दयालु सामरी का दृष्टांत

दयालु सामरी का दृष्टांत सन्दर्भ :- लूका 10ः25-37 - ‘‘ और देखो, एक व्यवस्थापक उठा; और यह कहकर, उसकी परीक्षा करने लगा; हे गुरू, अनन्त जीवन का वारिस होने के लिए मैं क्या करूं ? उस ने उससे कहा; कि व्यवस्था में क्या लिखा है? तू कैसे पढ़ता है ? उस ने उत्तर दिया, कि तू अपने प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख; और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। उस ने उस से कहा, तू ने ठीक उत्तर दिया, यही कर : तो तू जीवित रहेगा। परन्तु उसने अपनी तईं धर्मी ठहराने की इच्छा से यीशु से पूछा, तो मेरा पड़ोसी कौन है ? यीशु ने उत्तर दिया; एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था, कि डाकुओं ने घेरकर उसके कपड़े उतार लिये, और मारपीट कर उसे अधमूआ छोड़कर चले गये। और ऐसा हुआ, कि उसी मार्ग से एक याजक जा रहा था : परन्तु उसे देखकर कतराकर चला गया। इसी रीति से एक लेवी उस जगह पर आया, वह भी उसे देख के कतराकर चला गया। परन्तु एक सामरी यात्री वहां आ निकला, और उसे देखकर तरस खाया। और उसके पास आकर और उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर पट्टियां ब...