महामारी काल में कलीसिया की भूमिका
महामारी काल में कलीसिया की भूमिका
यह समझने के लिए कि "चर्च युग" अन्त का समय आ गया है और अब परमेश्वर लोगों के दिलों और घर वापसी कर रहें है इस के लिए हमें भविष्यवक्ता या बाइबल का ज्ञाता होने की आवश्यक्ता नहीं है।
लड़ाइयां, बाढ़, अकाल और आग, तूफान, बवंडर, भूकंप और महामारी अतीत में भी हो चुके हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर पहले इस तादाद और इस कदर के नुक्सान के साथ कभी नहीं आये।
हम जानते हैं कि सर्वनाश हमें घूर रहा है। पृथ्वी के चारों कोनों में प्रवासी इस्रायली लगभग 2000 वर्षो के बाद 1948 में यहूदी कानूनी रूप से इज़राइल की भूमी पर वापस आ गये हैं (यशायाह 11:11-13)। जैसा कि दानियेल नबी द्वारा भविष्यवाणी की गई थी, ज्ञान तेजी से बढ़ रहा है, जैसे यात्रा, कार, रेलगाड़ी, विमान और यहां तक कि राकेट भी चंद्रमा और उससे भी आगे जा रहे हैं (दानियेल 12:1- 4)।
दानियेल का छोटा पत्थर: कलीसिया जो एक बड़े चट्टान "येशु" मत्ती 16:18 से बिना हाँथ से काटी गई थी, बढ़ रही है और राज्यों को ध्वस्त कर रही है, और पृथ्वी को भर रही है (दानियेल 2:17.44)। आकाश में संकेत, सूर्य ग्रहण, रक्त चंद्रमा और असंख्य अलका पिंड पृथ्वी की ओर बढ़ रहे है। यदि एक भी जमीन पर गिर जाये तो जान माल का भारी नुक्सान कर सकता है।
पृथ्वी पर, आग, बाढ़, अकाल, आर्कटिक और अंटार्कटिक का पिघलना, सुनामी और बवंडर, अभूतपूर्व पर्यावरणीय परिवर्तन, युद्ध और युद्ध की अफवाहें, राष्ट्र के खिलाफ राष्ट्र, महामारी और महामारी ;जैसे इबोला, एड्स, कोरोना वायरस चिल्ला रहे हैं। हर कहीं लाखों लोग कैंसर, सड़क दुर्घटनाओं, जीवनशैली की बीमारियाँ, मोटापे और मधुमेह, दिल का दौरा, लकवा, मासूम शिशुओं का गर्भपात "अकेले अमेरिका में 6 करोड़" से हत्या कर रहे हैं इत्यादि। आर्थिक पतन, नैतिक पतन, झूठे नबियों के उपदेश के कारण विश्वासियों का प्यार ठंडा हो रहा है। विकृत, पथभ्रष्ट और पतनशील लाबी न्यायपालिका को डराती हैं और सरकारों को धमकाती हैं। सबसे बुरी बात यह है कि झूठे भविष्यवक्ता द्वारा संचालित अधिकांश कलीसियाएँ निष्क्रिय और भटकाव में रहती हैं, अंदर से टूट रही है (मत्ती 24)। दानियेल और अन्य भविष्यवक्ताओं और स्वंय प्रभु यीशु के अधिकांश भविष्यसूचक चिन्ह तेजी से दिखाई दे रहे हैं। यरूशलेम अभी अन्यजातियों द्वारा रौंदा जा रहा है जो अन्यजातियों के समय के समाप्त होने तक जारी रहेगा (लूका 21:24)। यह केवल दुःखों की शुरूआत है, वास्तविक उत्पीड़न, क्रूर क्लेश और्र आरमेगदोन में गोग और मगोग के सबसे भयंकर विनाशकारी युद्ध अभी आना बाकी हैं।कोरोना महामारी ने क्या नही बदला?
- मनुष्य के उद्धार की आवश्यक्ता (मत्ती 16:26-27),
- सभी जातियों के लिए मध्यस्थता की ज़रूरत है। (यहेजकेल 22:30),
- महान आज्ञा को पूरा करने का दायित्व : जाकर सभी जाति के लोगों को शिष्य बनाना (मत्ती 28:19,20),
- यीशु सभी जातियों, भाषाओं और जनजातियों का वैश्विक कलीसिया का निर्माण करना (मत्ती 16:18; प्रकाशितवाक्य 7:9,10),
- अतं समय की घटनाएँ जैसे रेप्चर, ख्रीष्ट विरोधी का आगमन, क्लेश इत्यादि। (योएल 2:29-31; प्रकाशित वाक्य 6:12),
- यीशु का अपने सहस्र शताब्दी राज्य को स्थापित करने के लिए वापसी, अंतिम न्याय नए स्वर्ग और नई पृथ्वी का निर्माण करना और अपने लोगों के साथ डेरा करना तथा प्रभुओं के प्रभु और राजाओं के राजा के समान राज्य करना बाकी है (इब्रानियों 9:27; प्रकाशितवाक्य 20:15-20; 21:1-3)।
तो, व्यक्तिगत विश्वासियों और संस्थगत कलीसिया को एसी स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए। कुछ जो मात्र पैसा कमाने के केंद्र थे, वे बंद हो रहे है, जबकि दुसरे सुसमाचार फैलाने के नए, तरीके खोज रहे हैं। डिजिटल कलीसिया अब चार दीवारों के भीतर सीमित नहीं है बल्कि व्यापक रूप से दूसरों के लिए जो चर्च नहीं जाते थे उनके लिए भी उपलब्ध है। सुसमाचार इंटरनेट के माध्यम से घरों से दूर दराज के क्षेत्रों तक फैल रहा है।
बाइबल में दशमांश सोना, चांदी या पैसा नहीं होता। ये खेत की उपज (भोजन) का दशमांश होता था जिसे वे विधवाओं, अनाथों, अन्य जातियों और लेवियों के साथ मिलकर भोजन की संगती करते थे (व्यवस्थाविवरण 14: 22-29)। आज चर्च के रखरखाव के लिए दशमांश देने के बजाय, ईसाई कोविड के परिणामस्वरूप विधवाओं और अनाथों, प्रवासियों और जो अपनी रोटी कमाने वाले खो चुके हैं और बेसहारा और भूखे हो गए हैं। उनकी जरुरतों को पूरा कर रहे हैं । हैदराबाद में पास्टर सतीश कुमार ने अपने मेगा कलवरी चर्च को कोविड अस्पताल में बदल दिया है जहां बिना पैसे के इलाजए आक्सीजन और भोजन दिया जा रहा है साथ ही सुसमाचार भी सुनाया जा रहा है। यही एक सही कलीसिया है जो देह, प्राण, और आत्मा की सेवकाई उनके साथ कर रही है जो लोग कठिन परिस्थिती में हैं।
पहली सदी के विश्वासी पूरी दुनिया में एकमात्र ऐसे लोग थे जिनके पास न भव्य इमारतें, पेशेवर पदरी, पुलपिट, संगीत वाद्ययंत्र या चंदा इकठ्ठा करने का डब्बा था, यहां तक कि छपी बाइबिल भी नहीं थी और न कोई राजनीतिक या धन दौलत या सन साधन थे, फिर भी वे अत्यंत तेजी से बढ़े जैसे उनके पास पवित्र आत्मा की सामर्थ थी जिससे वे बीमारों को चंगा करते, दुष्ट आत्माओं को निकाते और सामर्थ के साथ सुसमचार का प्रचार वहां करते थे जहां मसीह का नाम नहीं लिया गया था। परमेश्वर कलीसिया को पुनह बुनियादी रूप से पुनर्गठित कर रहा है; बाइबिल के अतिरिक्त संरचनाओं की जकड़न को निरस्त कर रहा है, जो लोगों की संस्कृति और संदर्भ, इंजील में दी गयी योजना के मुताबिक है और ईश्वर की इच्छा को पूरी करता है उसकी इच्छा ये है की कोई भी नाश नो हो परन्तु अनंत जीवन पाए (1तिमोथी 2:4)। यह सब मसीह के आने वाले सहस्राब्दी राज्य के लिए तैयार होने के लिए हो रहा है और वे लोग जो उनकी आज्ञा के अनुसार आत्माओं को बचाने में संलग्न हैं वे सब उसके साथ अनंत काल तक राज्य करेंगे। याद रखें कि बुलाये गए तो बहुत हैं लेकिन चुने हुए थोड़े हैं।
शलोम
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