महिलाएं और इक्लीसिया

महिलाएं और इक्लीसिया यीशु ने महिला शिष्य क्यों नहीं चुनेः बहुत लोग इसे संस्कृति से जुड़ा विषय मानते हैं। परन्तु यीशु कभी भी यहूदी संस्कृति के द्वारा निरूत्साहित नहीं हुए। उन्होंने सामरी स्त्री से बातचीत की और बाद में उनके गांव में ठहरे भी थे। यीशु ने एक फरीसी के घर में एक वेश्या को अपने पांवों को भी चूमने दिया। सिनेगॉग के मध्य में उसने एक कुबड़ी स्त्री को सामने लाकर सीधी खड़ी कर दिया। ये सारी बातें यहूदी संस्कृति के विरूद्ध थीं। महिला शिष्य नहीं चुनने के द्वारा यीशु केवल एक आदर्श रख रहे हैं, ‘‘अपने ही लिंग के शिष्य बनाने का’’। पौलूस ने इसका अनुकरण किया जब उसने महिला प्राचीनों को जवान स्त्रियों को तैयार करने के कहा ( तीतुस 2ः3-5 )। यदि हम इस आदर्श के अनुसार चलें तो हम इक्लीसिया में बहुुत सी उगंली उठाए जाने वाली बातों को और कामुकता के कार्यों को रोक सकते हैं। महिलाएं मूल इक्लीसिया की संस्थापकः अपने जी उठने के बाद यीशु ने जो पहिला कार्य किये वह यह था कि उन्होंने एक स्त्री से कहा कि ‘‘जा और भाईयों से कह’’। उसी समय से स्त्रियां पूरे विश्व में भाईयों को शुभ संदेश देने में सबसे आगे ...