सातवीं वाणी ’’हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ‘‘
सातवी वाणी
क्रूस पर यीशु मसीह की सातवीं वाणी ’’हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ‘‘
लूका 23ः46 "और यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा; हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं: और यह कहकर प्राण छोड़ दिए।
उत्पत्ती 2ः2 "और परमेश्वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया। और उसने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया।"
अपनी आत्मा सौपने का अधिकार किसी को है? यदि कोई मनुष्य आपने आपको यह कह कर कि पिता मैं अपनी आत्मा आपको सौपता हूँ और वह आत्म हत्या कर ले तो क्या ऐसा मनुष्य कर सकता है। नहीसभोउपदेशक 12ः7 "जब मिट्टी ज्यों की त्यों मिट्टी में मिल जाएगी, और आत्मा परमेश्वर के पास जिसने उसे दिया लौट जाएगी।"
यशायाह 57ः16 "मैं सदा मुकद्दमा न लड़ता रहूंगा, न सर्वदा क्रोधित रहूंगा; क्योंकि आत्मा मेरे बनाए हुए हैं और जीव मेरे साम्हने मूच्छिर्त हो जाते हैं।"
परमेश्वर आत्मा है और उसने मनुष्यों को अपनी आत्मा दिया है उसे सौपने का अधिकार मनुष्यों को नही है।
अयूब 27ः3 "क्योंकि अब तक मेरी सांस बराबर आती है, और ईश्वर का आत्मा मेरे नथुनों में बना है।"
रोमियों 5ः8 "परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
प्रभु यीशु ने अपने लिये कोई चमत्कार नही किये। लोंगो के लिये अनेक अश्चर्यकर्म किये। उसने अपने आप को दिन किया और वह पिता की आज्ञा मानता रहा।
फिलिप्पियों 2ः8 "और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।"
यूहन्ना 10ः17,18 "पिता इसलिये मुझ से प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूं, कि उसे फिर ले लूं। 18 कोई उसे मुझ से छीनता नहीं, वरन मैं उसे आप ही देता हूं: मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर लेने का भी अधिकार है: यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है॥
यूहन्ना 11ः25 "यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।"
हर बात में परमेश्वर ने यीशु मसीह को हर बात में पहलौठा ठहराया था।
पुराने नियम में की गई भविष्यवाणी
भजन संहिता 31ः5 "मैं अपनी आत्मा को तेरे ही हाथ में सौंप देता हूं; हे यहोवा, हे सत्यवादी ईश्वर, तू ने मुझे मोल लेकर मुक्त किया है॥"
स्तिफनुस द्वारा निवेदन किया गया कि आपने जो आत्मा मुझे दी है उसे ग्रहण कर कहा।
प्रेरितों के काम 7ः59 "और वे स्तिुफनुस को पत्थरवाह करते रहे, और वह यह कहकर प्रार्थना करता रहा; कि हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर।"
यूहन्ना 13ः3-5 "यीशु ने यह जानकर कि पिता ने सब कुछ मेरे हाथ में कर दिया है और मैं परमेश्वर के पास से आया हूं, और परमेश्वर के पास जाता हूं। 4 भोजन पर से उठकर अपने कपड़े उतार दिए, और अंगोछा लेकर अपनी कमर बान्धी। 5 तब बरतन में पानी भरकर चेलों के पांव धोने और जिस अंगोछे से उस की कमर बन्धी थी उसी से पोंछने लगा।
जब सब पूरा हो गया ‘‘तब यीशु ने बड़े शब्द से चिल्लाकर प्राण छोड़ दिये और मन्दिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकडे हो गया’’ मिलापवाला तम्बू, व्यवस्था पूरी हो गयी। इस बलिदान के द्वारा अब मेल मिलाप हो गया है। अब आपको चुनी हूई प्रजा, याजक, समाज हो गये।
इब्रानियों 10ः1 "क्योंकि व्यवस्था जिस में आने वाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उन का असली स्वरूप नहीं, इसलिये उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रति वर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आने वालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकतीं।"
1पतरस 2ः9,10 "पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की ) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिस ने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो। 10 तुम पहिले तो कुछ भी नहीं थे, पर अब परमेश्वर ही प्रजा हो: तुम पर दया नहीं हुई थी पर अब तुम पर दया हुई है॥
कुलिस्सियों 2ः17 "क्योंकि ये सब आने वाली बातों की छाया हैं, पर मूल वस्तुएं मसीह की हैं।"
फिलिप्पियों 2ः6-8 "और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिस ने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। 7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो। 8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति करके तुम सब की लालसा करता हूं।"
प्रभु यीशु मसीह द्वारा दुख उठा उठा कर परमेश्वर की आज्ञा को पूरा किया।
इब्रानियों 5ः7-9 "उस ने अपनी देह में रहने के दिनों में ऊंचे शब्द से पुकार पुकार कर, और आंसू बहा बहा कर उस से जो उस को मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थनाएं और बिनती की और भक्ति के कारण उस की सुनी गई। 8 और पुत्र होने पर भी, उस ने दुख उठा उठा कर आज्ञा माननी सीखी। 9 और सिद्ध बन कर, अपने सब आज्ञा मानने वालों के लिये सदा काल के उद्धार का कारण हो गया।"
Comments
Post a Comment