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Showing posts from August, 2021

स्वस्थ्य कलीसिया

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 स्वस्थ्य कलीसिया उद्धार का संदेश -  और जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वही उद्धार  पाएगा। ( प्रेरितों  के  काम  2:21 )  पश्चाताप -   37  तब सुनने वालों के हृदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, कि हे भाइयो, हम क्या करें?  ( प्रेरितों के काम 2: 37,38 ) जल संस्कार 3000 परिवारों का -  38  पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।  41  सो जिन्हों ने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए।  ( प्रेरितों के काम 2:38,41 )  सामर्थीकरण - पवित्रआत्मा के द्वारा परिवारों,समाज एवं अन्यजातियों के परिवर्तन के लिये -  39  क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्तानों, और उन सब दूर दूर के लोगों के लिये भी है जिन को प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।  ( प्रेरितों के काम 2:39 ) प्रेरिताई शिक्षा - ‘‘जाओं और शिष्य बनाओं -  42...

कलीसिया के कार्य / Functions of the Church

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  कलीसिया के कार्य /  Functions of the Church ( प्रेरितों के काम 2ः36-47 के आधार पर / Based on ACTS 2: 37-47 ) 1. राज्य की घोशणा: (पद 36) पिन्तेकुस्त के दिन पतरस ने राज्य की घोशणा की जिसने लोगों के हृदय छेद दिये और वे पूछने लगे,‘‘हम क्या करें?’’  Announcing the Kingdom: (V. 37) On the Day of the Pentecost Peter announced the kingdom which pricked the hearts of the people and they asked what shall we do? 2. पष्चाताप (मन फिराना) और बपतिस्मा: (पद 38) पतरस ने वहंा उपस्थित हर एक जन से कहा,‘‘मन फिराओ (पष्चाताप करो) और बपतिस्मा लो’’, और 3000 लोगों ने आज्ञा मानी। कोई भी मनुश्य बिना पष्चाताप या मनफिराव के स्वर्ग के राज्य में प्रवेष नहीं कर सकता जिसके तुरन्त बाद बपतिस्मा लेना चाहिये। इसके लिये किसी व्यवसायिक पास्टर की आवष्ययकता नहीं है, क्योंकि प्रत्येक विष्वासी एक राजकीय याजक है। यहूदी रीति के अनुसार, महिलांए आपस में एक दूसरे को बपतिस्मा देती थी और दो विष्वासी वहां गवाह के रूप में होते थे। मसीहियत, मसीह से उत्पन्न लोगों का आन्दोलन है, और सभी विष्वासियों को पवित्रात्मा द्वार...

कलीसिया के दस प्रमुख कार्य / TENFOLD FUNCTIONS OF THE CHURCH

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 कलीसिया के दस प्रमुख कार्य TENFOLD FUNCTIONS OF THE CHURCH ( प्रेरितों के काम 2ः41-47,  BASED ON ACTS 2: 41-47 ) 1. प्रेरितीय शिक्षा: एक नहीं परन्तु पांच प्रकार के वरदानी सेवकों द्वारा प्रेरितीय शिक्षा देना, जिनका लक्ष्य ऐसे संतों को तैयार करना है, जो कि महान आदेश को पूरा कर सकें। ( इफिसियों 4ः12-13 ) Apostolic Teaching : (V.42) Fivefold ministry gifted teachers, equip the saints and unify the church, leading to edification of  the church by discipling all nations. ( Eph. 4:12-13 ) 2. संगति करना: नगर की अन्य कलीसियाओं के विश्वासियों के साथ एकता स्थापित कीजिए। एक-दूसरे के आधीन होकर उनके लिए प्रार्थना कीजिए। बाइबिल में ‘‘एक-दूसरे’’ का उल्लेख 44 बार आया है। ( इफिसियों 4ः3-6; 5ः21; याकूब 5ः16 ) Fellowship : (V.42) The bond of unity with all the believers of the city, is the secret of church growth. Submit to ‘one another’, love ‘one another’ and pray for ‘each other’. ‘One-another’ comes over 50 times in the NT. ( Eph. 4:3-6; 5:21; James 5:16 )  3. एक साथ भोजन करना: ...