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Showing posts from June, 2022

राष्ट्रगान

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  राष्ट्रगान /  National Anthem राष्ट्रगान जन-गण-मन भारत की आजादी का एक अहम हिस्सा है। इससे देश की पहचान जुड़ी हुई है। राष्ट्रगान को रबिन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने लिखा था। इसे स्वतंत्रता दिवस समेत अन्य विशेष अवसरों पर बजाया जाता है। संविधान ने इसे 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान (National Anthem) के रूप में स्वीकार किया था। जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता। पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा द्रविड़ उत्कल बंग। विंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग। तव शुभ नामे जागे तव शुभ आशीष मागे। गाहे तव जयगाथा। जन गण मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता। जय हे, जय हे, जय हे जय जय जय जय हे॥ राष्ट्र्रगान से जुड़ी कुछ और बातें भी बेहद दिलचस्प है, जिसे हर भारतीय को जानना चाहिए। 1.देश के राष्ट्र्रगान जन गण मन को पहली बार साल 1911 में कोलकाता में कांग्रेस के एक कार्यक्रम में गाया गया था। 2.राष्ट्रगान को पूरा गाने में 52 सेकेंड का समय लगता हैए जबकि इसके संस्‍करण को चलाने की अवधि लगभग 20 सेकंड है। 3.राष्ट्रगान को रवींद्रनाथ टैगोर ने न सिर्फ लिखा बल्कि उन्होंने इसे गाया भी था। इसमें 5 पद हैं।...

शिष्य बनाने का आंदोलन

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शिष्य बनाने का आंदोलन शुरुआत - कलीसिया युग की शुरुआत पेंटेकोस्ट के दिन 3000 लोगों ने बपतिस्मा लेने के साथ हुई थी। यह एक अंतरराष्ट्रीय कलीसिया थी   क्योंकि हर देश से यहूदी तीर्थयात्री प्रभु के पर्वों को मनाने के लिए यरूशलेम में एकत्र हुए थे। पहिला पर्ब जो फसह का पर्ब था , फिर तीन दिन बाद प्रथम फल का पर्ब , और पचास दिन के बाद पिन्तेकुस्त का पर्ब मनाकर तीर्थयात्री अपने गृह देशों में लौट आए। उन्होंने प्रभु यीशु को   सूली पर परमेश्वर के मेमने (फसह) की तरह चढ़ाए जाने को , उनके पुनरुत्थान (प्रथम फल) और पेंटेकोस्ट (आत्माओं की फसल) और उनके स्वर्गारोहण को अपने आँखों से   देखा था। पतरस के भाषण को अपनी   अपनी भाषा में सुना था।   उसे वापस आकर अपने लोगों को बताया , इसलिए कलीसिया कुछ ही दिनों में एक विश्वव्यापी कलीसिया बन गयी। इस कलीसिया के पास   ना   कोई इमारत थी , न कोई पास्टर था , ना कोई पुल्पिट था , ना कोई उपदेश नहीं देता था , ना कोई संगीत वाद्ययंत्र था , ना कोई दशमांश देता था , ना कोई वित्तीय ताकत थी और ना कोई राजनीतिक प्रभाव था , लेकिन इसमें पवित्र आत्मा की...

प्रभु यीशु के स्वर्गारोहण के लाभ

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 प्रभु यीशु के स्वर्गारोहण के लाभ THE ADVANTAGES OF THE ASCENSION OF LORD JESUS 25 मई 2022 /  25th May 2022 प्रभु यीशु का स्वर्गारोहण हमारे लिए अत्यंत लाभदायक था ताकि वह पवित्र आत्मा को भेज सके। (यूहन्ना 16:7)  It was necessary for Jesus to ascend to heaven so that he could send the Holy Spirit. (John 16:7) पवित्र आत्मा ने आकर हमें जीवित परमेश्वर का मंदिर बना दिया। (1 कुरिन्थियों 3:16)  The Holy Spirit came and made us temples of the living God. (1 Cor. 3:16) पवित्र आत्मा ने हमें एक नई सृष्टि बनाया और हमें मसीह के राजदूत बनाकर मेल-मिलाप की सेवकाई दी है। (2 कुरिन्थियों 5:17, 20) The Holy Spirit made us a new creation and gave us the ministry of reconciliation by making us ambassadors of Christ. (2 Cor. 5:17, 20) पवित्र आत्मा हमें बीमारों को चंगा करने और दुष्टात्माओं को निकालने की सामर्थ देता है। (लूका 9:1,2; रोमियों 15:19,20) The Holy Spirit gives us the power to heal the sick and cast out demons. (Luke 9:1,2; Rom. 15:19,20)  जहां मसीह को नहीं जाना जाता वहां...