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Showing posts from February, 2021

पांच रोटियों और दो मछलियों को लिया, प्रभु यीशु मसीह के कुछ आश्चर्यकर्म

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 प्रभु यीशु मसीह के कुछ आश्चर्यकर्म तब उसने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियों और दो मछलियों को लियाः और स्वर्ग की ओर देख कर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़कर चेलों की दीं, और चेलों ने लोगो को। और सब खाकर तृप्त हो गए, और उन्होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकरियां उठाई। और खाने वाले स्त्रियों और बालकों को छोड़कर पाँच हजार पुरूषों के अटकल थे। (मत्ती 14ः19-21) जब वह बातें कर चुका, तो शमौन से कहा, गहिरे में ले चल और मछलियां पकड़ने के लिये अपने जाल डालो। शमौन ने उसको उत्तर दिया, कि हे स्वामी, हमने सारी रात हिम्मत की और कुछ न पकड़ा; तौभी तेरे कहने से जाल डालूंगा। जब उन्होंने ऐसा किया, तो बहुत मछलियां घेर लाए, और उनके जाल फटने लगे। (लूका 5ः4-6) और देखो, दो अन्धे, जो सड़क के किनारे बैठे थे,यह सुनकर कि यीशु जा रहा है, पुकार कर कहने लगे, कि हे प्रभुः दाऊद के सन्तान, हम पर दया कर। लोगों ने उन्हें डांटा, कि चुप रहेः पर वे और भी चिल्लाकर बोले, हे प्रभु दाऊद के सन्तान हम पर दया कर। तब यीशु ने खड़े होकर, उन्हें बुलाया, और कहा; तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूं? उन्होंने उससे...

प्रभु यीशु मसीह बताता है कि वह कौन है?

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 प्रभु  यीशु  मसीह बताता है कि वह कौन है? यीशु ने उस से कहा, पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूँ जो कोई मुझ पर विश्वास करता वह यदि मर भी गया, तो भी जीएगा। (यूहन्ना 11ः25) तुम मुझे गुरू और प्रभु, कहते हो, और भला करते हो, क्योंकि मैं वही हूँ। (यूहन्ना 13ः13) उसने उनसे कहा, तुम नीचे के हो, मैं ऊपर का हूँ, तुम संसार के हो, मैं संसार का नहीं। (यूहन्ना 8ः23) उसने उनसे कहा, तुम से सच-सच कहता हूँ कि पहिले इसके कि इब्राहीम उत्पन्न हुआ मैं हूँ। (यूहन्ना 858) जब तक मैं जगत में हूँ, तब तक जगत की ज्योति हूँ। (यूहन्ना 9ः5) तब यीशु ने उनसे फिर कहा, मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि भेड़ो का द्वार मैं हूँ। (यूहन्ना 10ः7) तब यीशु ने उनसे कहा, जीवन की रोटी मैं हूँ, जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा।  (यूहन्ना 6:35)

क्रूस पर कहे गए यीशु के अन्तिम सात वचन

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प्रश्न: क्रूस पर कहे गए यीशु के अन्तिम सात वचन कौन से हैं और उनका क्या अर्थ है? उत्तर: यहाँ नीचे वे सात कथन पाए जाते हैं, जिन्हें यीशु मसीह ने क्रूस के ऊपर से बोला था (किसी विशेष व्यवस्था में नहीं दिए गए हैं): (1) मत्ती 27:46 हमें उस नौवें घण्टे के बारे में बताता है, जब यीशु ने ऊँची आवाज में पुकार कर कहा था, "एली, एली, लमा शबक्तनी?" जिसका अर्थ, "हे मेरे परमेश्‍वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया है?" यहाँ पर, यीशु त्यागे जाने की अपनी भावना को व्यक्त कर रहा था जब परमेश्‍वर ने उसके ऊपर संसार के पापों को डाल दिया था — और इस कारण परमेश्‍वर को यीशु की ओर से "मुड जाना" पड़ा था। जब यीशु पाप के भार को महसूस कर रहा था, वह शाश्‍वतकाल से लेकर अब तक केवल इसी समय में परमेश्‍वर से पृथकता का अनुभव कर रहा था। यह साथ ही भजन संहिता 22:1 के भविष्यद्वाणी किए हुए कथन की पूर्णता थी। (2) "हे पिता, इन्हें क्षमा कर क्योंकि यह नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं" (लूका 23:46) । यीशु को क्रूसित करने वाले पूर्ण व्यापकता के साथ नहीं जानते थे, कि वे क्या कर रहे थे, क्योंकि उन्होंने उ...

प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है।

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प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है। जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र हैः परमेश्वर उसमें बना रहता है, और वह परमेश्वर में। (1यूहन्ना 4ः15) क्योंकि उसमें ईश्वरत्व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है। (कुलुस्सियों 2ः9) क्योंकि हमारे लिए एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया हैः और प्रभुता उसके कान्धे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करने वाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्त काल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। (यशायाह 9ः6) वह बोल ही रहा था, कि देखो उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और देखोः उस बादल में से यह शब्द निकला, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिसमें मैं प्रसन्न हूँ; इस की सुनो। (मत्ती 17ः5) स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया; कि पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा। (लूका 1ः35)

प्रभु यीशु समीह का दिव्य स्वरूप

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 प्रभु यीशु समीह का दिव्य स्वरूप यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यवक्ता के द्वारा कहा गया था; वह पूरा हो कि, देखो ऐ कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी उनका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिसका अर्थ यह है ‘‘परमेश्वर हमारे साथ’’। (मत्ती 1ः22,23) आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।.... और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हमने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। (यूहन्ना 1ः1 और 14) और इसमें सन्देह नही कि भक्ति का भेद गम्भीर है; अर्थात वह जो शरीर में प्रगट हुआ, आत्मा में पापी ठहरा, स्वर्गदूतों को दिखाई दिया, अन्यजातियों में उसका प्रचार हुआ, जगम में उस पर विश्वास किया गया, और महिमा में ऊपर उठाया गया। (1तीमुथियुस 3ः16) यीशु ने उससे कहाः हे फिलिप्पुस, मै इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नही जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है; तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा। क्या तू प्रतीति नहीं करता, कि मैं पिता मे हूँ और पिता मुझ में है?  (यूहन्ना 14ः9,10अ)

परमेश्वर का प्रेम

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 परमेश्वर का प्रेम  परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। (रोमियों 5ः8) फसह के पर्व से पहिले जब यीशु ने जान लिया, कि मेरी वह घड़ी आ पहुंची है कि जगत छोड़कर पिता के पास जाऊं, तो अपने लोगों से, जो जगत में थे, जैसा प्रेम वह रखता था, अन्त तक वैसा ही पे्रम रखता रहा। (यूहन्ना 13ः1) और यीशु मसीह की ओर जो विश्वासयोग्य साक्षी और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा, और पृथ्वी के राजाओं का हाकिम है, तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे; जो हम से प्रेम रखता है, और जिसने अपने लहू के द्वारा हमें पापों से छुड़ाया है। (प्रकाशित वाक्य 1ः5) क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करें, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। (यूहन्ना 3ः16) यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है। मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैं ने तुझ पर अपनी करूणा बनाए रखी है। (यिर्मयाह 31ः3)