क्या ही धन्य है वह पुरूष

 Psalms 1:1-3

1   क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टोंकी युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियोंके मार्ग में खड़ा होता? और न ठट्ठा करनेवालोंकी मण्डली में बैठता है!

2   परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता? और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है।

3   वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियोंके किनारे लगाया गया है। और अपक्की ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिथे जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है।।


Psalms 92

12  धर्मी लोग खजूर की नाई फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाई बढ़ते रहेंगे।

13  वे यहोवा के भवन में रोपे जाकर, हमारे परमेश्वर के आंगनोंमें फूले फलेंगे।

14  वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे,

15  जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है? वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।।


Revelation 2

7   जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्क़ा कलीसियाओं से क्‍या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर के स्‍वर्गलोक में है, फल खाने को दूंगा।।

Fish in the Bible
In the Gospel of Luke (Luke 5:1–11), the first miraculous catch of fish takes place early in the ministry of Jesus and results in Peter as well as James and John, the sons of Zebedee, joining Jesus vocationally as disciples.

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