पवित्र आत्मा पाने की बाईबिल की विधि भाग 4

 अध्याय 4 

पवित्र आत्मा पाने की बाईबिल की नए नियम की विधि

पिन्तेकुस्त के आठ वर्षो के बाद, फिलिप्पुस के प्रचार के परिणाम स्वरूप, सामरी लोगों ने उद्धार पाया और पानी में बपतिस्मा लिया।

पतरस और यूहन्ना यरूशलेम से भेजे गए। उन्होंने नए विश्वासियों के ऊपर हाथ रखे, और उन्होंने पवित्र आत्मा पाया (प्रेरितों के काम 8) 

ध्यान दें कि बिना पीड़ित हुए, बिना ठहरे, बिना निराश हुए और बिना अपवाद के यह हो गया। सभी नए विश्वासी पवित्र आत्मा से भर गए।

पिन्तुकुस्त के दिन के दस वर्षो के बाद, पतरस और कैसरिया में कुरनेलियुस के घर गया (प्रेरितों के काम 10)। उसने कुरनेलियुस उसके मित्रों और सम्बन्धियों को प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया। पद 44 के अनुसार, ‘‘पतरस ये बातें कह ही रहा था, कि पवित्र आत्मा वचन के सब सुननेवालों पर उतर आया।‘‘ (याद रखें, ‘‘.....विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है‘‘, रोमियों 10ः17)।

कुरनेलियुस और उसके घराने ने सिर्फ़ उद्धार ही नहीं पा लिया था; वे बिना प्रार्थना किए, बिना ठहरे-और बिना अपवाद के पवित्र आत्मा से भर गए। 

पतरस और उन आश्चर्यचकित यहूदियों ने कैसे जाना कि इन अन्यजातियों ने पवित्र आत्मा पा लिया था?

पद 46 के अनुसार, ‘‘उन्होंने उन्हें अन्यभाषा में बोलते और परमेश्वर की महिमा करते हुए सुना।’’

आइए नए नियम का अनुकरण करें। बाईबिल की अगली घटना प्रेरितों 19 (अध्याय) में हैं, जो कि पिन्तेकुस्त के दिन के 20 वर्षो के बाद घटी। लोगों के पवित्र आत्मा पाने की, प्रेरितों के काम में मिलने वाली, यह अन्तिम घटना है।

प्रेरितों के काम 19ः1-3,6

1. और जब अपुल्लोस कुरिन्थुस में था, तो पौलुस ऊपर के सारे देश से होकर इफिसुस में आया, और कई चेलों को देखकर।

2. उन से कहा; क्या तुम ने विश्वास करते समय पवित्र आत्मा पाया? उन्होंने उस से कहा, हम ने तो पवित्र आत्मा की चर्चा भी नहीं सुनी। 

3. उस ने उन से कहा; तो फिर तुम ने किस का बपतिस्मा लिया? उन्होंने कहा; यूहन्ना का बपतिस्मा।

6. और जब पौलुस ने उन पर हाथ रखे, तो उन पर पवित्र आत्मा उतरा, और वे भिन्न-भिन्न भाषा बोलने और भविष्यद्वाणी करने लगें। 

ध्यान दें कि वे बिना प्रतीक्षा किए, बिना बाट जोहे, बिना गीत गाए, बिना पीड़ा उठाए (पवित्र आत्मा से) भर गए।

प्रेरितों ने भी इसी प्रकार किया। हम भी ऐसा ही करें। तब हम वास्तव में नए नियम पर चलेंगे।

उस महान प्रेरित, पौलुस, ने स्वंय उस समय पवित्र आत्मा पाया (ग्रहण किया) जब हनन्याह ने उस पर हाथ रखे (प्रेरितों का काम 9ः17)।

यद्यपि यहां यह नहीं कहता है कि पौलुस ने अन्यभाषा बोली, फिर भी हम जानते हैं कि वह बोलता था, क्योंकि पौलुस ने पहला कुरिन्थियों 14ः18 में कहा, ‘‘मैं अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि मैं तुम सब से अधिक अन्यान्य भाषा में बोलता हूं।" आपके अनुमान से उसने कब अन्य भषा में बोलना आरम्भ किया? निश्चित रूप से उसका अनुभव भी दूसरों के समान होंगा। निश्चित रूप से उसका अनुभव भी दूसरों के समान होंगा। जब वह पवित्र आत्मा से भर गया तब उसने अन्यभाषा में बोला।

यह भी ध्यान दें, कि जब हनन्याह ने पौलुस के ऊपर, पवित्र आत्मा पाने के लिए हाथ रखे, पौलुस ने बिना प्रतीक्षा किए, बिना बाट जोहे, बिना गीत गाए, और बिना पीड़ा उठाए, पवित्र आत्मा पा लिया। हर एक घटना में, जब लोग (पवित्र आत्मा से) भर गया; कोई भी निराश वापस नहीं गया।

कोई भी कलीसिया सही शिक्षा के द्वारा लोगों को सदैव उस स्थिति तब पहुंचा सकती है जहां वे पवित्र आत्मा पा सकते है। मैंने यह बात अपनी सेवा में प्रमाणित कर दी है। परमेश्वर के वचन की शिक्षा यह कार्य करवाती है।

आप देखें, परमेश्वर के पास ‘‘प्रयास और गलती’’ (प्रयास करने पर गलती) के कोई भी सिद्धान्त नहीं हैं। कई बार लोग, पवित्र आत्मा पाने के लिए दूसरों की सहायता करने में ‘‘प्रयास और गलती’’ (प्रयास करने पर गलती) का सिद्धान्त काम में लाते है। वे एक के बाद दूसरे ढंग से यह आशा करते हुए प्रयत्न करते है कि कोई तो सफलता देगा। परन्तु परमेश्वर ऐसे किसी भी ढंग का प्रयोग नही करता है जिसमें लोग आंए, खोजें और खाली वापस लौट जांए।

जुलाई 1951 में, मैं ओकलाहोम में एक पूर्ण सुसमाचार कलीसिया में एक सभा चला रहा था। जब मैं इस विषय में शिक्षा देते हुए दूसरे सप्ताह में पहुंचा, मैंने लोगों पर हाथ रखे और उन्होंने पवित्र आत्मा पाया और अन्यभाषा में बोलने लगे। 

पहली बार जब मैंने ऐसा किया, सात लोग आगे आए और छः ने तुरन्त ही पा लिया। अगली रात, चर्च मात्र एक तिहाई। 

मैंने पास्टर से पूछा, ‘‘क्या हो गया है?’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता है, परन्तु मैं देखूंगा कि मैं पता लगा सकता हूं या नहीं।’’

अगले दिन उन्होंने मुझे बताया, ‘‘भाई हेगिन, मेरे लोगों ने कभी नहीं देखा कि किसी ने लोगों के ऊपर पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाने के लिए हाथ रखा हो, उन्हें हमेशा बाट जोहना ही सिखाया गया था।’’

उन्हों बताया, ‘‘एक सेवा निवृत (रिटायर्ड) सेवक जो कि काफ़ी बुजुर्ग हैं उन्होंने यह चर्च बनवाया है। कुछ सदस्यों ने तीन लोगों की एक कमेटी बनायी कि उनसे जाकर पूछें कि यह हाथ रखना ठीक है या नहीं। उन्होंने उनको बताया, ‘‘हम तो हमेशा ठहरते रहे हैं। ऐस न करना ग़लत हैं। उस सभा में मत जाओ और उसमें सहयोग मत करो। रविवार की सुबह जाओ। पास्टर और कलीसिया के साथ सहयोग करो, लेकिन उस प्रचारक के साथ नहीं। वह बिल्कुल ग़लत है।

ये आजकल की आधुनिक छोटे रास्ते वाली नई विघियां ग़लत हैं। उस सभा में मत जाओ और उसमें सहयोग मत करो। रविवार की सुबह जाओ। पास्टर और कलीसिया के साथ सहयोग करो, लेकिन उस प्रचारक के साथ नहीं। वह बिल्कुल ग़लत है।’’

सामान्य रूप से पास्टर प्रति रविवार सुबह प्रचार करते थे, परन्तु उन्होंने उस रविवार को मुझसे सेवा करने के लिए कहा। मैंने इस विषय में प्रार्थना की और प्रभु ने मुझे बताया, ‘‘तुम पवित्र आत्मा पाने की बाईबिल की विधि के विषय में प्रचार करो।’’ उसी संदेश के एक भाग को मैं आपसे बता रहा हूं। 

‘‘यदि हाथ रखने से पवित्र आत्मा से भर जाना एक छोटा रास्ता है, तब तो प्रभु यीशु मसीह स्वंय इसमें विश्वास करता है, क्योंकि वह एक दर्शन में हनन्याह के सामने प्रगट हुआ और कहा, ‘तुम जाकर शाउल के ऊपर हाथ रखो।’

यदि हाथ रखने से तुरन्त पवित्र आत्मा पा लेना आधुनिकता है, नया बनाया हुआ तरीका है, तब तो प्रभु यीशु ने इस पर अपनी मान्यता की मोहर लगा दी है। परन्तु नहीं। यह पुरानी विधि ही है - बाईबिल की पुरानी विधि। यह आपकी बाईबिल में ही है। इसे पढे़।’’

उन्होंने उसे पढ़ा। प्रत्येक व्यक्ति उस सभा में वापस आ गया। लोगों ने कहा, ‘‘वह प्रिय बुजुर्ग भाई जिन्होंने यह चर्च प्रारम्भ किया अच्छे व्यक्ति हैं जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, परन्तु बस उन्होंने समझा नहीं। यह तो बाइबिल में है। हम उसे (बाइबिल में) देख सकते हैं।’’

एक बार मैं ओकलोहाम में एक पुराने ‘पास्टर भवन’ में ठहरा हुआ था। अन्य सभी कामरों (के मध्य) में एक-एक बल्ब टंगा हुआ था जिसके साथ (खींचकर बल्ब को जलाने के लिए) एक-एक लम्बी डोरी लटकी हुई थी।

एक रात पास्टर और मैं बैठक में बैठ कर रात 1.30 बजे तक बात करते रहे। (अन्त में) मैं अपने कमरे की ओर चल दिया, और पास्टर ने बिना ध्यान दिए, बटन बन्द करके बल्ब को बुझा दिया, और दूसरे दरवाजे से निकल गए। इससे अंधेरे में भटकता हुआ रह गया।

जितना सम्भव हो सकता था मैं अपने कमरे के दरवाजे के निकट पहुंच गया। मैंने सोचा यदि मैं सीधा चलूँ तो मुझे सीधे डोरी तक पहुंचना चाहिए। परन्तु मैं सीधा नहीं चला। मैंने अपने पैर खाली पड़ी बेन्च पर मारे। तब मैं दूसरी ओर की दीवार के दरवाजे में टकरा गया।

वहां से मैं जानता हूं कि मैं थोड़ा बांए घूमा, क्योंकि मैं पलंग के पास पहुंच गया था। मैंने पलंग को पकड़ लिया और स्वंय से कहा, मैं जानता हूं कि डोरी यहीं है। मैं रोज रात में बत्ती जलाने के लिए उसे खींचता हूं। यह यहीं है। मैं जानता हूं कि यह यहीं है! परन्तु मैं उसे पा नहीं सका। 

मैं अपना हाथ हवा में हिलाने लगा, और अन्त में मेरे हाथ का किनारा डोरी से टकरा गया। डोरी झूल कर वापस मेरी हथेली में आ गयी। मैंने उसे खींचा, और बत्ती जल गयी।

जब मैं वहां खड़ा ही हुआ था, प्रभु ने मेरे हृदय से बात की और कहा, ‘‘तुम जानते हो, बहुत से लोग दूसरों को यह निर्देश देने के लिए, कि कैसे पवित्र आत्मा पांए या चंगाई पाएं, इतना ही निश्चित होते है। वे प्रत्येक व्यक्ति को एक ही क्रम में रखते हैं, यह कहते हुए, किसी समय-कहीं पर, एक डोरी है। जब आप उसे पा जांए, उसे खींच लें।’’

लोग ढूंढते रहे हैं, ढूंढते रहे है, और ढूंढते रहे है, और उस डोरी को नहीं पा सके हैं। क्यों न वह करें जो बाइबिल करने को कहती है? क्यों न लोगों को परमेश्वर के वचन के अनुसार निर्देश दें?

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