पवित्र आत्मा पाने की बाईबिल की विधि
अध्याय - 3
पवित्र आत्मा को ग्रहण करें
(लेखक केनेथ ई. हेगिन)
उद्धार की योजना देने के लिए परमेश्वर को जो कुछ भी करना है वह सब कुछ पहले ही कर चुका है उसने यीशु को भेजा। अब यीशु को ग्रहण करना हमारे ऊपर (निर्भर करता) है।
उद्धार हर उस व्यक्ति के लिए है जो मर कर नर्क जाता है, क्योंकि यीशु अधर्मियों के लिए मर गया। नर्क में पहुँचे व्यक्ति ने या तो उद्धार के विषय में यदि उसने सुना था, तो उसका तिरस्कार कर दिया, या वह इसके विषय में नहीं जानता था। किसी भी हाल में, वह (उद्धार) उसके लिए था।
हमें चंगाई देने के लिए परमेश्वर को जो कुछ भी करना है वह सब कुछ पहले ही कर चुका है: परमेश्वर ने हमारी बीमारियों और रोगों को यीशु के ऊपर डाल दिया, और यीशु ने उन्हें (उपने ऊपर) उठा लिया। परमेश्वर के मन में हम पहले ही चंगे हो गए हैं। चंगाई को ग्रहण करना हमारे ऊपर (निर्भर करता) है। चंगाई हमारे लिए है।
मैंने बिस्तर पर पड़े हुए अनेक लोगों को पहला पतरस 2ः24 का सत्य दिखा दिया है कि, ‘‘उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए।‘‘ जब वे बिस्तर पर पड़े हुए थे तभी उन्होंने विश्वास करना प्रारम्भ कर दिया, और उन्होंने अपनी चंगाई को पा लिया। फिर भी, दूसरे कई लोगों ने कहा, ‘‘नहीं, मैं उसे अभी स्वीकार नहीं कर सकता हूँ। जब मैं चल सकूंगा - जब (बीमारी के) सारे लक्षण छोड़ देंगे - तब मैं इस पर विश्वास करूँगा।’’ मुझे यह कहने में दुःख है कि वे मर गए।
आप बाईबिल में कहीं नहीं पढेंगे कि परमेश्वर या पवित्र आत्मा ने जबरदस्ती की हो। आप बाइबिल में कहीं नहीं पढ़ते हैं कि परमेश्वर ने जबरदस्ती लोगों से कोई काम करवाया हो। (आप पढे़ेगे कि शैतान और उसकी दुष्ट आत्माएं लोगों को (जबरन) चलाती हैं और (अपने काम करवाने के लिए) उन्हें मजबूर करती हैं।)
पवित्र आत्मा एक सभ्य व्यक्ति है। वह अगुवाई करता है। वह मार्गदर्शन करता है। उसका प्रति उत्तर देना आपका काम है। बाइबिल कहती है ‘‘कि जितने लोग परमेश्वर के आत्मा के चलाए चलते हैं, वे ही परमेश्वर के पुत्र है।’’ (रोमियों 8ः14) ‘‘जितने लोग परमेश्वर के आत्मा के चलाए चलते हैं न कि ‘‘जितने लोग (उसके अनुसार) चलने के लिए मजबूर किए जाते हैं।’’
इस प्रकार मैं परम्परागत ‘‘खोजियों’’ को भी ग्रहण (स्वीकार) करवाता हूँं। सामान्यतः जब मैं वचन पढ़ता हूं और समझता हूं कि पवित्र आत्मा एक दान है तो मैं उनके खड़ा होने के लिए कहता हूं। (मैं घुटने टेककर प्रार्थना करने में विश्वास करता हूं, परन्तु कुछ परम्परागत खोजी वर्षो से अपने घुटनों पर (प्रार्थना करते हुए) खोजते रहे हैं और जिस क्षण वे अपने घुटनों पर आते हैं, वे अपने पिछले ढर्रे (लीक) पर चलने लगते हैं)।
मैं उनके ऊपर हाथ रख कर कहता हूँ, ‘‘पवित्र आत्मा पाओ (ग्रहण करो!‘‘ (कई बार) मेरे पास दर्जनों (लोगों) ने एक साथ अन्यभाषा में बोलना शुरू कर दिया। उनके पास्टर अपने सिरों को अचरज में खुजाते और कहते, ‘‘इनमें से कुछ लोग वर्षो से खोजते रहे हैं, और यह इतना आसान था!’’ (मैं अपने में सोचता, कि तुमने उन्हें यह क्यों नहीं बता दिया था कि यह उतना आसान था)?
एक पास्टर ने कहा, ‘‘भाई हेगिन, मैं जानता हूं कि यह पवित्र आत्मा (का काम) है। मैं यह कह सकता हूं। वे अन्यभाषा में बातें कर रहे हैं। ठीक है, वह पवित्र आत्मा है। परन्तु आप लोगों को पवित्र आत्मा पाना बहुत ही आसान बना देते है!’’
मैने कहा, ‘‘नहीं भाई। आप गलत (कह हरे ) हैं। यह मैंने आसान नहीं बनाया है। मैंने इसे एक दान नहीं ठहराया है। यह परमेश्वर ने (आसान) किया है। मैं सिर्फ़ लोगों को यह बताता हूं कि यह एक दान है, और उन्हें यह दान पाने (ग्रहण करने) के लिए उत्साहित करता हूँ।’’
एक बैपटिस्ट सेवक जो उस सम्मेलन में भाग ले रहा था जिसमें मैं पवित्र आत्मा के विषय में शिक्षा दे रहा था, अन्त में बहुत ही क्रोधित होकर मेरे पास आया।
‘‘मैंने उतना ही पवित्र आत्मा पा लिया है जितना तुम्हारे पास है! और मैं अन्य भाषा में नहीं बोलता हूँ। जब मेरा नया जन्म हुआ (उसी समय) मैंने पवित्र आत्मा पा लिया,’’ उसने कहा।
मैंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से। परमेश्वर की महिमा हो। यदि आप सन्तुष्ट है, तो मैं सन्तुष्ट हूँ। मैं आपको उससे अधिक कुछ भी नहीं देना चाहता हूँ। मैं आपको उससे अधिक कुछ भी नहीं देना चाहता हूँ। जितना आप (पाना) चाहते हैं। यदि आपको परमेश्वर के लिए कोई भी भूख नहीं हैं। यदि आपको परमेश्वर के लिए कोई भूख नहीं है - यदि आप और अधिक परमेश्वर को नहीं चाहते हैं, - वह मेरे लिए ठीक है।
‘‘मैं प्रभु के साथ थोड़ा और आगे बढ़ गया, और पवित्र आत्मा का एक और पेय (कटोरा) पिया, और भर गया। यदि आप भरे बिना ही रूक जाना चाहते हैं, वह मेरे लिए ठीक है। यदि आप इस बात से सन्तुष्ट हैं कि परमेश्वर के पास आपके लिए जितना कुछ भी है आप वह सब पा चुके हैं, तो ठीक है।’’
‘‘खैर, नहीं, नहीं,‘‘ उसने कहा। ‘‘मुझे निश्चित है कि मेरे पास वह सब कुछ नहीं है जितना परमेश्वर के पास मेरे लिए है।’’
‘‘ठीक है, क्या आप भूखे प्यासे हैं?
‘‘जी हां’’!
‘‘क्या आप भरपूर होना चाहते हैं?
‘‘मैं विश्वास करता हूं कि मेरे पस पवित्र आत्मा है।’’
मैंने कहा, ‘‘मैं उसके विषय में बहस नही करूंगा। निश्चित रूप से आपके पास (पवित्र आत्मा) है! आप आत्मा से जन्मे हैं। परन्तु क्या आप भरपुर होना चाहते हैं?
‘‘जी हां!’’
मैने उसके ऊपर हाथ रखे, और वह वहीं पर अन्यभाषा में बोलने लगा। वह भरपुर हो गया, परमेश्वर की महिमा हो!
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