पुराने साल को अलविदा '24- नए साल '25 का स्वागत
दुनिया भर के लोग, चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों न हों, वे पुराने वर्ष की बिदाई और नूतन वर्ष का स्वागत बड़े जोश के साथ करतें हैं पर उन्हें पता नहीं कि वे प्रभु यीशु के आने के 2024 साल को बिदाई दे रहें हैं । ये उनकी गलती नहीं लेकिन हमारी है कि हमने उन्हें इस सत्य से अवगत नहीं कराया ।
प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि, “राज्य का यह सुसमाचार सभी देशों के गवाह के रूप में प्रचारित किया जाएगा, और फिर अंत आ जाएगा” । यह मूल्यांकन करने का समय है कि प्रभु यीशु ने अपनी कलीसिया के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे पूरा करने में हम कहाँ तक सफल रहे?
जैसे जैसे परमेश्वर का राज्य आगे बढ़ रहा है वैसे ही प्रभुजी की भविष्यवानियाँ भी पूरी होती जा रहीं हैं । युद्ध पर युद्ध, राष्ट्र पर राष्ट्र, राज्य पर राज्य चढ़ाई, अकाल, महामारी, और भूकंप, सताव, झूठे भविष्यवक्ता, अधर्म बढ़ जाएगा, बहुतों का प्रेम ठंडा हो जाएगा । ये सब दुखों की शुरुआत है । हम जानते हैं कि ये सभी वारदात इतने बड़े पैमाने पर हो रहें हैं जैसा पहले कभी नहीं देखा गया । (मत्ती 24:4-14)
हालाँकि, ईसाई धर्म के लिए सबसे बड़ा खतरा बाहर से नहीं बल्कि भीतर से है । प्रभु यीशु ने चेतावनी दी थी कि झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और पौलुस ने भी चेतावनी दी थी कि तुम्हारे बीच से भेड़िये उठ खड़े होंगे और नादाँ भेड़ों नष्ट करेंगे । आज यह बात सच होती दिख रही है । रेवरेंड बनने का यह वायरस अब तेजी से गृह कलीसिया आंदोलन पर आक्रमण कर रहा है । नकली रेवरेंड, फर्जी डिग्री और उपाधियों वाले पादरी और बिशप, प्रलोभन देकर गृह कलीसिया में गुप्त रूप से प्रवेश करते हैं और उन्हें नकली चर्चों में बदल देते हैं जिनमें गुणन के डीएनए की कमी होती है । अब “रेवरेंडाइटिस” एक बड़ी महामारी है जो गृह कलीसिया आंदोलन को अन्दर से नष्ट कर रही है ।रेवरेंड का मतलब पूज्य होता है और केवल पवित्र परमेश्वर ही पूज्य है, इसलिए रेवरेंड की उपाधि धारण करने वाला व्यक्ति लूसिफ़ेर की तरह परमेश्वर को ठट्ठों उड़ा रहा है । धर्मशास्त्र चेतावनी देती है कि “धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा”। पवित्र परमेश्वर के उपाधि धारण करने का परिणाम खतरनाक हो सकते हैं । (गलतियों 6:7; भजन 111:9)
विनाश और निराशा की सभी खबरों के साथ, परमेश्वर अभी भी सिंहासन पर विराजमान हैं और वह अपने उद्देश्यों को अपने समय में पूरा करेगा । जहाँ तक हमारी बात है, आने वाले वर्षों में भारत के सभी बचे हुए गाँवों, कस्बों और मानव बस्तियों में प्रभु यीशु मसीह का नाम स्थापित करना हर कलीसिया और मसीही का दिलेरी से सताव सहते हुए लक्ष्य होना चाहिए । अन्यथा न्याय के दिन सिहांसन से सामने किस हैसियत खड़े होने पायेंगे । यह लक्ष्य कुछ लोगों को असंभव लग सकता है लेकिन हमारे असंभवों के परमेश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है ।
शलोम
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