम में ही जी उठे। रविवार को सबेरे जब मरियम मंगदलनी, याकूब की माँ मरियम और सलोमी कब्र पर पहुँची तो प्रभु यीशु वहाँ नहीं थे । वे हफ्ता का पहला दिन शुरू होने के पहले ही जी उठे थे । इस तरह यह स्पष्ट है कि गुड़ फ्रायड़े सिर्फ इसलिए मनाया जाता है क्योंकि यह दिन रोम की देवी वीनस (Astarte, फारसी में Sitara )का विशेष दिन था। वह कामुकता (Sexual Love) देवी थी। फसह की जगह इस्टर कैसे आ गया।

जिस समय बाइबिल लिखी गई उसमें कहीं कोई विराम-चिन्ह नहीं था । विराम चिन्हों का प्रयोग पहले-पहल एल्डस मैन्युसस के द्वारा 13 वीं सदी में किया गया। इसके बाद बाइबिल के अनुवादकों द्वारा उनका प्रयोग हुआ। जहाँ मुनासिब समझा प्रयोग कर दिया, शब्दों के स्थान बदल दिए । कभी-कभी इससे अर्थ का अनर्थ हो गया हैं। मरकुस 16:9 (KJV) में अर्द्धविराम को Now when jesus was risen early के बाद रखकर पढ़ें तो सारी भ्रांतियाँ दूर हो जाएंगी - रविवार की सुबह पाया गया कि प्रभु यीशु जी उठे थें ।' (भावानुवाद) इसी तरह लूका 23:43 को देखिए- " And Jesus said unto him, Verily I say unto thee, Today shalt thou ve with me in paradise." "And Jesus said unto him Verily I say unto thee today, thou shalt be with me in paradise."

जाहिर है दूसरा अनुवाद ही बाइबिल सम्मत है, क्योंकि प्रभु यीशु तीन दिन और तीन रात कब्र में रहे। उसी दिन स्वर्ग में उस चोर के साथ वे कैसे हो सकते थें । वे स्वयं अधोलोक में रहे होंगे। प्रभु यीशु किस दिन जी उठे, यह सवाल महत्वपूर्ण है भी और नहीं भी। 72 घंटे कब्र में रहना मसीहे की पहचान थी - खुद उन्होंने ऐसा कहा। मगर मसीह हमारे पापें के लिए मरा और हमारे धर्मी ठहराए जाने के लिए जी उठा, यही महत्वपूर्ण है । फिर भी उसके पवित्र नाम को इश्टर / इस्टर से जोड़ना मसीहियों के लिए शर्मनाक हैं।

लेखक - डॉ.एस.पी.पाण्डेय

कितने वचन- सम्मत' हैं हमारे पर्व और परम्पराएं

प्रभु यीशु ने कहा था, युनुस तीन रात दिन जल जन्तु के पेट में रहा, वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा। (मती 12:40) इसका अंग्रेजी अनुवाद अधिक स्पष्ट हैं। अगर वे (प्रभु यीशु ) शुक्रवार को मरे तो शाम के बाद शनिवार हुआ। यहूदी गणना के अनुसार। फिर तीन दिन और तीन रात की जगह सिर्फ एक दिन और दो रात ही कब्र में पूरे हुए और रविवार की प्रातः जीवित बाहर आ गए। बाइबल का वचन झूठा नहीं हो सकता । फिर भी परम्पराओं ने परमेश्वर के वचन को झुठलाने में कोई कसर नहीं छोडी। दूसरी बात प्रभु यीशु ने अपनी मृत्यु को याद करने के लिए सिर्फ एक ही तरीका बताया । As often as (जब-जब, जितनी बार ) ye get this bread and drink this cup. तुम यह रोटी खाते हो और प्याला पीते हो,ye do show (प्रभु दर्शाते हो) The Lord's death (प्रभु की मृत्यु को ) Till he Come (उसके आने तक) कुरु 11:26

इतना ही नहीं, 1 कुरु. 11:25 में प्रभु यीशु का वचन कहता है- This Doye, यह तुम करो, पद remembrance of me (मेरी याद में) आज उसकी जगह गुड फ्रायडे और ईस्टर ने ले ली है। संत पौलूस का अंदेशा निराधार नहीं था। तुम दिनों, महीनों और नियत समझों और वर्षों को मानते हो। मैं तुम्हारे विषय में डरता हूँ । ' गलतियों 4:10

मजे की बात यह कि पूरी बाइबल में सिर्फ एक बार ईस्टर शब्द आया है (प्रे.12:4) और वह Pass over यानी पास्का का गलत अनुवाद है। इसे आज सभी विद्वान मानते है । ईस्टर' मसीही चीज नहीं, बल्कि चाल्डियन (बेबिलोनियन) देवी का नाम है Instar या Astare जो स्वर्ग की देवी कही जाती है । मसीहियों द्वारा मनाया जाने वाला ईस्टर यहूदियों द्वारा मनाऐ जाने वाले फसह पर्व का पुनराम्भ है। खीस्त ने न तो इसे स्थापित किया और न तो 'चालीसा' से इसका कुछ लेना देना हैं।

Christianity एक चीज है और Churchianity दूसरी चीज । प्रभु यीशु ने ठीक ही तो कहा, तुम ने अपनी रीतों के कारण परमेश्वर का वचन टाल दिया । (मती:15:6) क्रिसमस और ईस्टर जैसे अधार्मिक, धर्म विरोधी, रस्म-रिवाज आज हमने अपना लिए हैं। देवी ईस्टर के बारे में पढकर मन घृणा से भर जाता है । वह लम्पट और व्यभिचार का मूर्त रुप थी । न्यायियों 2:13,10:6, समुएल 12:10, 31:10, 1 राजा 11:5, 33, 11 राजा 23:13 में उसकी भर्त्सना की गई है। प्राचीन काल में यहुदी उसका नाम तक नहीं लेते थे । बाबुल देश में उसका नाम ईस्टर, यूनान में एस्टार्ट तो कनान में इसको बाल देवता की पत्नी माना जाता था । उन दोनों की पूजा गंदी-गंदी रस्मों के साथ की जाती थी । न्यायियों 2:11-23 में कहा गया है कि इसराइल हपने परमेश्वर को छोड़ बाल और ईस्टर की संवकाई करने लगा है। इसराइलियों को फलस्तीनियों से छुडाने के पहले ईस्टर देवी का परित्याग करने केलिए कहा गया ।1. सेमुएल 7:3-4 राजा सुलेमान अपनी पत्नियों को खुश करने के लिए ईस्टर देवी की आराधना करने लगा। ( 1 राजा 11: 4-8) जैसेनियस की मान्यता थी कि Asthareth/ Ishtar का सम्बन्ध फारसी शब्द sitarch {star} से और Ishtar ohul{sex} प्रेम की देवी का ही दूसरा नाम है ।

ये सारी बातें मैने अत्यंत प्रामाणिक ग्रंथों से उद्धत की है। आज की मसीहियत किसी भी प्रकार से हिन्दू मिथको में पाए जाने वाले कचरे से भिन्न नहीं हैं। ये धर्माध्यक्ष, D.D [Docter of Divinity, अंधे है, और अंधों को राह दिखाने चले है- दोनो गड्डे में गिर पडेंगे (मती 15:14, लूका 6:39)

एक किसान को कहीं के बतख का अंडा मिला और उसने उसे मुर्गी के अण्डों के साथ ही रखा। चूजे निकले तो सभी दिखने में एक जैसे । ज्यो-ज्यों बतख का चूजा बडा होता गया, उसे लगने लगा कि वह और चूजों से भिन्न हैं। एक दिन उसने तालाब में देखा ओर वह उसमें प्रवेश कर गया, तैरने लगा। मुर्गी के बच्चे उसे देखते रह गए ।

ऐसी ही कहानी एक उकाब के बारे में हैं। वह भी मुर्गी के बच्चे के बीच पला, बडा हुआ। एक दिन उसने माता उकाब की आवाज सुनी। उसने उड़ना चाहा, मगर मुर्गी के बच्चों के बीच रहते-रहते उसके पंख पंगु से हो गए थे। माता उकाब ने आवाज दी, नीचे आई, चीखी, Eagle चूजे ने भी जो बडा हो गया था, उडने की कोशिश की, स्वर में स्वर मिलाया। माता उकाब ओर नीचे आई और नीचे। वह उकाब शिशु पंख फडफडाता रहा। बस क्या था। मां ने उसे ऊपर उठा लिया और चलती बनी। पर प्रभु का धन्यवाद हो कि उसने अंतकाल में अपने चुने हुए लोगों को अपने लिए उपयुक्त दुल्हन तैयार किया है।

जो लोग विलियस ब्रेनहम की End time Ministry से बाहर रहे, वे अंतकालीन प्रकाश से बाहर रहे, उनका जीर्णोद्वार आवश्यक है । जर्कयाह 14: 7 ' शाम के समय उजाला (प्रकाश) होगा।

योएल 2:23 तुम अपने परमेश्वर यहोवा के करण मगन हो ओर आनन्द करो क्योकि... देगा | 2:23. ' जिन वर्षों की उपज .. हानि भर दूंगा ।’मत्ती17:11 एलियाह तो आएगा, और सब कुछ सुधारेगा। (भविष्यकाल..) प्रेरितों 3:21 अवश्य है कि वह स्वर्ग में उस समय तक रहे, जब तक कि वह सब बातों का सुधार न कर लें ।'

आज भी अनेकानेक विश्वासी पृथ्वी पर हैं, जो परमेश्वर के वचन के खोजी है और सच्चाई के भूखे प्यासे हैं। लोगों ने परमेश्वर की व्यवस्था (नाम, बपतिस्मा, आराधना आदि) को पिछले 1675 वर्षो में नष्ट करने का प्रयास किया है । बाइबल के जानकार मानते हैं कि प्र.वा. 17.5 का Mystry Babylone (जो वेश्याओं की मां ही तो है और कोई नहीं, विश्व का आज का सबसे बड़ा चर्च है, फिर उसकी बेटियां वंश्याएं कौन है? सभी Denominational churches, जिन्होंने अपने पति परमेश्वर के वचन के विरुध्द कार्य किया है

लेखक - डॉ. एस.पी.पाण्डेय


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