स्वस्थ्य कलीसिया

 स्वस्थ्य कलीसिया


उद्धार का संदेश - और जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वही उद्धार पाएगा। (प्रेरितों  के  काम  2:21

पश्चाताप - 37 तब सुनने वालों के हृदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, कि हे भाइयो, हम क्या करें? (प्रेरितों के काम 2: 37,38)

जल संस्कार 3000 परिवारों का38 पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे। 41 सो जिन्हों ने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए। (प्रेरितों के काम 2:38,41

सामर्थीकरण - पवित्रआत्मा के द्वारा परिवारों,समाज एवं अन्यजातियों के परिवर्तन के लिये - 39 क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्तानों, और उन सब दूर दूर के लोगों के लिये भी है जिन को प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा। (प्रेरितों के काम 2:39)

प्रेरिताई शिक्षा - ‘‘जाओं और शिष्य बनाओं - 42 और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे॥ 18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। 19इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। 20 और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं॥ (प्रेरितों के काम 2:42; मत्ती 28:18-20)

संगती - लक्ष्य आधारित कोईनोनिया - 42 और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे॥ (प्रेरितों के काम  2:42)

प्रार्थना - निडरता, आष्चर्यकर्मो और मज़दूरों के लिये - 29 अब, हे प्रभु, उन की धमकियों को देख; और अपने दासों को यह वरदान दे, कि तेरा वचन बड़े हियाव से सुनाएं। 31 जब वे प्रार्थना कर चुके, तो वह स्थान जहां वे इकट्ठे थे हिल गया, और वे सब पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गए, और परमेश्वर का वचन हियाव से सुनाते रहे॥ और उस ने उन से कहा; पके खेत बहुत हैं; परन्तु मजदूर थोड़े हैं: इसलिये खेत के स्वामी से बिनती करो, कि वह अपने खेत काटने को मजदूर भेज दे। (प्रेरितों के काम 4:29,31; लूका 10:2)

चिन्ह और चमत्कार - 43 और सब लोगों पर भय छा गया, और बहुत से अद्भुत काम और चिन्ह प्रेरितों के द्वारा प्रगट होते थे। (प्रेरितों के काम 2:43)

उदारता से दान - 44 और वे सब विश्वास करने वाले इकट्ठे रहते थे, और उन की सब वस्तुएं साझे की थीं। 34 और उन में कोई भी दरिद्र न था, क्योंकि जिन के पास भूमि या घर थे, वे उन को बेच बेचकर, बिकी हुई वस्तुओं का दाम लाते, और उसे प्रेरितों के पांवों पर रखते थे। 35 और जैसी जिसे आवश्यकता होती थी, उसके अनुसार हर एक को बांट दिया करते थे। परन्तु बात तो यह है, कि जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटेगा भी; और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा। हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है। (प्रेरितों के काम 2:44;4:34,35; 2कुरन्थि.9ः6,7)

मछली पकड़ने जाना - भटकी हुई आत्माओं को खोजकर प्रतिदिन उद्धार दिलाना  -  46 और वे प्रति दिन एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे, और घर घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सीधाई से भोजन किया करते थे। (प्रेरितों के काम 2:46)

रोटी तोड़ना - घर-घर में (पवित्र ब्यारी) - 46 और वे प्रति दिन एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे, और घर घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सीधाई से भोजन किया करते थे। (प्रेरितों के काम 2:46

उद्धार पाये हुए - कलीसिया में प्रतिदिन मिलते जाते थे - 47 और परमेश्वर की स्तुति करते थे, और सब लोग उन से प्रसन्न थे: और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था॥ (प्रेरितों के काम 2:47)  

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