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Showing posts from 2021

हज़रत मूसा की मानिन्द एक नबी

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  हज़रत मूसा की मानिन्द एक नबी  (याकूब मसीह)   1 सवाल :  ज़्यादातर मुसलीम उलैमाओं को बोलते देखा गया है कि हज़रत मोहम्मद के लिए पेशेनगोई बाईबल के (व्यवस्था विवरण) इसतिसना 18ः18 आयत और यूहन्ना 14ः16 व 16ः10-14 आयते इज़रत मोहम्मद साहब के लिए कही गई है। आईये इन आयतों को समझने के लिए कही गई है। आईये इन आयतों को समझने के लिए हमको र्पदाइश की किताब में जाना पड़ेगा।  पैदाइस बाब 16ः10 से 11 आयत 16ः10 और खुदावन्द के फ़रिस्ते ने हाज़िरा से कहा कि मै तेरी औलाद को बहुत बढ़ाऊंगा, यहां तक कि कश्रत के सबब से उसका शुमार न हो सकेगा। 11 और खुदावन्द के फ़रिश्ते ने हाज़िरा से कहा कि तू हामिला है, और तेरा बेटा होगा। तू उसका नाम इश्माएल रखना इसलिए कि खुदावन्द ने तेरा दुख सुन लिया।  यह उस वक्त का वाक्या है जब हजरत हाज़िरा को हज़रत सारै ने सताना शुरू किया तो हज़रत हाज़िरा हज़रत सारै के सामने से जंगल की रतफ रवाना हुई और बहुत दुखी थी उस वक्त खुदावन्द यहोवा के फरिश्ते ने खुदावन्द के हुक्म के मुताबिक हज़रत हाज़िरा से यह कलाम किया था और आगे देखते है।  पैदाइश 16ः15 और इब्राहिम से हाज़िरा ...

स्वस्थ्य कलीसिया

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 स्वस्थ्य कलीसिया उद्धार का संदेश -  और जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वही उद्धार  पाएगा। ( प्रेरितों  के  काम  2:21 )  पश्चाताप -   37  तब सुनने वालों के हृदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, कि हे भाइयो, हम क्या करें?  ( प्रेरितों के काम 2: 37,38 ) जल संस्कार 3000 परिवारों का -  38  पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।  41  सो जिन्हों ने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए।  ( प्रेरितों के काम 2:38,41 )  सामर्थीकरण - पवित्रआत्मा के द्वारा परिवारों,समाज एवं अन्यजातियों के परिवर्तन के लिये -  39  क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्तानों, और उन सब दूर दूर के लोगों के लिये भी है जिन को प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।  ( प्रेरितों के काम 2:39 ) प्रेरिताई शिक्षा - ‘‘जाओं और शिष्य बनाओं -  42...

कलीसिया के कार्य / Functions of the Church

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  कलीसिया के कार्य /  Functions of the Church ( प्रेरितों के काम 2ः36-47 के आधार पर / Based on ACTS 2: 37-47 ) 1. राज्य की घोशणा: (पद 36) पिन्तेकुस्त के दिन पतरस ने राज्य की घोशणा की जिसने लोगों के हृदय छेद दिये और वे पूछने लगे,‘‘हम क्या करें?’’  Announcing the Kingdom: (V. 37) On the Day of the Pentecost Peter announced the kingdom which pricked the hearts of the people and they asked what shall we do? 2. पष्चाताप (मन फिराना) और बपतिस्मा: (पद 38) पतरस ने वहंा उपस्थित हर एक जन से कहा,‘‘मन फिराओ (पष्चाताप करो) और बपतिस्मा लो’’, और 3000 लोगों ने आज्ञा मानी। कोई भी मनुश्य बिना पष्चाताप या मनफिराव के स्वर्ग के राज्य में प्रवेष नहीं कर सकता जिसके तुरन्त बाद बपतिस्मा लेना चाहिये। इसके लिये किसी व्यवसायिक पास्टर की आवष्ययकता नहीं है, क्योंकि प्रत्येक विष्वासी एक राजकीय याजक है। यहूदी रीति के अनुसार, महिलांए आपस में एक दूसरे को बपतिस्मा देती थी और दो विष्वासी वहां गवाह के रूप में होते थे। मसीहियत, मसीह से उत्पन्न लोगों का आन्दोलन है, और सभी विष्वासियों को पवित्रात्मा द्वार...

कलीसिया के दस प्रमुख कार्य / TENFOLD FUNCTIONS OF THE CHURCH

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 कलीसिया के दस प्रमुख कार्य TENFOLD FUNCTIONS OF THE CHURCH ( प्रेरितों के काम 2ः41-47,  BASED ON ACTS 2: 41-47 ) 1. प्रेरितीय शिक्षा: एक नहीं परन्तु पांच प्रकार के वरदानी सेवकों द्वारा प्रेरितीय शिक्षा देना, जिनका लक्ष्य ऐसे संतों को तैयार करना है, जो कि महान आदेश को पूरा कर सकें। ( इफिसियों 4ः12-13 ) Apostolic Teaching : (V.42) Fivefold ministry gifted teachers, equip the saints and unify the church, leading to edification of  the church by discipling all nations. ( Eph. 4:12-13 ) 2. संगति करना: नगर की अन्य कलीसियाओं के विश्वासियों के साथ एकता स्थापित कीजिए। एक-दूसरे के आधीन होकर उनके लिए प्रार्थना कीजिए। बाइबिल में ‘‘एक-दूसरे’’ का उल्लेख 44 बार आया है। ( इफिसियों 4ः3-6; 5ः21; याकूब 5ः16 ) Fellowship : (V.42) The bond of unity with all the believers of the city, is the secret of church growth. Submit to ‘one another’, love ‘one another’ and pray for ‘each other’. ‘One-another’ comes over 50 times in the NT. ( Eph. 4:3-6; 5:21; James 5:16 )  3. एक साथ भोजन करना: ...

क्या ही धन्य है वह पुरूष

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  Psalms 1:1-3 1    क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टोंकी युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियोंके मार्ग में खड़ा होता? और न ठट्ठा करनेवालोंकी मण्डली में बैठता है! 2    परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता? और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। 3    वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियोंके किनारे लगाया गया है। और अपक्की ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिथे जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है।। Psalms 92 12   धर्मी लोग खजूर की नाई फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाई बढ़ते रहेंगे। 13   वे यहोवा के भवन में रोपे जाकर, हमारे परमेश्वर के आंगनोंमें फूले फलेंगे। 14   वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे, 15   जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है? वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।। Revelation 2 7    जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्क़ा कलीसियाओं से क्‍या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर...

ईश्वरीय चंगाई के विभिन्न चरण - 5

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 प्रार्थना  प्रार्थना सारी समसयाओं का निवारण एंव सामाधान हैं विश्वास के साथ मांगी गई प्रार्थना का यह अर्थ नही है, कि आप आरोग्यता के लिये दया की भीख मांगी जाये। याद रखे यदि आपने मसीह यीशु को अपना निजी उद्धारकर्ता स्वीकार किया है, तो आप परमेश्वर की सन्तान है, और वह आपका पिता है, तो आप परमेश्वर की निज सन्तान है, और वह आपका पिता है। आप कोई भिखारी नहीं है। जैसे एक बालक अपने माता-पिता के पास जाता है। वैसे ही आपका स्वर्गीय पिता चाता है, कि आप दृढ़ विश्वास के साथ उसके पास जांए। उसने आपकों स्वस्थ करने की प्रतिज्ञा दी है। अतः वह आपको स्वस्थ करना चाहता है। परमेश्वर पिता; पिता की भांती आपको स्वस्थ, सुखी एंव सवल देखना चाहता है।  भक्त दाऊद कहता है -  जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा परमेश्वर भी अपने डरवैयों पर दया करता है। ( भजन 103ः13 ) अतःआप निडर होकर साहस के साथ अनुग्रह के सिंहासन के समीप आयें। प्रभु यीशु ने कहा -  यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरा वचन तुम में बना रहे, तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारें लिये हो जाएगा। ( यूहन्ना 15ः7 ) प्रभु यीशु आपको प्रार...

ईश्वरीय चंगाई के विभिन्न चरण - 4

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 ईश्वरीय आरोग्यता उद्धार का भाग है  जिस प्रकार हम स्वास्थ्यकर्ता परमेश्वर को उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह से अलग नही कर सकते, क्योंकि दोनों एक ही तत्व है।  यीशु ने कहा - ‘‘मैं और पिता एक हैं। ( यूहन्ना 10ः30 )  यीशु ने उससे कहा - हे फिलिप्पुस मैं इतने दिन तुम्हारे साथ हूं, और क्या तू नही जानता? जिसने मुझे देखा, उसने पिता को देखा है, तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? ( यूहन्ना 14ः9 ) क्योंकि उसमें ईश्वरत्व की सारी परिपुर्णता सदेह वास करती है। ( कुलुस्सियोें 2ः9 ) इसी प्रकार से ईश्वरीय आरोग्यता और उद्धार को एक दुसरे से लग नही कर सकते। यदि आप शारीरिक आरोग्यता चाहते है। तो आपको आत्मिक आरोग्यता भी ग्रहण करना चाहिए। यदि आप शारीरिक चंगाई चाहते है, तो आपको स्वास्थकर्ता और उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह को अपने जीवन में प्रवेश देना चाहिए।  प्रभु यीशु ने उस झोले के मारे हुए व्यक्ति से कहा - हे पुत्र तेरे पाप क्षमा हुए, अपनी खाट उठा और अपने घर चला जा। ( मरकुस 2ः5 और 11 ) यहां पापों की क्षमा पहले मिली, और बाद में रोग का निवारण हुआ। चंगाई की वाचा से संबन्धित परमेश्वर की श...

ईश्वरीय चंगाई के विभिन्न चरण - 3

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  शैतान आपको दुःखी रखना चाहता है। परमेश्वर आपको स्वस्थ करना चाहता है। परन्तु केवल शैतान ही आपके रोगी और दुःखी रखना चाहता है। आदि से ही शैतान परमेश्वर और परमेश्वर के सृजन कार्यो का विरोध रहा है। बाइबल में उत्पत्ती नामक प्रथम पुस्तक का वृतान्त प्रकट करता है कि हमारे आदि माता पिता (आदम-हव्वा) जिन्हें परमेश्वर ने अपनी समानता और अपने ही स्वरूप में उत्पन्न किया। उन्हें शैतान ने अपनी धुर्त चाल से उन्हें परमेश्वर की जीवन की आज्ञा से बहका कर, रोग, शोक, संताप, क्लेश बन्धन, मृत्यु दूसरे शब्दों में इसी का नाम नरक है, को स्वीकार करने के लिये मजबुर कर दिया, और अनन्त काल के लिये अपने सृजनहार यहोवा परमेश्वर पिता से दूर कर दिया।  मसीह यीशु से स्वर्गीय चंगाई प्राप्त करने के लिये कई लोगों के विश्वास में, यह विचार बाधा बनी है, कि रोग, बीमारियों और दुःख आदि परमेश्वर की ओर से है, और परमेश्वर ने दिया है। इन विचारों से हजारों लोग पीड़ित रहने से समय के पूर्व ही मर जाते है।  इन विचारों से अपने मानव मस्तिष्क को स्वच्छ करते हुए समझना है कि ये बाते परमेश्वर की ओर से नही हैं, वरन शैतान की ओर से है। और ...