झोपड़ी का पर्व (लैव्यव्यवस्था 23:22–42)
“परमेश्वर ने
मिस्र की दासता से छुड़ाया और अपने लोगों को जंगल में संरक्षित रखा ।”
प्रभु यीशु का जन्म और झोपड़ी का पर्व
कई लोगों का विश्वास है कि प्रभु यीशु का जन्म
इसी पर्व के समय हुआ था ।
बेतलहम इफ्राथा (मीका 5:2) में किसान बलिदान हेतु मेमने तैयार करते थे ।
बेतलहम का
अर्थ है “रोटी का घर।”
इफ्राथा का अर्थ है “फल से भरपूर ।”
प्रभु ने स्वयं कहा:
“मैं वह रोटी हूँ जो स्वर्ग से
उतरी है” (यूहन्ना 6:51)
“जब तक परमेश्वर का राज्य न आ जाये, मैं दाख
के फल का रस नहीं पियूँगा” (लूका 22:18)
इस तरह प्रभु का जन्मस्थान उसके मेमने, रोटी, और लहू होने का प्रतीक है ।
सिलोह का जल और प्रभु की पुकार
पर्व के आठवें दिन महायाजक, याजकों और भीड़ के साथ सिलोह के कुंड से सोने के बर्तन में पानी लेकर वेदी
के पास चढ़ाता और वर्षा के लिए प्रार्थना करता था । जब लोग स्तुति-गीत गाते हुए आ
रहे थे,
तब प्रभु यीशु ने ऊँचे स्वर में कहा:
“यदि कोई प्यासा है तो मेरे पास आए और पीए । जो मुझ पर विश्वास करता है,
उसके भीतर से जीवन के जल की नदियाँ बहेंगी ।” (यूहन्ना 7:37–38)
अब परमेश्वर मनुष्यों के हाथों से बने मंदिरों
में नहीं रहता; प्रभु यीशु की नई वाचा के
अनुसार हम ही परमेश्वर की झोपड़ी हैं । (2 कुरिन्थियों 6:16; प्रेरितों के काम 7:48–49)
बाइबिल के पर्व और उनका प्रत्याख्यान
- फसह
का पर्व: बलिदान का दिन
- अखमीरी
रोटी: पाप से अलग जीवन
- पहले
फल: पुनरुत्थान का प्रतीक
- पिन्तेकुस्त: आत्मिक फसल की कटाई
- तुरहियों
का पर्व: रैप्चर का आह्वान
- योम
किप्पुर: पृथ्वी पर प्रायश्चित
का दिन
इन सभी पर्वों की पूर्ति होगी, परंतु झोपड़ी का पर्व सदा के लिए रहेगा ।
जब सात वर्षों के उत्पीड़न के बाद प्रभु यीशु
सहस्त्राब्दी राज्य में लौटेंगे, तब सारी पृथ्वी के लोग
उन्हें यरूशलेम में उपासना करने आएंगे । रास्ते में तीर्थयात्री स्थानीय लोगों की
बनाई झोपड़ियों में निवास करेंगे - क्योंकि तब भूमि का अभिशाप हट जाएगा और भोजन की
प्रचुरता होगी ।
अंत समय की समय-सरणी
“नरसिंगे की ध्वनि सुनाई दे चुकी
है…” जब
आत्माओं की फसल पूरी हो जाएगी तो रैप्चर होगा ।
हर वह व्यक्ति जो केवल "प्रभु, प्रभु"
कहता है, प्रवेश नहीं करेगा, बल्कि
केवल वे जिनके नाम मेम्ने की जीवन-पुस्तक में लिखे हैं । (मत्ती 7:21)
तब योम किप्पुर तक 1,44,000
कुँवारे इस्राएली सील किए जाएँगे (प्रकाशितवाक्य
7:3–9; 14:4) ।
महायाजक, प्रायश्चित के
आसन पर रक्त छिड़ककर क्षमा की प्रार्थना करता था, और एक बकरे
पर लोगों के पापों का भार रखकर उसे दूर भेज देता था । उसी प्रकार प्रभु यीशु ने
जैतून पर्वत से बादलों में ओझल होकर हमारे पापों को पूर्व से पश्चिम तक दूर कर
दिया । (भजन 103:11–13)
वे 1,44,000 छुटकारा
पाए हुए इस्राएली “पहले फल” हैं (जकर्याह 12:10;
रोमियों 11:25–26),
जो सात वर्षों के सबसे भयानक उत्पीड़न के दौरान आत्माओं की महान फसल
काटेंगे - और फिर प्रभु यीशु इस पृथ्वी पर अपना सहस्त्राब्दी राज्य स्थापित करेंगे
।
समय निकट है
“फसल का समय समाप्त होने को है ।”
“प्रभु का दिन निकट है ।”
यह पश्चाताप का समय है, ताकि हम परमेश्वर की इच्छा पूरी करें - क्योंकि वह नहीं चाहता कि कोई नाश
हो (2 पतरस 3:9) । अतः फसल काटने के कार्य में लग जाइए ताकि आपका नाम मेम्ने की
जीवन-पुस्तक में लिखा जाए।
कौन प्रवेश करेगा सहस्त्राब्दी राज्य में?
1. अंतिम दृश्य
- सारी जातियाँ प्रभु के सामने
“हर जाति, कुल,
भाषा और लोगों की भीड़ सिंहासन के सामने खड़ी होकर प्रभु की स्तुति
करेगी ।”
(प्रकाशितवाक्य 7:9–10)
प्रश्न: क्या आप
जो कर रहे हैं, वह किसी भी जाति या समूह को उस भीड़ में खड़े
होने में सक्षम बना रहा है?
2. परमेश्वर का निवास
मनुष्यों के बीच
मूसा से दाऊद तक 430 वर्षों
तक परमेश्वर अपने लोगों के बीच मिलाप की झोपड़ी में विचरता रहा । प्रभु यीशु ने
झोपड़ी में जन्म लिया, और वह नयी पृथ्वी पर फिर से अपना डेरा
मनुष्यों के बीच डालकर सदैव रहेगा । (प्रकाशितवाक्य 21:3)
प्रश्न: क्या आपका
कार्य परमेश्वर की झोपड़ी उन स्थानों तक पहुँचा रहा है जहाँ उसका नाम नहीं सुना
गया है?
(मत्ती 1:23; इफिसियों 2:19–20; रोमियों 15:19–20)
3. जीवन के जल का स्रोत बनना
“जो मुझ पर विश्वास करेगा,
उसके भीतर से जीवन के जल की नदियाँ बहेंगी ।” (यूहन्ना 7:38)
प्रश्न: क्या आप
खोए हुए लोगों के लिए जीवन के जल का स्रोत बन पाए हैं?
यदि हाँ, तो धन्यवाद दीजिए; और यदि नहीं, तो आज ही आरंभ कीजिए ताकि आपका नाम
जीवन की पुस्तक में दर्ज हो सके ।

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