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Showing posts from October, 2025

दस हत्यारे – सभी रोके जा सकते हैं ।

1.       नमक:   अगर आप खाना खाते समय ज़्यादा नमक लेते हैं तो आपको हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है । इससे किडनी की परेशानी और स्ट्रोक (ब्रेन हैमरेज या लकवा) हो सकता है । ज़्यादा अचार या नमकीन जैसे पोटैटो चिप्स खाने से भी हाई बीपी बढ़ सकता है । 2.       शकर (चीनी):   ज़्यादा मिठाई और चाय में बहुत चीनी (जैसे चार चम्मच) डालने से डायबिटीज़ हो सकती है । इससे अंधापन , गठिया , नसों की कमजोरी , लो शुगर या हाई शुगर अटैक , कोमा और मृत्यु जैसी जटिलताएँ हो सकती हैं । 3.       तेल:   ज़्यादा तेल , मक्खन या घी खाने से कोलेस्ट्रॉल और मोटापा बढ़ता है । इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है । इलाज के लिए एंजियोप्लास्टी या बायपास सर्जरी करनी पड़ सकती है , जो महंगी होती है और केवल शहरों के विशेष अस्पतालों में उपलब्ध होती है । आजकल युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं । 4.       फास्ट फूड:   इनमें नमक और चर्बी (फैट) बहुत होती है । पोटैटो चिप्स में कार्बोहाइड्रेट , फैट और नमक अधिक होता...

कलीसिया में प्राचीनों की भूमिका

  यदि आपके पास एक पवित्र भवन है जिसे “चर्च” कहा जाता है , जहाँ एक वेतनभोगी पास्टर , प्रवचन , वाद्य संगीत , रविवार की आराधना सेवाएँ और दशमांश प्रणाली है , तो यह नई वाचा की कलीसिया का वास्तविक मॉडल नहीं है । ऐसा चर्च प्रायः “हैप्पी-क्लैप्पी” या “फ़ील-गुड” संस्कृति का केंद्र बन जाता है । जबकि नई वाचा का चर्च एक   शिष्यत्व केंद्र   था - मनोरंजन स्थल नहीं । मूलभूत अंतर यह है कि आधुनिक चर्च केवल   परमेश्वर की उपासना   के लिए एकत्र होता है , जबकि नई वाचा की  Ecclesia   ( कलीसिया)   विश्वासियों की   परस्पर शिक्षा और सशक्तिकरण   के लिए मिलती थी (प्रेरितों के काम   14:11) । आधुनिक चर्च स्थानान्तरण द्वारा बढ़ता है , गुणन द्वारा नहीं ; जबकि  Ecclesia   ( कलीसिया)   आत्मिक परिवर्तन से बढ़ती और गुणा होती थी । एक-दूसरे के प्रति उत्तरदायित्व नई वाचा में  allelon   ( एक-दूसरे)   शब्द का सौ से भी अधिक बार प्रयोग हुआ है । यह हमारे पारस्परिक संबंधों और उत्तरदायित्वों को दर्शाता है । विश्वासियों के लिए ये आदेश दिए गए...

झोपड़ी का पर्व (लैव्यव्यवस्था 23:22–42)

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यह पर्व यहूदियों द्वारा मिस्र की गुलामी से मुक्ति और 40 वर्षों तक जंगल में झोपड़ियों में रहने की स्मृति में मनाया जाता है । आज भी वे अपने घरों के सामने झोपड़ियाँ बनाते हैं और उन्हें फलों व फूलों से सजाते हैं । वे अपने परिवार और मित्रों के साथ आठ दिनों तक परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं कि उसने उन्हें गुलामी से छुड़ाया , मन्ना खिलाया , पानी पिलाया , और जंगल में उनके वस्त्र व जूते तक न फटे ।  “ परमेश्वर ने मिस्र की दासता से छुड़ाया और अपने लोगों को जंगल में संरक्षित रखा ।” प्रभु यीशु का जन्म और झोपड़ी का पर्व कई लोगों का विश्वास है कि प्रभु यीशु का जन्म इसी पर्व के समय हुआ था । बेतलहम इफ्राथा (मीका 5:2) में किसान बलिदान हेतु मेमने तैयार करते थे । बेतलहम   का अर्थ है “रोटी का घर।” इफ्राथा   का अर्थ है “फल से भरपूर ।” प्रभु ने स्वयं कहा: “ मैं वह रोटी हूँ जो स्वर्ग से उतरी है”  ( यूहन्ना 6:51) “ जब तक परमेश्वर का राज्य न आ जाये , मैं दाख के फल का रस नहीं पियूँगा”  ( लूका 22:18) इस तरह प्रभु का जन्मस्थान उसके   मेमने ,  रोटी , और   लहू ...

हनुक्का याने पुनह: समर्पण का पर्ब

2 दिसम्बर से संसार के सारे यहूदी लोग हनुक्का का पर्ब 8 दिन तक मनाएंगे. इस में वे बहुत खुशियाँ मनाते हैं, एक दूसरे को तोहफा देतें हैं. कुछ लोग इसे यहूदियों का क्रिसमस कहते हैं. इसकी शुरुवात ऐसी हुई कि अन्टियोकस नाम के सिरिया के बादशाह ने इजराइल पर हमला कर 4 ० , ००० यहूदियों का बेरहमी से क़त्ल किया और अतिरिक्त 4 ० , ००० को गुलाम बनाया फिर उनके मंदिर में कई देवी देवताओं कि मूर्तियाँ स्थापित की और उनकी पवित्र वेदी पर सूवर कुर्बान कर उसे अपवित्र किया और उसके अन्दर घुस कर अपने को एपिफनीस याने परमेश्वर घोषित कर दिया. यहूदा मक्क्बीस नामक एक यहूदी ने इसके खिलाफ यहूदियों को इकट्ठा किया और एन्टीओकस की भारी फ़ौज को हरा दिया. फिर उन्होंने ने मंदिर का शुद्धिकरण किया और उसका हनुक्का याने पुनः समर्पण किया. इस बीच एक बड़ा चमत्कार हुआ कि दीपदान के लिए सिर्फ एक दिन के लायक तेल था और दूसरा तेल तैयार करने के लिए पूरे 7 दिन लगते थे लकिन वो एक दिन का तेल पूरे 7 दिन चला. इस पर्ब का जिक्र पुराने नियम में नहीं पाया जाता लेकिन खुदावंद येसु ने इस पर्ब पर यरूशलेम के मंदिर गए और जब उनसे पूछा गया के हमें साफ़ साफ़ बता...