क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह की सात वाणी (भूमिका)

 क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह की सात वाणी (भूमिका)

हम आज प्रभु यीशु मसीह के बलिदान के समय की समस्त घटनाओं को समझने का प्रयास करेंगे। प्रभु यीशु मसीह ने अपने आप को स्वंय बलिदान के लिए परमेश्वर को सौंप दिया। जैसे कि बाईबल बताती है की वह व्यवस्था को पूरी करने आया। इसलिए उन्होंने आपने आपको संपूर्ण मानव जाति के छुटकारे लिए आपने आप को बलिदान किया। 

इस पृथ्वी पर ऐसा अक्सर देखा गया है कि जब व्यक्ति मरण सय्या पर होता है तो वह झूठ नही बोलता है। हम देखतें है कि यीशु मसीह जब क्रूस पर चढ़ाये गए उसके उपरान्त उन्होंने सात वाणियां कहीं, सिर्फ सात वाणिया ही क्यों कही? आठ, नौ, छः, पांच भी कह सकते थे। किन्तु ऐसा नही है। सात वह संख्या होती है जो पूर्णता को दर्शाती है।

बाईबल में सृष्टि की रचनाः  

हम सृष्टि की रचना को देखते है। उत्पत्ति 2ः2 में ऐसा लिखा हुआ है ‘‘ और परमेश्वर ने अपना काम जिसे वह करता था। सातवे दिन समाप्त किया और उसने अपने किये हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया। 

हमारा विश्राम अभी बाकी है, क्योंकि हमने कार्य पूरा नही किया है। 

इब्रानियों 4:8 और यदि यहोशू उन्हें विश्राम में प्रवेश कर लेता, तो उसके बाद दूसरे दिन की चर्चा न होती। 9 सो जान लो कि परमेश्वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है। क्योंकि जिस ने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उस ने भी परमेश्वर की नाईं अपने कामों को पूरा करके विश्राम किया है। सो हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उन की नाईं आज्ञा न मान कर गिर पड़े।

बाईबल में सात वाचायेंः 

1. आदम से स्थापित वाचा
2. नूह से स्थापित वाचा
3. अब्राहम से स्थापित वाचा
4. मूसा से स्थापिता वाचा
5. दाऊद से स्थापित वाचा
6. यीशु मसीह से स्थापित नई वाचा
7. लेवियों से स्थापित शांति की वाचा

इस प्रकार सात वाचा बाईबल में पायी जाती है। 

बाईबल में सात पर्व हैः 

1. फसह का पर्व
2. अखमीरी रोटी का पर्व
3. प्रथम उपज का पूला
4. पिन्तेकुस्त का पर्व 
5. नरसिंगे का पर्व
6. प्रायश्चित का दिन (बलिदान)
7. झोपड़ी का पर्व

अन्य सभी घटनायें 7 से सम्बन्धित है। 

प्रभु यीशु मसीह को क्रूस पर चढ़ाये जाने के विषय में दो तर्क है। 

1. सांसारिक सोच के अनुसार यहूदियों और शास्त्रियों फरिसी एंव सदूकियों को दोषाी माना जाता है।

2. परमेश्वर की ओर से संपूर्ण मानव जाति के छुटकारे की योजना थी। प्रभु यीशु मसीह इस घटना से भलि भांति परिचित थे, और उन्होंने पिता की ईच्छा हेतु स्वंय के बलिदान को समर्पित किया। जैसा की भविष्यवाणियां इस बलिदान के विषय में बताती है। 

भजन संहिता 41ः9 ‘‘मेरा परम मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था जो मेरी रोटी खाता था, उस ने भी मेरे विरू़द्ध  लात उठाई है। 

यीशु मसीह के पकड़वाये जाने के समय की घटना 

यूहन्ना 18ः3-9 ‘‘यहूदा सौनिको और महायाजकों और फरिसियों की ओर से सिपाहियों को लेकर दीपकों और मसालों और हथियारों को लिए हुए वहां आया। यीशु उन सब बातों को जो उन पर आने वाली थी, पहिले से जानते थे। अतः वह बाहर निकले और उन से पूछा तुम किसे ढूंढ रहे हो?

उन्होंने उत्तर दिया, यीशु नासरी को यीशु ने उन से कहा मैं ही हूँ। यीशु को पकड़ने वाला यहूदा भी उनके साथ खड़ा था। यीशु के यह कहते ही कि मैं हूँ, वे पीछे हटे और भूमि पर गिर पड़े। तब यीशु ने फिर उन से पूछा, तुम किसको ढूंढ रहे हो। वे बोले यीशु नासरी को, यीशु ने उत्तर दिया मैं तो तुम से कह चुका हूँ कि मैं ही हूँ। यदि मुझे ढूंढ रहे हो तो इन्हें जाने दो (शिष्यों को) यह इसलिए हुआ कि वह वचन पूरा हो, जो यीशु ने कहा था। जिन्हें तूने मुझे दिया, उन में से मैंने एक को भी न खोया। 

यीशु मसीह को दोपहर के वक्त सूली पर चढ़ाया गया था। 

मरकुस 15ः25 ‘‘जब उन्होंने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया, तब पहर दिन चढ़ा था।’’

रात भर यीशु मसीह झूठे आरोपों को सहते रहे।

1. 39 कोडों की मार को
2. मुंह पर थूकने को
3. यीशु मसीह की दाढ़ी के बाल नोचने को 
4. कांटो का मूकुट उनके सीर पर रखा गया
5. बैंजनी वस्त्र पहनाकर उसका मजाक उठाया गया

ईत्यादि और भी बातें जो बाईबल में नही लिखी गई उसके द्वारा उनका मजाक उड़ाया गया। ताकि वह भविष्यवाणी पूरी हो। 

यशायाह 53ः5-8 ‘‘परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया। हमारी ही शान्ति के लिए उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जांए। यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया। 

वह सताया गया तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला, अत्याचार करके और दोष लगाकर वे उसे ले गए। और मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी। 

यीशु मसीह से अपने चेलों से कहा 

मत्ती 26ः52 "तब यीशु ने उस से कहा, अपनी तलवार काठी में रख ले क्योंकि जो तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से नाश किए जाएंगे। 53क्या तू नहीं समझता, कि मैं अपने पिता से बिनती कर सकता हूं, और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा, 54परन्तु पवित्र शास्त्र की वे बातें कि ऐसा ही होना अवश्य है, क्योंकर पूरी होंगी।"

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भविष्यवाणीयां पूरी हो इसलिए उन्होंने स्वंय को सौप दिया। 

जब प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ा दिया गया तो आने जाने वाले लोग भी नींदा करते थे जो आने जाने वाले देख रहे थे। 

प्रभु यीशु मसीह को अपने आप को बचाने के विषय में कहा गया। 

मत्ती 27ः39-42 ‘‘ आने वाले सर हिला हिलाकर उसकी निन्दा करते थे। और यह कहते थे कि हे मन्दिर के ढानेवाले और तीन दीन में बनाने वाले अपने आप को तो बचा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है। तो क्रूस पर से उतर आ। इसी रीति से महायाजक भी शास्त्रियों और पुरनियों समेत ठट्ठा कर करके कहते थे, इसने औरो को बचाया और अपने आप को नही बचा सकता। यह तो इस्राएल का राजा है। अब क्रूस पर से उतर आए, तो हम उस पर विश्वास करें।

फिलिप्पियों 2ः8 ‘‘मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया और यहां तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु हाँ क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 

1तीमुथियुस 2ः5 ‘‘परमेश्वर एक ही है और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में एक ही मध्यस्थ है। अर्थात मसीह यीशु जो मनुष्य है। जिसने अपने आप को सब के छुटकारे के मूल्य में दे दिया। 

वह जय का प्रतिक बन गया (पौलुस प्रेरित कहते है)

गलातियों 2ः20 ‘‘ मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ। अब मैं जीवित न रहा पर मसीह मुझ में जीवित है। मैं शरीर में अब जो जीवित हूँं। तो केवल उस विश्वास से जीवित हूँ। जो परमेश्वर के पुत्र पर है। जिस ने मुझ से प्रेम किया और मेरे लिए अपने आप को दे दिया।’’

यह वचन हमें सिखाता है कि हमें परमेश्वर की आत्मा के चलाए चलना है। 

गलातियों 5: 16 पर मैं कहता हूं, आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में, और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करती है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं; इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ। और यदि तुम आत्मा के चलाए चलते हो तो व्यवस्था के आधीन न रहे। शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन। मूर्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म। डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इन के जैसे और और काम हैं, इन के विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूं जैसा पहिले कह भी चुका हूं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे। पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज,  और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है॥ यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी। हम घमण्डी होकर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें।

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