हज़रत मूसा की मानिन्द एक नबी
हज़रत मूसा की मानिन्द एक नबी
(याकूब मसीह)
1 सवाल : ज़्यादातर मुसलीम उलैमाओं को बोलते देखा गया है कि हज़रत
मोहम्मद के लिए पेशेनगोई बाईबल के (व्यवस्था विवरण) इसतिसना 18ः18 आयत और यूहन्ना 14ः16 व 16ः10-14 आयते इज़रत मोहम्मद साहब के लिए कही गई है। आईये इन आयतों को समझने के लिए कही गई है। आईये इन आयतों को समझने के लिए हमको र्पदाइश की किताब में जाना पड़ेगा।
पैदाइस बाब 16ः10 से 11 आयत 16ः10 और खुदावन्द के फ़रिस्ते ने हाज़िरा से कहा कि मै तेरी औलाद को बहुत बढ़ाऊंगा, यहां तक कि कश्रत के सबब से उसका शुमार न हो सकेगा। 11 और खुदावन्द के फ़रिश्ते ने हाज़िरा से कहा कि तू हामिला है, और तेरा बेटा होगा। तू उसका नाम इश्माएल रखना इसलिए कि खुदावन्द ने तेरा दुख सुन लिया।
यह उस वक्त का वाक्या है जब हजरत हाज़िरा को हज़रत सारै ने सताना शुरू किया तो हज़रत हाज़िरा हज़रत सारै के सामने से जंगल की रतफ रवाना हुई और बहुत दुखी थी उस वक्त खुदावन्द यहोवा के फरिश्ते ने खुदावन्द के हुक्म के मुताबिक हज़रत हाज़िरा से यह कलाम किया था और आगे देखते है।
पैदाइश 16ः15 और इब्राहिम से हाज़िरा के एक बेटा हुआ और इब्राहीम ने अपने बेटे का नाम जो हाज़िरा से पैदा हुआ इश्माएल रखा। 16 और जब इब्राहीम से हाज़िरा के इश्माएल पैदा हुआ तब इब्राहीम छियासी बरस के थे।
हज़रत इब्राहीम छियासी बरस के थे जिस वक्त हज़रत इश्माएल पैदा हुए थे चलिए आगे देखे -
पैदाइस 17ः15-21 और खुदावन्द ने इब्राहीम से कहा कि सारै जो तेरी बीवी है सो उसको सारै न पुकारना, उसका नाम सारा होगा। 16 और मै उसे बरकत दूंगा और उससे भी तुझे एक बेटा बख़्शूगां, यकीनन मैं उसे बरकत दूंगा कि कौमे उसकी नसल से होंगी और आलम के बादशाह उससे पैदा होगे। 17 तब इब्राहीम सर निगू हुआ और हंसकर दिल मे कहने लगा कि क्या सौ बरस के बूढ़े से कोई बच्चा होगा और क्या सारा के जो नब्बे बरस की है औलाद होगी? 18 और इब्राहीम ने ख़ुदा से कहा कि काश इश्माएल ही तेरे हुजूर जीता रहे। 19 तब ख़ुदावन्द ने फरमाया कि बेशक तेरी बीवी सारा के तुझ से बेटा होगा, तू उसका नाम इसहाक रखना और मैं उससे और फिर उसकी औलाद से अपना अहद जो अब्दी अहद है बान्धूगा। 20 और इश्माएल के हक में भी मैंने तेरी दुआ सुनी, देख मैं उसे बरकत दूंगा और उसे बरोमन्द करूंगा और उसे बड़ी कौम बनाऊंगा और उससे बारह सरदार पैदा होंगे। और मैं उसे बड़ी कौम बनाउंगा। 21 लेकिन मैं अपना अहद इसहाक से बान्धूंगा जो अगले साल इसी वक्ते मुअईन पर सारा से पैदा होगा।
यहां इन आयतों से ख़ुदावन्द यहोवा साफ-साफ फरमाते है कि इश्माएल से बारह सरदार पैदा होंगे और उसे बहुत बढ़ाऊंगा और उससे बड़ी कौम बनाऊंगा।
मगर इसहाक के लिए जो वयदा किया गया ध्यान दीजिये पैदाइश 17ः19 तक ख़ुदावन्द ने फरमाया कि बेशक तेरी बीवी सारा के तुझ से बेटा होगा, तू उसका नाम इसहाक रखना और मैं उससे और फिर उसकी औलाद से अपना अहद जो अब्दी अहद है बान्धूंगा।
इस आयत में साफ है कि ख़ुदावन्द यहोवा ने सिर्फ हज़रत इसहाक से व उनकी औलाद से अहद का वयदा किया, जो कि अब्दी है। हज़रत इश्माएल से उनकी औलाद से न तो अहद न ही अब्दी अहद ही बान्धा अगर आप ध्यान देते तो आपको यह भी पता चलता कि जितने भी नबी पैगम्बर दुनियां में आये सबके सब हज़रत इश्माएल की नसल से। चलिए और आगे देखते है।
हज़रत इश्माएल और हज़रत इसहाक
पैदाइश 21ः1-5 और (खुदावन्द ने) जैसा उसने फरमाया था सारा पर नज़र की और उसने अपने वायदे के मुताबिक सारा से किया 2 सो सारा हामिला हुई और इब्राहीम के लिए उसके बुढ़ापे में उस मुअईन वक़्त पर जिसका जिक्र खुदावन्द ने उससे किया था उसके बेटा हुआ 3 और इब्राहीम ने अपने बेटे का नाम जो उस से सारा के पैदा हुआ इसहाक रखा 4 और इब्राहीम ने ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक अपने बेटे इसहाक का ख़तना उस वक़्त किया जब वह आठ दिन का हुआ 5 और जब उसका बेटा इसाहक उससे पैदा हुआ तो इब्राहीम सौ बरस का था।
जिस वक़्त हज़रत इसहाक पैदा हुए उस वक्त हज़रत इब्राहीम सौ बरस के थे और बीबी सारा इक्यानबे बरस की थी। ख़ुदा ने अपना वायदा पुरा किया ख़ुदावन्द ने सौ व इक्यानबे बरस की उम्र में भी हज़रत इब्राहीम व सारा को बेटा दिया ख़ुदा चाहे तो पत्थरों से भी इन्सान को पैदा कर सकता है उसके लिए कोई भी काम नामुमकिन नहीं है।
पैदाइश 21ः8-13 - 8 और वह लड़का बड़ा हुआ और उसका दूध छुड़ाया गया और इसहाक के दूध छुड़ाने के दिन इब्राहीम ने बड़ी ज़ियाफ़त की 9 और सारा ने देखा कि हाज़िरा मिस्री का बेटा जो उसके इब्राहीम से हुआ था ठट्टे मारता है। 10 तब सारा ने इब्राहीम से कहा कि हाज़िरा को और उसके बेटे को निकाल दे क्योंकि हाज़िरा को और उसके बेटे इसहाक के साथ वारिस न होगा। 11 पर इब्राहीम को उसके बेटे के बाईस यह बात निहायत बुरी मालूम हुई। 12 और ख़ुदा ने इब्राहीम से कहा कि तुझे इस लड़के और हाज़िरा के बाइस बुरा न लगे जो कुछ सारा तुझसे कहती है तू उसकी बात मान क्योंकि इसहाक से तेरी नस्ल का नाम चलेगा। 13 और हाज़िरा के बेटे से भी मैं एक कौम पैदा करूंगा इसलिए कि वह तेरी नस्ल है।
ध्यान देने वाली बात हज़रत इश्माएल व हज़रत इसहाक दोनों ही हज़रत इब्राहीम के बेटे हैं मगर ख़ुदावन्द यहोवा ने पैदाइश 21ः12 में हज़रत इब्राहीम से कहा कि इसहाक ही से तेरी नस्ल का नाम चलेगा। 13 आयत में हज़रत इश्माएल के लिए है कि मैं एक कौम पैदा करूंगा क्योंकि वह तेरी नस्ल है।
इन दोनों आयतों मे साफ़ है कि ख़ुदावन्द ने वायदा किया कि एक ही के जरिये तेरी नस्ल का नाम चलेगा। और दूसरे के जरिये सिर्फ कौम को पैदा करूंगा। आईये अब हज़रत इश्माएल के नस्ल को देखें जो वायदा ख़ुदा ने किया उसको पूरा किया।
पैदाइश 25ः12-18 यह नस्ब नामा इब्राहीम के बेटे इश्माएल का है जो इब्राहीम से हाज़िरा मिस्री के बतन से पैदा हुआ। 13 और इश्माएल के बेटों के नाम यह है। यह नाम तरतीबवार उनकी पैदाइश के मुताबिक है। इश्माएल का पहलौठा नबायोत था, फिर केदार और अदबेल और मिबसाम 14 और मिश्मा और दूमा और मस्सा 15 हदर और तेमा और यतूर और नफ़ीस और केदमा 16 यह इश्माएल के बेटे है और इन ही के नामों से इनकी बस्तियां और छावनियां नामजद हुई। और यही बारह अपने-अपने कबीला के सरदार हुए 17 और इश्माएल की कुल उम्र एक सौ सैंतीस बरस की हुई तब उसने दम छोड़ दिया और वफ़ात पाई और अपने लोगों में जा मिला। 18 और उसकी औलाद हाबीला से शूर तक जो मिस्र के सामने उस रास्ता पर है जिस से अश्शूर को जाते है आबाद थी। यह लोग अपने सब भाईयों के सामने बसे हुए थे।
इन आयतों में हम हज़रत इश्माएल का नस्बनामा देखे और हज़रत इश्माएल के बारह बेटों का जिक्र है जिनके नामों से कबीले आबाद हुए। बाईबल मुकद्दस में फिर हज़रत इश्माएल के बेटों के नाम कहीं-कहीं पर दो या तीन मरतबा आया है मगर हज़रत इसहाक का व हजरत इसहाक के बेटों का नस्बनामा हमको पैदाइश 25ः19 से मुकाशिफा 1 बाब से 22ः1-21 तक मिलेगा। यह सब ख़ुदावन्द यहोवा की तरफ से है।
चलिए आगे चलें......
पैदाइश 25ः19-26 - 19 और इब्राहीम के बेटे इसहाक का नस्बनामा यह है। इब्राहीम से इसहाक पैदा हुआ 20 इसहाक चालीस बरस का था जब उस ने रिबका से ब्याह किया जो फद्दनराम के बाशिन्दा बतूएल अरामी की बेटी और लाबान अरामी की बहन थी। 21 और इसहाक ने अपनी बीवी के लिए ख़ुदावन्द से दुआ की क्योंकि वह बांझ थी और ख़ुदावन्द ने उसकी दुआ कबूल की ओर उसकी बीवी रिबका हामिला हुई। 22 और उसके पेट में दो लड़के आपस में मजाहमत करने लगे। तब उसने कहा अगर ऐसा ही है तो मैं जीती क्यों हूं? और वह ख़ुदावन्द से पूछने गई। 23 ख़ुदावन्द ने उससे कहा दो कौमें तेरे तेट में हैं। दो कबीले तेरे बतन से निकलते ही अलग-अलग हो जायेंगें। और एक कबीला दूसरे कबीले से ज़ोरावर होगा। और बड़ा छोटे की ख़िदमत करेगा। 24 और जब उसके वाजे हमल के दिन पूरे हूए तो क्या देखते है कि उसके पेट में तवाम है। 25 और पहला जो पैदा हुआ वह सुर्ख़ था और ऊपर से ऐसा जैसा पशमेंहा और उन्होंने उसका नाम एसाव रखा। 26 उसके बाद उसका भाई पैदा हुआ और उसका हाथ एसाव की ऐड़ी को पकडे़ हुए था और उसका नाम याकूब रखा गया। जब वह रिबका से पैदा हुए तो इसहाक साठा बरस का था।
हज़रत इसहाक के दो बेटे हुए। एक का नाम एसाव दूसरे का नाम याकूब रखा गया। हजरत याकूब से बारह बेटे एक बेटी पैदा हुई। इससे पहले कि हम हज़रत याकूब का नस्ब नामा दोखें। आईये हम इस्राइल के बारे देखें कि इस्राइल कौन है?
पैदाइश बाब 27 से 32 बाब में हमको मिलता है जब हजरत याकूब ने अपने बड़े भाई एसाव की बरकतो को अपने वालिद से धोके से ले लिये जब हजरत एसाव को पता चला तो बहुत ही गुस्सा हुऐ। और इरादा किया कि जब हज़रत इसहाक का इन्तकाल हो जायेगा (इज़रत इसहाक बहुत जईफ हो गये थे और मौत के बिस्तर पर थे) तो मैं याकूब को भी मार डालूंगा (बाईबल के मुताबिक याकूब का नाम मतलब अड़ंगा मारने वाला है)
जब हज़रत रिबका को हज़रत एसाव के इरादे के बारे मालूम हुआ तो वह हज़रत याकूब को बोली कि तू मेरे भाई लाबान अरामी के पास चला जा जब तेरे भाई का गुस्सा ठन्डा हो जायेगा तो मैं तुझको बुला लूंगी। मैं एक ही दिन में तुम दोनों को क्यों खो बैठूं। हज़रत याकूब ने अपनी वालिदा का हुक्म माना और अपने मामू के घर हारान को रवाना हुए। हज़रत याकूब ने अपने भाई एसाव की बरकतें धोके से लीं थीं। इसलिए जब हज़रत याकूब अपने मामू लाबान अरामी के यहां रहने लगे तो उनके मामू लाबान ने हज़रत याकूब से कहा कि अपनी मेहनताना में आपको क्या चाहिए? हज़रत याकूब ने कहा मुझे आपकी छोटी बेटी रहेल को मेरी बीवी होने के लिए दे दीजिये।
तब हज़रत लाबान ने कहा तू तो मेरे गोश्त में का गोश्त मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे ख़ून में का ख़ून है इसलिए दूसरों को देने से अच्छा है कि मैं तुझको ही अपनी बेटी को दूंगा। और हज़रत याकूब ने सात बरस तक राहेल की मोहब्बत के लिए काम किया। और राहेल की मोहब्बत के एवज में सात बरस चन्द दिनों के बराबर मालूम हुए। जब हज़रत याकूब के सात बरस पूरे हुए तो हज़रत लाबान से कहा मेरी बीवी मुझे दे ताकि मैं उसके पास जाऊं। जब हज़रत लाबान ने आप पास के लोगों को बुलाया और उनकी ज़ियाफ़त की। और शाम को अपनी बेटी लिआ को ले आया और हज़रत याकूब ने लिया को देखा तो अपने मामू ससूर लाबान से कहा कि मैंने तो राहेल के लिए मेहनत की थी और आपने मुझको लिया को दिया आपने धोका किया। (हज़रत याकूब ने अपने भाई एसाव की बरकतें धोके से ली थी इसलिए इनको भी धोका मिला। यहां एक बात कहना चाहूंगा बाईबल मुकद्दस में किसी की गलती या गुनाह को छिपाया नहीं गया। जैसा जिसने किया वैसा ही उसके लिए लिखा गया है।)
तब हज़रत लाबान ने कहा हमारे यहां यह रिवाज़ नही है कि बड़ी बेटी से पहले छोटी ब्याही जाये। इसलिए इसका हफ़ता पूरा कर तब छोटी भी तुझको ब्याह दी जायेगी और उसके लिए भी तुझे सात बरस मेरी ख़िदमत करनी पड़ेगी। और एक सप्ताह के बाद हज़रत रहेल भी हज़रत याकूब की बीवी बन गई। उस जमाने में लोग अपनी बेटी के साथ एक लोंडी (दासी) भी देते थे। ताकि अगर ख़ुदा न ख़स्ता बेटी से कोई औलाद पैदा नही होगी तो लोंडी (दासी) को वह बेटी अपने शौहर के पास भेजती थी और जो भी औलाद पैदा होती थी वह उसी बेटी की कहलाती थी। इसलिए हज़रत लाबान ने लिया के साथ एक लोंडी (दासी) को दिया जिसका नाम जिल्फ़ा था। और रहेल के साथ जो लोंडी (दासी) थी उसका नाम बिल्हा था। इन ही बीवियों से हज़रत याकूब के बारह बेटे एक बेटी हुई थी। जब हज़रत याकूब के यह सब बच्चे हुए और वह यहां रह कर ख़ुदा के फज़्ल से मालदार हो गये तो उनके ससूर लाबान के बेटे आपस में कहने लगे कि हमारे बाप की सारी दौलत आहिस्ता-आहिस्ता करके अपना ली है। जब हज़रत याकूब ने इन बातों को सुना। और उसी वक्त उनके ससूर लाबान व उनके बेटे अपनी भेड़ो के बाल उतरवाने गये थे तब हज़रत याकूब ने अपनी बीवियों को कहा कि मैंने तुम्हारे भाईयों को ऐसा कहते सुना है और मुझको उनकी नियत में खोट नज़र आता है तो हज़रत याकूब की बीवियों ने कहा कि हमारे बाप ने तो हमको पहले ही बेच दिया अब हमारा यहां क्या रहा (बेचने का मतलब हज़रत याकूब ने हज़रत लाबान की ख़िदमत सात साल लिया के लिए और सात साल राहेल के लिए मेहनत की थी यानि उनको मफ़त में बीवियाँ नहीं मिली थी) तब हज़रत याकूब अपनी बीवियों व बच्चों के साथ वहां से अपने बाप हज़रत इसहाक के घर की तरफ रवाना हुए और जब हज़रत लाबान को पता चला कि हज़रत याकूब घर छोड़ कर अपनी बीवियों व बच्चों को माल समेत लेकर भाग रहे हैं तो उनका पीछा किया मगर ख़ुदावन्द ख़ुदा ने हज़रत लाबान को डांटा और कहा याकूब को कुछ न कहना क्योंकि वह मेरा बन्दा है। और लाबान ने हज़रत याकूब से अहद बान्धा और वापस अपने घर चले गये। लेकिन जब हज़रत याकूब को पता चला कि हज़रत ऐसाव चार सौ सिपाहियों को लेकर उनसे मिलने आ रहे हैं तो हज़रत याकूब बहुत डर गये। और ख़ुदावन्द की हुजूरी में गये।
पैदाइश 32ः9-12 - 9 और याकूब ने कहा ऐ मेरे दादा इब्राहीम के ख़ुदा और मेरे बाप इसहाक के ख़ुदा! अऐ ख़ुदावन्द जिस ने मुझे यह फरमाया कि तू अपने मुल्क को अपने रिस्तेदारों के पास लौट जा और मैं तेरे साथ भलाई करूंगा 10 मैं तेरी सब रहमतों और वफ़ादारी के मुकाबले में जो तूने अपने बन्दे के साथ बरती है बिल्कुल सच्ची हुई क्योंकि मैं सिर्फ अपनी लाठी लेकर इस यरदन के पार गया था और अब ऐसा हूं कि मेरे दो गोल है 11 मैं तेरी मिन्नत करता हूं कि मुझे मेरे भाई एसाव के हाथ से बचा ले क्योंकि मैं उससे डरता हूं कि कहीं वह आकर मुझे और बच्चों को मां समेत मार न डाले। 12 यह तेरा ही फरमान है कि मैं तेरे साथ जरूर भलाई करूंगा और तेरी नस्ल को दरिया की रेत की मानिन्द बनाऊंगा जो कसरत के सबब से गिनी नहीं जा सकती।
पैदाइश 32ः22-29 - 22 और वह उसी रात उठा और अपनी दोनों बीवियों, दोनों लौंडियों और ग्यारह बेटों को लेकर उनको यब्बोक के घाट से पार उतारा 23 और उनको लेकर नही पार कराया और अपना सब कुछ पाल भेज दिया 24 और याकूब अकेला रह गया और पौ फटने के वक्त तक एक शख़्स वहां उस से कुश्ती लड़ता रहा 25 जब उसने देखा कि वह उस पर गालिब नहीं होता तो उसकी रान को अन्दर की तरफ से छुआ और याकूब की रान की नस उसके साथ कुश्ती करने में चढ़ गई 26 और उसने कहा मुझे जाने दे क्योंकि पौ फट चली है। याकूब ने कहा कि जब तक तू मुझे बरकत न दे मैं तुझे जाने नहीं दूंगा 27 तब उसने उससे पूछा तेरा क्या नाम है? उसने जवाब दिया याकूब 28 उस ने कहा कि तेरा नाम आगे को याकूब नहीं बल्कि इस्राएल होगा क्योंकि तू ने ख़ुदा और आदमियों के साथ जोर अज़माई की और गालिब हुआ 29 जब याकूब ने उससे कहा कि मैं तेरी मिन्नत करता हूं तू मुझे अपना नाम बता दे। उसने कहा कि तू मेरा नाम क्यों पूछता है? और उसने उसे वहां बरकत दी।
ख़ुदावन्द ख़ुदा ने हज़रत याकूब को उनके भाई एसाव से भी बचाया और उनको बरकत भी दी कि आज से तेरा नाम याकूब (याकूब का मतलब पीछे भी बताये हैं अड़ंगा मारने वाला) नहीं बिल्की इस्राएल होगा। इस्राएल नाम का मतलब सलतनत। पहले सिर्फ याकूब थे यानि दूसरों को अड़ंगा मारने वाले मगर अब इस्राएल यानि एक सलतनत बन गये। जो मुल्क इस्राएल है आज वह हज़रत याकूब का ही नाम है जिसे ख़ुदा ने ख़ुद रखा।
अब हज़रत याकूब के बारह बेटों के नाम
हज़रत याकूब की बीवी लिया से जो पैदा हुए पैदाइश 29ः31-35 में
1) हज़रत रूबेन, 2) हज़रत शिमोन, 3) हज़रत लेवी, 4) हज़रत यहूदा
पैदाइश 30ः1-8 लोंडी बिल्हा जो हज़रत राहेल को दी गई थी उससे
5) हज़रत दान, 6) हज़रत नप्ताली।
पैदाइश 30ः9-13 लोंडी जिल्फा जो हज़रत लिया को दी गई थी उससे
7) हज़रत गाद, 8) हज़रत आशेर
पैदाइश 30ः14-21 बीवी लिया से
9) हज़रत गाद, 10) हज़रत जबूलून और एक बेटी भी पैदा हुई उनका नाम दीना रखा।
पैदाइश 30ः22-24 हज़रत राहेल से
11) हज़रत युसूफ और हज़रत बिन्यामीन पैदा हुए यूं कुल बारह बेटे और एक बेटी पैदा हुई।
अब आगे चलिए हज़रत मूसा के लिये देखते है।
हज़रत मूसा हज़रत याकूब के तीसरे नम्बर के बेटे हज़रत लेवी के घराने में से पैदा हूए यह आपको खुरूज 2ः1-10 में मिलेगा। 1 और लेवी के घराने के एक शख़्स ने जाकर लेवी की नस्ल की एक औरत से ब्याह किया 2 वह औरत हामला हुई और उसके बेटा हुआ और उसने यह देख कर कि बच्चा खुबसूरत है तीन महीने तक उसे छिपा कर रखा 3 और जब उसे और ज़्यादा छिपा न सकी तो उसने सरकन्डों का एक टोकरा लिया और उस पर चिकनी मिट्टी और राल लगाकर लड़के को उस में रखा और उसे दरिया के किनारे झाड़ में छोड़ आई 4 और उसकी बहन (हज़रत मूसा हज़रत ईसा की माँ मरियम से हजारों साल पहले आयी थी। मगर कुरान शरीफ में ईसा मसीह की माँ को मूसा और हारून की बहन बताया गया है। सूरा मरियम 19ः27 फिर मरियम उस लड़के को गोद में लिये अपनी जाति के लोगों के पास आई। वो देखकर कहने लगे ऐ मरियम! ये तो तूने तूफ़ान बरपा कियां 28 ऐ हारून की बहन! न तो तेरा बाप ही बदकार था और न तेरी माता ही दरकार थी। 29 तो (मरियम ने) बच्चे की तरफ इशारा किया (कि जो कुछ पूछना है उससे पूछ लो)। वह कहने लगे कि हम इस गोद के बच्चे से कैसे बात करें। 30 (इस पर) बच्चा बोल उठा कि मैं अल्लाह का बंदा हूँ, उसने मुझको किताब (इंजिल) दी है और मुझको नबी बनाया है। ये मरियम ईसा की माँ नहीं बल्कि हज़रत मूसा की व हारून की बहन है। जिसको कि कुरान शरीफ में ईसा की मां बताया गया है।) दूर खड़ी रही ताकि देखे कि उसके साथ क्या होता है 5 और फिरोन की बेटी दरिया पर गुस्ल करने आई और उसकी सहेलियां दरिया के किनारे-किनारे टहलने लगीं। तब उसने झाड़ में वह टोकरा देख कर अपनी सहेली को भेजा कि उसे उठा लाये। 6 जब उसने उसे खोला तो लड़के को देखा और वह बच्चा रो रहा था। उसे उस पर रहम आया और कहने लगी यह किसी इब्रानी का बच्चा है 7 तब उसकी बहन (मरियम) ने फिरोन की बेटी से कहा क्या मैं जाकर इब्रानी औरतों में से एक दाई तेरे पास बुला लाऊं तो तेरे लिए इस बच्चे को दूध पिलाया करें? 8 फिरोन की बेटी ने उसे कहा जा। वह लड़की जाकर उस बच्चे की मां को बुला लाई 9 फिरोन की बेटी ने उसे कहा तू इस बच्चे को ले जाकर मेरे लिए दूध पिला। मैं तूझे तेरी उजरत दिया करूंगी। वह औरत उस बच्चे को ले जाकर दूध पिलाने लगी 10 जब बच्चा कुछ बड़ा हुआ तो वह उसे फिरोन की बेटी के पास ले गई और वह उसका बेटा ठहरा और उसने उसका नाम मूसा यह कहकर रखा कि मैंने उसे पानी से निकाला।
इन आयतों में साफ हो गया कि हज़रत मूसा हज़रत लेवी की नस्ल से थे और हज़रत लेवी हज़रत याकूब के तीसरे नम्बर के बेटे थे और हज़रत लेवी हज़रत याकूब के तीसरे नम्बर के बेटे थे। और ख़ुदावन्द ख़ुदा ने हज़रत मूसा की मारिफत बनी इस्राइल जो कि हज़रत याकूब के बारह बेटों की औलादें थी बनी मिस्र की गुलामी से आजादी दिलाई। और जब बनी इस्राएल को मिस्र की गुलामी से आजादी मिली और जिस मुल्क को पैदाइश 13ः1 के मुताबिक ख़ुदावन्द ने हज़रत इब्राहीम से वायदा किया था कि तेरी नस्ल यानि इसहाक की औलाद को उसकी नीज मिलकियत होने को दूंगा। यानि मुल्के कनान को और मिस्र से कनान जाने को सिर्फ एक सप्ताह का रास्ता था मगर ख़ुदा ने उनकी अजमाइश करने के लिए चालीस साल तक जंगल में घूमाया और आजमाइश की और जो इसतिशना 18ः18 मै उनके लिए उन ही के भाईयों में से तेरी मानिन्द एक नबी बरपा करूंगा और अपना कलाम उसके मुंह में डालूंगा और जो कुछ मैं उसे हुक्म दूंगा वही वह उनसे कहेगा।
आईये अब इस आयत को समझेंगे कि हज़रत मूसा की मारिफत ख़ुदावन्द ने किसको व किसके लिए कहा कहां और कब व क्यों कहा?
खुरूज 20ः1-17 तब दस हुक्मों को दिया वह भी सिर्फ उस वक्त इस्राइलियों को और खुरूज 20ः18 और सब लोगों ने बादल गरजते और बिजली चमकते और क़रण की आवाज होते और पहाड़ से धूआं उठते देखा और जब लोंगों ने यह देखा तो कांप उठे और दूर खड़े हो गये 19 और मूसा से कहने लगे तू ही हमसे बातें किया कर और हम सुन लिया करेंगे लेकिन ख़ुदा हम से बातें न करें तो न हो कि हम मर जाएं 20 मूसा ने लोगों से कहा तुम डरो मत क्योंकि ख़ुदा इसलिए आया है कि तुम्हारा इम्तिहान करे और वह लोग दूर ही खड़े रहे और मूसा उस गहरी तारीकी के नज़दीक गया जहां ख़ुदा था।
खुरूज 20ः1-21 तब ख़ुदा ने बनी इस्राइल को हज़रत मूसा की मारिफत दस हुक्मों को दिया और जब होरेब पहाड़ पर से बनी इस्राइल से बातें की तो सब डर गये और हज़रत मूसा से दरख्वाश्त की कि ख़ुदा हमसे बातें न करें नही तो हम मर जायेंगे आप ही बात करें यानि आप ख़ुदा से बातें करके हमें बताईये हम आपकी बातों को मानेंगे हम इसलिए ख़ुदावन्द ने इसतिसना 18ः14-18 को देखिए किन लोगों से हज़रत मूसा को बातें करते बताया गया है।
इस्तिसना 18ः14 क्योंकि वह कौमें जिनका तू वारिस होगा शगून निकालने वालों और फालगिरों की सुनती है। पर तुझको ख़ुदावन्द तेरे ख़़्ाुदा ने ऐसा करने न दिया 15 ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे लिए तेरे ही दरम्यिान से यानि तेरे ही भाईयों में से मेरी मानिन्द एक नबी बरपा करेगा। तुुम उस की सुनना ं16 यह तेरी उस दरख़्वास्त के मुताबिक होगा जो तूने ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मज़मा के दिन होरेब में की थी कि मुझको न तो ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा ही आवाज फिर सुननी पड़े और न ऐसी बड़ी आग ही का नज़ारा हो ताकि मैं मर न जाऊँ। 17 और ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा वह जो कुछ कहते हैं सो ठीक कहते हैं। 18 मैं उनके लिए उन ही के उनके भाईयों में से तेरी मानिन्द एक नबी बरपा करूंगा और अपना कलाम उसके मुंह में डालूंगा और जो कुछ मैं उसे हुक्म दूंगा वही वह उनसे कहेगा।
इन आयतों में 18ः16 पर गौर कीजिये यहां पर साफ़ अलफ़ाजों में ख़ुदावन्द ने हज़रत मूसा की मार्फत कहा कि यह तेरी उस दरख़्वास्त के मुताबिक होगा जो तूने ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मज़मा के दिन होरेब (होरेब सीने पहाड़ को बोलते हैं खुरूज 20ः19 में बनी इस्राएल ने ख़ुदा से दरख़्वास्त की थी कि ख़ुदा हमसे सीधे तौर पर बात न करे नहीं तो हम मर जायेंगे) में की थी कि मुझको न तो ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की आवाज फिर सुनायी पड़े और न ऐसी बड़ी आग ही का नजारह हो ताकि मैं मर न जाऊं।
मेरे भाई उलैमाओं यहां पर साफ है कि ख़ुदावन्द ख़ुदा ने हज़रत इसहाक की नस्ल यानि इस्रालियों में हज़रत मूसा की मार्फत कलाम किया कि तेरे भाईयों में से यानि इस्राएलियों में से एक नबी को बरपा करूंगा।
न की हज़रत इश्माएल की नस्ल से कहा कि इश्माइलियों को नही कहा कि तेरे भाईयों में से एक नबी को बरपा करूंगा क्योंकि हज़रत मोहम्मद इस्राएली नहीं थे बल्कि इश्माइली थे। तो आपका कहना गलत है कि इसतिशना 18ः18 हज़रत मोहम्मद के लिए हज़रत मूसा ने पेशेनगोई की।
हज़रत मूसा ने तो हज़रत ईसा मसीह के लिए पेशेनगोई की थी क्योंकि हज़रत ईसा मसीह ही इस्राइलियों में से आऐ। इसलिए आपके सवाल का जवाब यही है।
दूसरी बात
कई मुस्लिम उलैमाओं को यह भी कहते सुना है कि हज़रत ईसा मसीह ने भी हज़रत मोहम्मद के लिए पेशेनगोई की वह इन आयतों को लेकर बोलते है।
यूहन्ना 14ः16 और मैं बाप से दरख़्वास्त करूंगा तो वह तुम्हें दूसरा मददगार बख़्शेगा कि अब्द तक तुम्हारे साथ रहे यूहन्ना 16ः13 लेकिन जब वह यानि सच्चाई का रूह आयेगा तो तुमको सच्चाई की राह दिखायेगा। इसलिए कि वह अपनी तरफ से न कहेगा लकिन जो कुछ सुनेगा वही कहेगा और तुम्हें आईन्दा की खबरें देगा। 14 वह मेरा ज़लाल जाहिर करेगा। इसलिए कि मुझ ही से हासिल कर के तुम्हें खबरें देगा। 15 जो कुछ बाप का है वह सब मेरा है। इसलिए मैंने कहा कि वह मुझसे हासिल करता है और तुम्हें खबरें देगा।
मुस्लिम उलेमाओं को इन आयतों पर गौर करना चाहिए कि इन आयतों में किस के लिए क्या लिखा है।
पहली बात यूहन्ना 16ः15 में हज़रत ईसा मसीह ने कहा इसलिए मैंने कहा कि वह मुझसे हासिल करता है। अगर यह आयतें या यह आयत हज़रत मोहम्मद के लिए है तो गौर कीजिये कि हज़रत मोहम्मद ने इस्लाम के मुताबिक हजरत जिब्राइल से ख़ुदा का कलाम को सुना।
सुरा 96ः1-4
1 पढ़ो अपने परवर दिगार का नाम लेकर जिसने सबको पैदा किया? आदमी को जमे हुए लहू से बनाया 3 पढ़ चलो और तुम्हारा परवरदिगार बड़ा करीम है 4 जिसने कलम के द्वारा अिल्म सिखाया। हज़रत मोहम्म्द ने जब हज़रत जिब्राईल से ये सुना तो उन्होंने अपने दोस्तों, नजदिकीयों को बताया जिन्होंने कुरआन शरीफ को याद कर लिया। हज़रत मोहम्म्द ने हज़रत ईसा मसीह से हासिल नहीं किया।
दूसरी बात यूहन्ना 16ः14 में हज़रत ईसा मसीह ने कहा वह मेरा ज़लाल जाहिर करेगा। यहां पर भी गौर कीजिये कि हज़रत मोहम्मद ने हज़रत ईसा मसीह से न तो कुछ हासिल किया और न ही उनका जलाल जाहिर किया और कहा कि ईसा मसीह ने मेरे बारे पशेनगोई की है सुरा 61ः6 और जब मरियम के बेटे ईसा ने कहा तुम्हें एक पैग़म्बर की ख़ुशख़बरी देता हूं जो मेरे बाद आयेगा उसका नाम अहमद होगा।
यहां तो साफ है कि हज़रत मोहम्मद ने अपना ज़लाल जाहिर किया न कि हज़रत ईसा मसीह का
तीसरी बात
यूहन्ना 14ः16 और मैं बाप से दरख़्वास्त करूंगा तो वह तुम्हें दूसरा मददगार बख़्शेगा कि अब्द तक तुम्हारे साथ रहेगा हज़रत मोहम्मद हमारे साथ नही हैं हम जानते है कि 632 ईस्वी में हज़रत मोहम्मद ने दुनियां से पर्दा कर लिया और आज भी उनकी कब्र मदीना में है।
जिस मददगार यानि सच्चाई के रूह के लिए हज़रत ईसा मसीह ने वायदा किया था देखिये रसूलों के अमाल 1ः3 ईसा मसीह ने दुःख सहने के बाद बहुत से सबूतों से अपने आप को उन पर जिन्दा जाहिर भी किया चुनंचे वह चालीस दिन तक उन्हें नज़र आते और ख़ुदा की बादशाही की मनादी करते रहे। 4 और उन से मिल कर उन्हेे हुक्म दिया कि यरूशलेम से बाहर न जाओ बल्कि बाप के उस वायदे के पूरा होने के मुन्तजिर हो जिसका ज़िक्र तुम मुझसे सुन चुके हो। 5 क्योंकि यूहन्ना (यहिया अलै.) ने तो पानी से बपतिस्मा दिया मगर तुम थोड़े दिनों में रूहउलकुद्दुस से पाक गुस्ल पाओगे। 6 तब शागिर्दों ने जमअ होकर ईसा से पूछा कि ‘‘ऐ ख़ुदावन्द! क्या आप इसी वक्त इस्राएल को बादशाही फिर अता करेंगे?
ईसा अल मसीह ने उन से कहा ‘‘ उन वक्तों और मीआदों का जानना जिन्हें बाप ने अपने इख़्तियार में रखा है तुम्हारा काम नहीं। 8 लेकिन जब रूहउलकुद्दूस तुम पर नाज़िल होगा तो तुम कुव्वत पओगे और यरूशलेम और तमाम यहूदिया और सामरिया में बल्कि ज़मीन की इन्तिहा तक मेरे गवाह भी होगे।
हम थोड़ा सा रूक कर इन आयतों पर ध्यान देना देंगे।
रसूलो के आमाल 1ः3 में कहा गया है कि ईसा अल मसीह ने दुःख सहने के बाद बहुत से सबूतों से अपने आपको अपने शागिर्दों पर जिन्दा जाहिर किया और चालीस दिनों तक उनको नज़र आते रहे या यह कहिये उनके साथ रहे। जिन्दा जाहिर किया मतलब ईसा मसीह की सलीब पर मौत हुई थी। 4-5 आयतों में 1) हुक्म दिया 2) यरूशलेम से बाहर नहीं जाना 3) बाप के वायदे के पूरा होने तक ठहरे रहो 4) जिसका जिक्र तुम मुझसे सुन चुके हो 5) तुम रूहउलकुद्दूस से पाक गुस्ल पओगे। यही रूहउलकुद्दूस मददगार है जिसका वायदा हज़रत ईसा ने किया। और 8 आयत के मुताबिक जब रूहउलकुद्दूस तुम पर नाजिल होगा तो कुव्वत पओगे और मेरे गवाह होगे।
यही रूहउलकुद्दूस का वायदा है हज़रत मोहम्मद सा. का नहीं
रसूल के आमाल 2ः1-4 में पूरा हुआ आईये देखेंः-
आमाल 2:1 जब ईदे पिन्तेकुस्त का दिन आया तो वह सब एक जगह जमअ थे 2 कि यकायक आसमान से ऐसी आवाज आई जैसे जोर की आन्धी का सन्नाटा होता है और उस से सारा घर जहां वह बैठे थे गुंज गया 3 और उन्हें आग के शोले जैसी फटती हुई जबांने दिखाई दी; और उन में से हर एक पर आ ठहरी 4 और वह सब रूहउलकुद्दूस से भर गये और ग़ैर ज़बाने बोलने लगे जिस तरह रूह ने उनको ताक़त बख़्शी।
इस मददगार की हज़रत ईसा अल मसीह ने वायदा किया था और वह पूरा किया न की हज़रत ईसा अल मसीह ने हज़रत मोहम्मद के लिए किया और न ही उनके लिए कोई पेशेनगोई की।
मैं सोचता हूं यहां पर उलेमाओं के सवालों का जवाब उन्हें मिल गया होगा पढ़िये समझिये ख़ुदावन्द यहोवा आपकी रहनुमाई करें।
आमीन।
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