तीसरी वाणी "हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र "

 तीसरी वाणी 

"हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र " (यूहन्ना 19ः26,27)

यूहन्ना 19ः25,27 25 परन्तु यीशु के क्रूस के पास उस की माता और उस की माता की बहिन मरियमए क्लोपास की पत्नी और मरियम मगदलीनी खड़ी थी। 26 यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिस से वह प्रेम रखता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा! हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है। 27 तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया॥

प्रभु यीशु के 12 प्रेरितों में यूहन्ना सबसे कम उम्र के थे और यीशु मसीह उसने सबसे अधिक प्रेम भी करते थे।  उनके सांसारीक पिता जबदी और माता शालोमी थी। कम उम्र के होते हुए भी प्रेरितों में सबसे लम्बे समय तक जिवित रहे। सन् 96 में पदमुस नामक टापू पर उन्होंने प्रकाशित वाक्य लिखा। 

यीशु मसीह के पिता युसूफ खत्म हो गये थे, किन्तु यूहन्ना के माता पिता जीवित थे। यूहन्ना को माता मरियम को सौपने के बाद वह उसे अपने साथ उद्धार के घर यानि यूहन्ना के साथ उद्धार पाने के लिए उनके साथ सुसमाचार की सेवा में लग गई। क्योंकि प्रभु यीशु की मां को भी उद्धार की आवश्यक्ता थी।

आत्मिक रूप से प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर के पुत्र थे, यह बात माता मरियम भी जानती थी।

लूका 1ः31,32 और देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना। 32 वह महान होगा; और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उस को देगा।

यूहन्ना 1ः14 "और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।"

यूहन्ना 4ः34 "यीशु ने उन से कहा, मेरा भोजन यह है, कि अपने भेजने वाले की इच्छा के अनुसार चलूं और उसका काम पूरा करूं।"

मत्ती 10ः37 "जो माता या पिता को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं और जो बेटा या बेटी को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं।"

मरकुस 3ः31-35 31 और उस की माता और उसके भाई आए, और बाहर खड़े होकर उसे बुलवा भेजा। 32 और भीड़ उसके आसपास बैठी थी, और उन्होंने उस से कहा; देख, तेरी माता और तेरे भाई बाहर तुझे ढूंढते हैं। 33 उस ने उन्हें उत्तर दिया, कि मेरी माता और मेरे भाई कौन हैं? 34 और उन पर जो उसके आस पास बैठे थे, दृष्टि करके कहा, देखो, मेरी माता और मेरे भाई यह हैं। 35 क्योंकि जो कोई परमेश्वर की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई, और बहिन और माता है॥

यूहन्ना 2ः4,5 "यीशु ने उस से कहा, हे महिला मुझे तुझ से क्या काम? अभी मेरा समय नहीं आया। 5 उस की माता ने सेवकों से कहा, जो कुछ वह तुम से कहे, वही करना।

लूका 2ः35 "वरन तेरा प्राण भी तलवार से वार पार छिद जाएगा-- इस से बहुत हृदयों के विचार प्रगट होंगे।

दूसरा भाग 

वह चेला जिससे वह अधिक प्रेम करते थे वह चेला यूहन्ना ही था, जिसे वह बहुत अधिक प्रेम करते थे।

रोमियों 10ः9,10 "कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। 10 क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है।"

मती 10ः36 "मनुष्य के बैरी उसके घर ही के लोग होंगे। 37 जो माता या पिता को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं और जो बेटा या बेटी को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं। 38 और जो अपना क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले वह मेरे योग्य नहीं।

1 तीमुथियुस 3ः4 "अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करता हो, और लड़के-बालों को सारी गम्भीरता से आधीन रखता हो।"

प्रभु यीशु मसीह ने अपने संसारिक घर का अच्छा प्रबंध किया, यूहन्ना उद्धार पाये हुए प्रेरित थे, इसलिए प्रभु यीशु मसीह के और भी सांसारिक भाईयों और परिवार को उद्धार की आवश्यक्ता थी, इसलिये वे जिम्मेदारी को गंभीर रूप से जानते थे इसलिए उन्होंने माता को यून्ना को सौप कर उन्होंने अपने परिवार के अच्छे प्रंबधक होने की जिम्मेदारी निभाई।  

प्रेरितों के काम 2: 42 "और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे॥ 43 और सब लोगों पर भय छा गया, और बहुत से अद्भुत काम और चिन्ह प्रेरितों के द्वारा प्रगट होते थे। 44 और वे सब विश्वास करने वाले इकट्ठे रहते थे, और उन की सब वस्तुएं साझे की थीं। 45 और वे अपनी अपनी सम्पत्ति और सामान बेच बेचकर जैसी जिस की आवश्यकता होती थी बांट दिया करते थे। 46 और वे प्रति दिन एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे, और घर घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सीधाई से भोजन किया करते थे। 47 और परमेश्वर की स्तुति करते थे, और सब लोग उन से प्रसन्न थे: और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था॥

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