बिना रक्त बहाए मोक्ष संभव नहीं है।
बिना रक्त बहाए मोक्ष संभव नहीं है।
पापों की क्षमा के लिए रक्त बहाना आवश्यक है, यह बात वेदों में सूचित है कितना घोर क्रूर हिंसा और हत्या है, नहीं, इसमें दैविक प्रेम है वह किस प्रकार है?
कृपया नीचे लिखे अंशो को मन से परीक्षा कीजिए:-
यज्ञ (बलि) ही प्रमुख है, कह कर वेद बताते है।
‘‘यज्ञे वै भुवन नाभि’’ संसार के लिए यज्ञ मुख्य आधार है।
(ऋग्वेद 1ः164ः25) (नाभि के समान)
‘‘यज्ञे सर्वम प्रतिष्ठितम्’’ यज्ञ ही सब कुछ देता है।
‘‘यज्ञो वै सुकर्मानौः’’ यज्ञ ही ठीक राह पर चलने वाली नाॅव है।
(ऋग्वेद 1ः3ः13)
‘‘ऋतस्यनाः पथनयति दुरिता’’ यज्ञ के मार्ग द्वारा सब पापों से मुक्ति और सुरक्षा में लेकर जाओ।
(़ऋग्वेद 103ः1ः6)
श्रृ-‘‘यजमानः पशुः यजमानमेवा - यज्ञ करने वाला ही यज्ञ का पशु है।
सवर्गम् लोकम् गमयति’’ - इसलिये यज्ञ करने वाला अकेला ही स्वर्ग को प्राप्त करता है।
(तैत्तरीय ब्राहणम बंगला पत्रम - 202)
महायज्ञ की विशेषताएं
श्लेक: ‘‘नकर्मणा मनुष्य नैरना स्नान, यात्रा, दान धर्म के कार्य के द्वारा पापविमुक्ति और पुण्य नहीं मिलता है।
लभतेमत्र्यः’’ (शिवगीत)
‘‘यज्ञक्षपिता कल्पशः’’ यज्ञ के द्वारा पाप परिहार होने वाले (भगवत गीता 4ः30)
श्लोकः सर्वपाप परिहारो समस्त पापों को विमुक्त करने को रक्त की जरूरत हैं रक्त परमात्मा अपने आप को खुद बलि अपर्ण के द्वारा संभव किया है।
रक्त प्रोक्षणमवश्यम्
तद रक्तम परमात्मेना
पुण्यदान बलियागम्
(ताण्ड्य महा ब्राहाणम् सामवेदम्)
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